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सहायक निदेशक (पब्लिकेशन ) , राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग मानव अधिकार भवन, ब्लॉक-सी, जी.पी.ओ. कम्प्लेक्स, आई.एन.ए., नई दिल्ली - 110023 दूरभाष नं. : 011-24663231 ध्यान दें ..!! नोट:शुल्क सहित प्रकाशन के लिए कृपया राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट भेजें। .सभी संगठन, विश्वविद्यालय तथा संस्थान जो रुपये 2000 / - का वार्षिक शुल्क देंगे, उन्हें उस वर्ष के हमारे सभी प्रकाशन (शुल्क सहित और नि:शुल्क दोनों) उपलब्ध करवाये जायेंगे।
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मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अंतर्विष्ट जिसके तहत आयोग संगठित किया गया था।
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आयोग की भूमिका, कार्य एवं चिंता के क्षेत्रों की झलक प्रदान करता है।
आयोग की भूमिका, कार्य एवं चिंता के क्षेत्रों की झलक प्रदान करता है।
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जर्नल के प्रथम अंक में तीन बड़े विषयों: भारतीय मानव अधिकार विधि में चुने हुए नए विकास, चुने हुए मानव अधिकार मुद्दों पर मनुष्य की गरिमा एवं विकास के लिए चल रहे संघर्ष समाहित है। जर्नल में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग 1993-2002 के विकास पर एक दशकीय मत एवं घरेलु हिंसा पर एक लेख, दलितों के अधिकार, जन-जाति एवं अशक्तों पर एक लेख समाहित है। वर्तमान अंक के तहत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गुजरात पर महत्वपूर्ण आदेश, सूचना विधेयक, 2000 की स्वतंत्रता पर आयोग के विचार, जातिवाद पर डर्बन में हुए विश्व सम्मेलन में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टिप्पणियों इत्यादि समाहित हैं।
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This monographs is produced by Investigation Division of NHRC as an effort to fill a critical void in the knowlege base about priosn sucide. In addition to a through review of the literature for prevention, this documents offers the most recent national data on the incidence and rate of prison sucide, effective prison sucide prevention programs, and discussion on legal liability issue. This monograph will encourage continued research, training, and development of comprehensive prevention polices that are imperative to the continued reduction of prison sucides throughout the country.
The Investigation Division of the Commission has been set up in accordance with the provisions of section 11(1) (b) of the Protection of Human Rights Act, 1993. One of the Important functions of the division is to conduct spot enquiries into complaints of Human Rights violations on the directions of the Commission and to submit its analysis and recommendations to the Commission.
यह प्रकाशन, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं ब्रिटिश परिषद के 2002 में व्यावसायिक नीतिकरण पारस्पारिक दो साझेदार परियोजना का परिणाम था। इसके विषय-वस्तु को बेहद उपयोगी माना गया तथा इस संबंध मे उत्साहजनक फीडबैक प्राप्त हुआ था।
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पुस्तक में सभी मानव अधिकार अभिसमय समाविष्ट हैं।
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This book is compilation of the initiatives taken by the NHRC to promote and protect the rights of Human Rights Defenders and encourage their efforts in promotion and protection of human rights.
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यह प्रकाशन 2009 से 2011 तक आयोग के स्पेशल रैपर्टियर द्वारा मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख संस्थाओं में की गई निरीक्षण रिपोर्टों का संकलन है। यह संकलन हाल के वर्षों के दौरान भारत में मानसिक स्वास्थ्य देख-रेख एवं उपचार के क्षेत्र में हुए सुधारों को निर्धारित करने में एक अवसर देगा।
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मानव अवैध व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय कानूनी शासन का एक विश्लेषण
फरवरी 2004 को मुंबई मे प्रयास (टाटा सामाजिक विज्ञान संस्था की एक परियोजना) के सहयोग से कार्यशाला का अयोजन किया गया। इस कार्यशाला मे न्यायिक अधिकारी, पुलिस अधिकारी, सरकारी अधिकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधिगण ने हिस्सा लिया।
The National Human Rights Commission thought it apt to bring out the revised edition. It consists of milestones at the national and international levels, critical analysis of the situation of children in India, role of NHRC in protecting and promoting children's rights and way forward.
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संयुक्त राष्ट्र संस्था द्वारा 20 नवम्बर, 1989 को बच्चों के अधिकारों संबंधी अभिसमय की सूची
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प्रसार-भारती निगम एवं यूनीसेफ द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एवं अभिकल्पित इस निर्देश पुस्तिका का उद्देश्य यौन हिंसा के विरूध्द बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए मीडिया हस्तक्षेप को सुकर बनाना है।.
