अन्तरराष्ट्रीय मानव अधिकार कॉनक्लेव

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अपने रजत जयंती समारोह के दौरान आयोजित होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के एक भाग के रूप में 1 अक्तूबर, 2018 को अशोक होटल, नई दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कॉनक्लेव का आयोजन किया।

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कार्यक्रम का उद्घाटन महात्मा गांधी के कार्य एवं सोच को दर्शाने वाले गीत वैष्णव जन के साथ किया गया। तत्पश्चात्, मुख्य अतिथि माननीय उपराष्ट्रपति, श्री एम. वैंकेया नायडू के साथ-साथ आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री एच. एल. दत्तू, सदस्य न्यायमूर्ति श्री पी. सी. घोष एवं श्रीमती ज्योतिका कालरा, महासचिव श्री अम्बुज शर्मा एवं अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन किया गया।

इस कॉनक्लेव का उद्देश्य विभिन्न देशों के राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों, एन.एच.आर.आई. के वैश्विक नेटवर्क, सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों तथा अन्य पक्षकारों को उनकी राय व्यक्त करने तथा विचार-विमर्श करने हेतु एक मंच उपलब्ध कराना था।

आयोग के महासचिव, श्री अम्बुज शर्मा ने आयोग द्वारा पिछले 25 वर्षों के दौरान आयोग को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत दिए गए अधिदेश के आधार पर राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों एवं सभी पणधारियों को साथ लाने को सुनिश्चित करने एवं सुरक्षा कार्यों के लिए किए गए कार्यों को रेखांकित किया। उन्होंने आयोग द्वारा किए गए महत्त्वपूर्ण पहलों पर भी प्रकाश डाला, जैसे-ऑनलाइन मानव अधिकार शपथ, ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण प्रणाली, टोल फ्री राष्ट्रीय हैल्पलाइन, इसे सुगम बनाने हेतु द्विभाषीय वेबसाइट, महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध यौन हिंसा के मुद्दों पर ओपन हाउस चर्चा, जेल सुधार आदि। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी के लिए मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में यह कॉनक्लेव एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा।

श्री राजीव गाबा, केन्द्रीय गृह सचिव ने कहा कि भारत ने हमेशा से ही विधिक नियामक ढांचे, विधि के नियम की स्थापना एवं लोगों के सिविल राजनैतिक एवं मौलिक अधिकारों के संरक्षण के माध्यम से समाज के कमज़ोर वर्गों के समाज-आर्थिक अधिकारों के संरक्षण की दिशा में कार्य किया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रीय जनजाति आयोग एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के साथ मिलकर केन्द्र की सरकार को 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सहायता कर रहा है।

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आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री एच. एल. दत्तू ने भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण में एन.एच.आर.सी. के कार्य के 25 वर्षों को मनाने हेतु आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार कॉन्क्लेव में सभी उपस्थितों का स्वागत किया। अध्यक्ष महोदय ने पिछले वर्षों में आयोग की विभिन्न महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश में मानव अधिकार संस्कृति को मुख्य धारा में लाने के क्षेत्र में आयोग के महत्त्वपूर्ण सहयोग को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न पणधारियों को जागरुकता के प्रसार, लोगों को संवेदनशील करने एवं विधिक एवं संवैधानिक प्रावधानों को सदृढ़ करने की आवश्यकता है जिससे नियंत्रण एवं संतुलन की प्रणाली को विस्तार दिया जा सके। आयोग शिविर बैठकों, जन सुनवाइयों, बंधुआ मज़दूरी प्रकोष्ठ स्थापित कर, विशेष संपर्ककर्त्ताओं की नियुक्ति, कोर एवं विशेषज्ञ समूहों का गठन, मानव अधिकार समर्थकों के लिए फोकल प्वाइंट के रूप में कार्य करने के माध्यम से मानव अधिकार स्थिति की मॉनिटरिंग कर रहा है।

न्यायमूर्ति श्री दत्तू ने कहा कि गरीबी, लिंग भेद-भाव, बंधुआ मज़दूरी, मानव तस्करी शरणार्थियों का विस्थापन आदि मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग गनहरी का सदस्य है तथा इसको गनहरी द्वारा निरन्तर ’ए’ श्रेणी दी गई है। उन्होंने कहा कि मानव विकास का अर्थ बिना किसी अपेक्षा के सभी लोगों को स्वतंत्रता की गुंजाइश को विस्तृत एवं प्रसारित करना है।

