श्रीमती ज्योतिका कालरा का जीवनवृत्त

श्रीमती ज्योतिका कालरा
श्रीमती ज्योतिका कालरा
सदस्य, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
91-11-24663207, 24663208 (कार्या.)

श्रीमती ज्योतिका कालरा का भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय में 27 वर्षों से अधिक समय से वकालत का अनुभव रहा है तथा एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड रही हैं, इन्होंने 5 अप्रैल, 2017 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य के रूप में पदभार ग्रहण किया। इनका जन्म दिल्ली में 7 अक्तूर, 1966 को हुआ। श्रीमती कालरा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कॉमर्स एवं लॉ में स्नातक की तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से विधि में स्नातकोत्तर की डिग्री ली।

इन्होंने अनेक जनहित याचिकाएं दर्ज़ कीं, इनमें एक महत्त्वपूर्ण याचिका 60 वर्षों के पश्चात सिनेमा उद्योग में मेकअप आर्टिस्ट के रूप में कार्य करने वाली महिलाओं के लिए एक चैनल खोलना था। इनकी शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों से संबंधित सुधारात्मक याचिका के कारण उच्चतम न्यायालय के निर्णय को एक ओर रखा। इन्होंने सशस्त्र बलों में महिलाओं की भर्ती नहीं किए जाने के विषय को उजागर करने वाली अनेक जनहित याचिकाएं दायर कीं। इन्हें महत्त्वपूर्ण मामलों में न्यायमित्र नियुक्त किया गया था, इनमें से कुछ महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित थे।

वे उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति के पैनल में भी थीं। उनके द्वारा बहस किए गए अनेक मामलों में मृत्युदण्ड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।

इन्हें इनकी तीन पुस्तकों के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा सम्मानित किया गया था। इन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा वर्ष 2014 में आउटस्टैण्डिग वूमेन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे राष्ट्रीय महिला आयोग की विशेषज्ञ समिति में थीं तथा महिलाओं से संबंधित कानूनों के मसौदे पर राय दी। इन्होंने आयोग द्वारा आयोजित अनेक परामर्शी कार्यशालाओं में भागीदारी दी। श्रीमती कालरा कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए गठित अनेक आंतरिक शिकायत समितियों की सदस्य रहीं।

श्रीमती कालरा एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अनेक गैर-सरकारी संगठनों के साथ जुड़ी रहीं जिनमें शामिल हैं: ऑल इंडिया वीमेन्स कॉन्फ्रेंस एवं इंडियन फेडरेशन ऑफ़ यूनिवर्सिटी वीमेन्स एसोसिएशन-ग्रेजुएट वीमेन इंटरनेशनल से संबद्ध दोनों ही एजेंसियों की संयुक्त राष्ट्र के साथ परामर्शी हैसियत है। इन संगठनों के प्रतिनिधि के रूप में श्रीमती कालरा ने इस्तान्बुल, मेनचेस्टर एवं संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शिरकत की। इन्होंने महिलाओं के अधिकारों से संबंधित अनेक मुद्दों पर राय दी जिनमें शमिल हैं सरोगेसी, कन्या भ्रूण हत्या तथा डायन मारने से संबंधित आदि। उन्होंने घरेलू कामगारों के अधिकारों पर कार्य किया, गल्फ में मज़दूरों, मंदिरों में दलितों का प्रवेश, धार्मिक कट्टरवाद के पीड़ितों आदि पर कार्य किया।

पिछले कुछ समय से उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय एवं आई. पी. कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में अंशकालिक प्रवक्ता के रूप में शिक्षण के क्षेत्र से संबद्ध रहीं हैं।