इसका उद्देश्य मीडिया मे काम कर रहे व्यावसायिकों के लिए हैं तथा अधिकारों के अनुरूप एवं बच्चों के सर्वोतम हित के लिए संगत, संवेदनशील तथा प्रभावी तरीके से बच्चों के विरूध्द यौन हिंसा के मुद्दों के लिए उत्साहवर्ध्दन के लिए आशातीत है।
रेडियों एवं दूरदर्शन उत्पादकों के लिए यह निर्देश पुस्तिका यूनिसेफ से समर्थित, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग तथा प्रसार भारती द्वारा आयोजित चार कार्यशालाओं की पराकाष्ठा है।
भारत मे महिलाओं एवं बच्चों के व्यापार से संबंधित प्रवृत्ति, आयाम, कारकों एवं दायित्वों को जानने के लिए आयोग, ने संयुक्त राष्ट्र महिला विकास निधि एवं समाज विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली संयुक्त रूप से एक अनुसंधान कार्रवाई संचालित की। अवैध व्यापार से सामना करने के लिए रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गई हैं।
लिंग, जाति, धर्म एवं अशक्तता के आधार पर भेदभाव
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सरंक्षण के तहत् इस पुस्तक की रचना की। यह पुस्तिका शिक्षकों को लिंग, जाति, धर्म एवं अशक्तता के आधार पर उनके वार्डों मे अविभेद की भावना को जगाने मे मदद के लिए है। संकल्पनात्मक ढांचे के अलावा, शिक्षक शिक्षा के निहितार्थ के लिए भी, उपरोक्त प्रत्येक क्षेत्रों पर गइराई से चर्चा की गई थी। संगत अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों को भी संलग्न किया गया था।
*उपलब्धता - मुद्रण (द्वितीय अनुशोधित) संस्करण 2004
विश्वविद्यालय छात्रों के लिए 10 डोसीयर की एक तैयार सेट से आसवन समग्रीयों द्वारा यह पुस्तिका बैंगलुरू के महिला सूचना एवं संसाधन केन्द्र द्वारा निर्मित की गई। इसमे बच्चों के अधिकारों, अशक्तता अधिकार, दलितों के अधिकार, जनन अधिकार, मानव अधिकार एवं पर्यावरण, भूमि एवं गृह अधिकार, गृह आधारित श्रामिकों के अधिकार, भूमि अधिकारों के लिए गांधीवादी संघर्ष श्रमिकों के अधिकार एवं सूचना का अधिकार पर लेख समाहित हैं। ये अपने क्षेत्रों से जुड़े हुए प्रतिष्ठित कार्यकत्ताओं एवं शिक्षाविदों द्वारा लिखे गए हैं।
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The NHRC has been concerned about the rights of the persons with disability. It has been making efforts to ensure that the provisions of the legislation namely, the Persons with Disability (Equal Opportunities, Protection of Rights and Full Participation) Act, 1995 are being implemented effectively, so that the relevant facilities are available to these people in accordance with the Act.
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मानव अधिकारों, अशक्तता एवं विधि पर पुस्तिका 23 जून, 2005 को नई दिल्ली मे अशक्तता पर राष्ट्रीय सम्मेलन मे मुद्रण, ब्रेल एवं सुलभ सी डी आरूप मे विमोचित की गई। यह अशक्तता विधिशास्त्र मे प्रभावोत्पादक क्षेत्र के सकरात्मक उदाहरणों का संकलन है। अशक्त लोगों के लिए उनकी संबध्दता स्थापित करने के उद्देश्य से यह विविध प्रकार के सामान्य एवं अशक्तता विशिष्ट साधनों को अन्वेषित करता है जैसे अंतरराष्ट्रीय कोर मानव अधिकार संधियाँ, सरल विधि दस्तावेज घोषणा, उद्धोषणा एवं नियम भारतीय संविधान एवं संगत अध्यादेशों को भी विश्लेषित किया गया है। कानूनी कर्मियों एवं कार्यकत्ताओं द्वारा उनकी व्यापक उपयोगिता को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक न्यायशास्त्र अशक्ता विशिष्ट के साथ-साथ सामान्य मे दस्तावेजी उदाहरण मे सजग प्रयास भी किए गए हैं। प्राप्य विवरण - मुद्रण/ब्रेल/सुलभ सी. डी. (कमजोर दृष्टि वालों के लिए)
This publication is a compilation of the proceedings of the conferences and meetings organized by NHRC on the subject of silicosis.