मानव अधिकारों के प्रति एक सच्ची प्रतिबद्धता सभी लोगों की विविधता को ध्यान में रखते हुए प्रगतिशील आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों के माध्यम से आपसी संबंध विकसित करना है।

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भारत के उपराष्ट्रपति, श्री एम. वैंकैया नायडु ने कहा कि राज्य का प्राथमिक दायित्व अहस्तांतरणिय अधिकारों का संरक्षण करना है। मानव अधिकारों को 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य माना गया है। उन्होंने कहा कि भारत में वैश्विक स्तर पर मानव अधिकारों के लिए दृढ़ता से आवाज़ उठाई है तथा विभिन्न मानव अधिकार सम्मेलनों के लिए हस्ताक्षर किए हैं। यह ’शेयर एण्ड केयर’ के दर्शन का अनुसरण करता है। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों में अन्य बातों के साथ-साथ स्वास्थ्य देख-रेख, भोजन, शिक्षा, व्यापार, किशोरों एवं वृद्धजनों के मुद्दे भी शामिल हैं। उन्होंने मानव अधिकारों के उल्लंघन के निपटान एवं अधिकारों के संरक्षण के प्रति एक वॉचडॉग के रूप में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के संरक्षण के सामने भ्रष्टाचार, गरीबी, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन जो इस समय देश एवं विश्व झेल रहा है, गम्भीर चुनौतियां हैं।

भारत एक विशाल एवं विविधतापूर्ण देश है तथा इसीलिए यहां पर शिकायतों की संख्या भी अत्यधिक है उन्होंने इन शिकायतों के निपटान में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने ज़ोर दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए केवल कानून द्वारा गारंटी सुनिश्चित नहीं की जा सकती। समय की मांग है कि प्रभावी कार्यान्वयन पर विचार करते हुए बदलती पारिस्थितिक सच्चाइयों पर भी विचार किया जाए। आर्थिक अपराधियों एवं अन्य देशों में आतंकी, शरण की बढ़ती समस्याओं का संदर्भ देते हुए श्री नायडु ने कहा कि इस विषय पर कार्य करने के लिए संयुक्त राष्ट्र एवं सदस्य देशों को एकजुट होना चाहिए। भगोड़ों का आदान-प्रदान एवं उनके विषय में सूचना साझा करने से लम्बे समय तक सहायता होगी तथा उन पर निगरानी रखी जा सकेगी।

उन्होंने भारत में स्थानीय निकायों एवं पंचायती राज संस्थानों में महिलाओं को आरक्षण दिए जाने की प्रशंसा की, जिसके कारण महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ-साथ इन संस्थानों की कार्यप्रणाली में सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं।

कॉनक्लेव में उद्घाटन सत्र के अलावा तीन विषयगत सत्र (1) तस्करी/प्रवासी/जबरन मज़दूरी तथा समाज के हाशिए के लोगों के अधिकारों के उभरते आयाम पर केन्द्रितः बेहतर प्रथाएं साझा करना (2) व्यापार एवं मानव अधिकारों के संरक्षण आदर एवं उपचारी संरचना (3) सतत् विकास लक्ष्य पर केन्द्रित महिलाओं का सशक्तीकरण एवं बच्चों का संरक्षणः चुनौतियां एवं संभावनाएं।

इस समारोह से समाज के विभिन्न वर्गों में अधिकारों पर आधारित उपरोक्त विषयों पर सर्वोत्तम प्रथा साझा करने तथा विचार-विमर्श करने में सहायता मिलेगी। सत्रों से नीतियों, कार्यक्रमों एवं प्रथाओं को विकसित करने की प्रक्रिया का प्रभावी ढांचा तैयार करने में सहायता होगी, जिससे सभी अधिकारों एवं अवसरों को विकसित करने, संरक्षित करने, सहभागिता देने एवं सशक्तिकरण सुनिश्चित हो पाएगा।

कॉन्क्लेव में यू.के., अफगानिस्तान, बांग्लादेश, क्रोएशिया, मॉरिशस, नेपाल, राज्य मानव अधिकार आयोग, गैर-सरकारी संगठनों, नागरिक समाज के प्रतिनिधिमंडल तथा राजदूतों ने भी कॉनक्लेव में भाग लिया।

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