मीडिया तथा मानव अधिकार संवाद

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने अपने रजत जयंती समारोह के अवसर पर भारतीय जनसंचार संस्थान (आई.आई.एम.सी.), नई दिल्ली के सहयोग से मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु मीडिया के साथ अपने सहयोग को रेखांकित करने के संयुक्त कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री चन्द्रमॉली कुमार प्रसाद ने कहा कि मानव अधिकारों के विषय में मीडिया एक सूचनापरक राय देने में सहायता करता है। बदलते समय एवं तकनीकों के साथ पल भर में लोगों के पास पहुंचने की एक व्यापक शक्ति एवं संरचना सहित मीडिया के उत्तरदायित्व एवं कत्र्तव्यों समाज के प्रति अनेक प्रकार से बढ़ गए हैं।

न्यायमूर्ति मॉली ने कहा कि मानव अधिकारों के विषय में जनजागरुकता उत्पन्न करने की दिशा में अपनी भूमिका के निर्वहन में मीडियाकर्मियों को मानव अधिकारों के विभिन्न मुद्दों के विषय में पूर्ण रूप से ज्ञान होने की आवश्यकता है ताकि जब उनका दैनिक जीवन में किसी भी प्रकार के मानव अधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं का सामना हो तो वे लोगों को उसके विषय में जागरुक कर सकें।

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि जनसंचार के सदस्यों के मानव अधिकारों का उल्लंघन भी एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पहलू है जिस पर ध्यान नहीं दिया गया है। वर्किंग जर्नलिस्ट अधिनियम के प्रावधान को मानने के बजाय उनका उल्लंघन अधिक हुआ है। इस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री एच. एल. दत्तू ने कहा कि आयोग देश में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को संबोधित करने में मीडिया को अपने मूल्यवान साथी के रूप में मानता है। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग अपने समर्पित मीडिया एवं संचार विंग के माध्यम से समाचार मीडिया के साथ इसकी संलिप्तता के अलावा मीडिया के विभिन्न साधनों का उपयोग करके मानव अधिकार साक्षरता का प्रसार करने में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का भी प्रयास कर रहा है। इनमें अन्य चीजों के साथ शामिल हैं मानव अधिकार फिल्म फेस्टीवल के अलावा मानव अधिकार नुक्कड़ नाटक उत्सव का इस वर्ष आयोजन करना ताकि देश के नागरिकों के दिलो-दिमाग तक अपनी पहुंच बनाई जा सके।

इसके पूर्व श्री के. जी. सुरेश, महानिदेशक, आई.आई.एम.सी., नई दिल्ली ने कहा कि पत्रकारिता के अध्ययन में मानव अधिकारों के पाठ्यक्रम को विकसित करने की आवश्यकता है। आयोग के महासचिव श्री अम्बुज शर्मा ने रेखांकित किया कि किस प्रकार देश के दूर-दराज़ क्षेत्रों में मानव अधिकार उल्लंघन की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लेने में आयोग के लिए मीडिया रिपोर्ट लाभप्रद होती हैं।

इस अवसर पर एन.एच.आर.सी. के मानव अधिकारों पर चैथे लघु फिल्म प्रतियोगिता के तीन विजेताओं को पुरस्कृत किया गया- डॉ देव कान्या ठाकुर, श्री विप्लव मजूमदार तथा श्री जया जोश राज सी. एल. को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय पुरस्कार के रूप में रुपये एक लाख, 75 हजार तथा 50 हजार के साथ प्रमाण-पत्र एवं ट्रॉफी उनकी फिल्मों- ’बिहाइंड दी बारस्’, ’थर्ड ज़ेंडर’ तथा ’इट्स पॉसिबल’ हेतु दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा फिल्मस् डिवीजन के सहयोग से निर्मित डॉक्यूमेंट्री का भी लोकार्पण किया गया।

कार्यक्रम का समापन ’मानव अधिकारों के प्रति जागरुकता उत्पन्न करने में मीडिया की भूमिका’ विषय पर एक पैनल चर्चा के साथ हुआ। इसमें प्रतिभागियों में शामिल थे-श्री प्रभु चावला, सम्पादकीय निदेशक, न्यू इंडियन एक्सप्रेस, सुश्री आरती राधिका जयरथ, वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार, श्री के. वी. प्रसाद, वरिष्ठ सह संपादक, दि ट्रिब्यून, दिल्ली तथा श्री निकुंज गर्ग, वरिष्ठ सम्पादक, टाइम्स नाउ तथा श्री अम्बुज शर्मा, महासचिव, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग थे, जिन्होंने इस चर्चा का संचालन भी किया।

प्रतिभागियों में आई.आई.एम.सी. के संकाय एवं छात्रों तथा अन्य मीडिया संस्थानों, मीडिया संगठनों के प्रतिनिधियों एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के अलावा आयोग के वरिष्ठ अधिकारीगण भी शामिल थे।

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