The National Human Rights Commission has taken upon itself the task of ensuring proper accessibility, quality and affordability of health care to the people of the Country, especially those belonging to the vulnerable and economically weaker sections of society as well as those people living in remote areas.
This book is compilation of 2 Volumes, the first being the report of enquiry into starvation and malnutrition related deaths of children and the second being a summary of field impression emanating from the visit and interaction with all institutional functionaries of all the 15 districts. The first part of the Enquiry Report also carried a detailed study of the current position of food supply and the extent by which the various schemes initiated by the Tribal Development Department, Govt. of Maharashtra have contributed to solve the problems of starvation and infant mortality on the ground.
This book is compilation of 2 Volumes, the first being the report of enquiry into starvation and malnutrition related deaths of children and the second being a summary of field impression emanating from the visit and interaction with all institutional functionaries of all the 15 districts. The first part of the Enquiry Report also carried a detailed study of the current position of food supply and the extent by which the various schemes initiated by the Tribal Development Department, Govt. of Maharashtra have contributed to solve the problems of starvation and infant mortality on the ground.
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भारत के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर 10-11 अप्रैल, 2001 को नई दिल्ली मे लोक स्वास्थ्य एवं मानव अधिकार पर क्षेत्रीय परामर्श आयोजित किया। इस परामर्श मे अग्रिम लोक स्वास्थ्य उद्देश्य में तीन प्राथमिक क्षेत्रों अर्थात् सुलभ स्वास्थ्य देखभाल, पोषण एवं तम्बाकू नियंत्रण में मानव अधिकार सिध्दांतों के लिए कार्य के मार्ग पहचानने की मांग की है। यह पहल लोक स्वास्थ्य में पोषण, विधि एवं मानव अधिकारों तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों में विशेषज्ञों को साथ ले आई। इस प्रकाशन में क्षेत्रीय परामर्श की रिपोर्ट तैयार किए गए विभिन्न प्रस्तुति, चुने गए पृष्ठभूमि पेपर एवं महत्वपूर्ण सिफारिश समाविष्ठ हैं।
भारत के राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर 10-11 अप्रैल, 2001 को नई दिल्ली मे लोक स्वास्थ्य एवं मानव अधिकार पर क्षेत्रीय परामर्श आयोजित किया। इस परामर्श मे अग्रिम लोक स्वास्थ्य उद्देश्य में तीन प्राथमिक क्षेत्रों अर्थात् सुलभ स्वास्थ्य देखभाल, पोषण एवं तम्बाकू नियंत्रण में मानव अधिकार सिध्दांतों के लिए कार्य के मार्ग पहचानने की मांग की है। यह पहल लोक स्वास्थ्य में पोषण, विधि एवं मानव अधिकारों तथा गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों तथा अंतरराष्ट्रीय संगठनों में विशेषज्ञों को साथ ले आई। इस प्रकाशन में क्षेत्रीय परामर्श की रिपोर्ट तैयार किए गए विभिन्न प्रस्तुति, चुने गए पृष्ठभूमि पेपर एवं महत्वपूर्ण सिफारिश समाविष्ठ हैं।
आयोग ने एक सेवानिवृत आई.ए.एस. अधिकारी श्री के. बी. सक्सेना से अनुसूचित जातियों पर हो रहे अत्याचारों पर तथा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा इनकी जांच के लिए इस पहल को आरम्भ करने के विषय मे एक स्थिति रिपोर्ट मांगी है उनकी रिपोर्ट, जो अब प्रकाशित हो चुकी है, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जन-जाति आयोग के रिपोर्टों एवं मानव अधिकार संगठनों एवं दलित गैर-सरकारी संगठनों के द्वारा तैयार की गई कुछ शोधित दस्तावेज रिपोर्टों से ली गई है। संकल्पित अभिकल्पना के अनुसार, अकादमिक अभिविन्यास को छोड़ा गया है तथा कार्यान्वय अभिकरण के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखा गया है। इस रिपोर्ट मे केन्द्र एवं राज्यों मे विभिन्न प्राधिकारियों के लिए बड़ी मात्रा मे सिफारिशें समाहित हैं।
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The National Human Rights Commission was constituted under the provisions of the Protection of Human Rights Act, 1993. The Mandate of the Commission is better protection of Human Rights, Accordingly in Section 2(1)(d) of the protection of Human Rights Act, "Human Rights means the rights relating to life, liberty, equality and dignity of the individual guaranteed by the Constitution or embodied in the International Covenants and enforceable by courts in India". Obviously human rights include all the rights necessary for an individual to lead a life with dignity.
The National Human Rights Commission was constituted under the provisions of the Protection of Human Rights Act, 1993. The Mandate of the Commission is better protection of Human Rights, Accordingly in Section 2(1)(d) of the protection of Human Rights Act, "Human Rights means the rights relating to life, liberty, equality and dignity of the individual guaranteed by the Constitution or embodied in the International Covenants and enforceable by courts in India". Obviously human rights include all the rights necessary for an individual to lead a life with dignity.
यह घोषणा जनवरी 2003 मे आयोग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि के संयुक्त रूप से आयोजित जनसंख्या नीति विकास एवं मानव अधिकारों पर राष्ट्रीय कॉलोक्यिूम मे अंगीकृत किया गया।
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'अपने अधिकार जाने' श्रृंखला नेशनल अकादमि ऑफ लीगल स्टडिज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी (एन ए एल एस आर) हैदराबाद के सहयोग से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा प्रकाशित किया गया।
इन प्रकाश्नों का उद्देश्य बड़े पैमाने मे लोगों को मूलभूत मानव अधिकार को बेहतर तरीके से समझने तथा उन अधिकारों के लिए उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय तंत्रों की जानकारी देना है। 2004-05 के दौरान प्रकाशित अपने अधिकार जाने श्रृंखला है।
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,
- अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार अभिसमय,
- सिर पर मैला ढ़ोना,
- बंधुआ मजदूरी,
- बालश्रम,
- कार्य स्थलों पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न
- अशक्त लोगों के अधिकार
- मानव अधिकार एवं एच आई वी/एड्स
This book will, therefore, be important as it conveys his ideas regarding human rights in the form of articles, impeccably researched and put in precise form. making an interesting reading. The issues covered in these articles are of vital important and they also convey and effective role played by the National Human Rights in addressing them.
The writings are extremely engaging and include interesting facts, observation and anecdots, which keeps the interest of the readers alive. The auther's characteristic wit and humour lovingly draws attention of readers towards a need for greater commitment for human rights issues.
This publication aims at portraying the Commission's interpretation of retiral benefits as a human and its subsequent efforts to ensure a strong platform of Redressal for victims and families suffering from poverty and hardship, upon denial of their hard earned retiral benefits and dues.
Thirteen years is not a very long time in the life of an institution. It is, however, a time span enough to introspect and more importantly, chronicle the journey thus far. A journey that has been a myriad of emotions alternating between anguish, anger, frustration, satisfaction and almost always, deeply moving. The Commission has tried its level best to steadfastly remain focused on the fulfillment of its mandate.
Eighteen years is not a very long time in the life of an institution. It is, however, a time span enough to introspect and more importantly, chronicle the journey thus far. A journey that has been a myriad of emotions alternating between anguish, anger, frustration, satisfaction and almost always, deeply moving. The Commission has tried its level best to steadfastly remain focused on the fulfillment of its mandate.
The NHRC is mandated to visit jails or other institutions under the control of State Government, where persons are detained or lodged for the purposes of treatment, reformation or protection for the study of living conditions of the inmates and make recommendations thereon to the Government. These have been distributed into different volumes based upon the region in which the prisons are located. The first Volume covers 18 prisons located in the four States in Southern region, while the second Volume covers 20 prisons located in Union Territory of Chandigarh and 8 States. The third Volume covers 14 prisons located in the five States of North-Eastern region.
The NHRC is mandated to visit jails or other institutions under the control of State Government, where persons are detained or lodged for the purposes of treatment, reformation or protection for the study of living conditions of the inmates and make recommendations thereon to the Government. These have been distributed into different volumes based upon the region in which the prisons are located. The first Volume covers 18 prisons located in the four States in Southern region, while the second Volume covers 20 prisons located in Union Territory of Chandigarh and 8 States. The third Volume covers 14 prisons located in the five States of North-Eastern region.
The NHRC is mandated to visit jails or other institutions under the control of State Government, where persons are detained or lodged for the purposes of treatment, reformation or protection for the study of living conditions of the inmates and make recommendations thereon to the Government. These have been distributed into different volumes based upon the region in which the prisons are located. The first Volume covers 18 prisons located in the four States in Southern region, while the second Volume covers 20 prisons located in Union Territory of Chandigarh and 8 States. The third Volume covers 14 prisons located in the five States of North-Eastern region.
This compilation of reports for the open hearings conducted at Puri(Odisha), Ahmedabad (Gujarat), Chennai (Tamilnadu) and Jaipur (Rajasthan) gives a brief summary of the proceedings which took place during these open hearings and the type of relief provided by the Commission in such cases.
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This contains the proceedings of the Commission on the situation in Gujarat following communal riots during the period 1 March, 2002 - 1 July, 2002
Implementing Economic, Social and Cultural Rights.
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With the objective of ascertaining the views of all sections of society including academics, jurists, human rights activists, NGOs and others on the issue of Racism, Racial Discrimination, Xenophobia and Related Intolerance, as well as on issues relating to caste and race in India, the Commission held the first National Seminar followed by Public consultation in Bangalore on 3 & 4 August, 2001. The publication contains a report on the proceedings of the Seminar along with various papers presented at it.
With the objective of ascertaining the views of all sections of society including academics, jurists, human rights activists, NGOs and others on the issue of Racism, Racial Discrimination, Xenophobia and Related Intolerance, as well as on issues relating to caste and race in India, the Commission held the first National Seminar followed by Public consultation in Bangalore on 3 & 4 August, 2001. The publication contains a report on the proceedings of the Seminar along with various papers presented at it.
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शुल्क सहित प्रकाशन
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा तैयार किए गए प्रकाशन या तो नि:शुल्क हैं अथवा शुल्क सहित हैं। यदि शुल्क सहित प्रकाशन हो तो पुस्तक के मूल्य की राशि का डिमांड ड्राफ्ट राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली के पक्ष में तैयार कर नई दिल्ली को देय होगा। कुछ प्रकाशन इस वेबसाइट पर इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में उपलब्ध हैं। देखने अथवा डाउनलोड करने के लिए उचित लिंक पर क्लिक करें।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के जर्नल का 15 वां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के जर्नल का 14 वां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के जर्नल का 13 वां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के जर्नल का 12 वां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का ग्यारहवां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का नौवां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का नौवां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का आठवाँ अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का सातवां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का छठा अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का पांचवां अंक है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर जर्नल का चौथा अंक है।
अंग्रेजी जर्नल का चौथा खंड मानव अधिकार शिक्षा एवं जागरूकता पर केन्द्रित है। कानूनी संघ से वरिष्ठ सदस्य एवं परिषद सदस्यों ने इस प्रकाशन के लिए सहयोग किया। वर्ष 2005 के दौरान मानव-अधिकार संबंधित मुद्दों पर पुस्तकों की समीक्षा के अलावा इस जर्नल मे आयोग की महत्वपूर्ण टिप्पणियों / निर्णयों / विचारों की प्रधानता है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार पर जर्नल का तीसरा अंक है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के जर्नल के तीसरे अंक में आतंकवाद, अवैध व्यापार, सूचना का अधिकार, बैध्दिक सम्पत्ति अधिकार, कृषिगत जैव-प्रौद्योगिकी एवं मनोवैज्ञानिक अशक्तता इत्यादि से संबंधित मानव अधिकार मुद्दों पर विशेषज्ञों के लेख समाविष्ट है। जर्नल में आयोग के महत्वपूर्ण टिप्पणियों / निर्णयों / विचारों का एक भाग तथा महत्वपूर्ण रिपोर्टों पर एक भाग भी है।
यह राष्ट्रीय मानव अधिकार पर जर्नल का दूसरा अंक है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के जर्नल के दूसरे अंक में विकास का अधिकार, महिलाओं का अधिकार, जनसंख्या स्थिरता/एच आई वी/ एड्स, दंड सुधार, आवास का अधिकार इत्यादि पर प्रतिष्ठित विशेषज्ञों के महत्वपूर्ण लेख समाविष्ट हैं। जर्नल में आयोग के महत्वपूर्ण टिप्पणियों / निर्णयों / विचारों का एक भाग भी समविष्ट है।
आयोग ने देश में दाण्डिक न्याय प्रदान करने की व्यवस्था एवं न्यायिक विज्ञान सेवाओं में विकास के प्रभावी इस्तेमाल के प्रश्न की देख-रेख के लिए एक कोर ग्रुप का गठन किया है। न्यायिक विज्ञान व्यवस्था में कमियों एवं अच्छे काम को समझने के लिए 1999 में प्रकाशित इस पुस्तक में विद्यमान न्यायिक विज्ञान समर्थन रचना का एक गहन अध्ययन समाविष्ट है। यह विद्यमान प्रयोगशाला के सुधार तथा शक्तिवर्धन की सलाह देता है तथा नवीन सुसज्जित न्यायिक प्रयोगशाला की स्थापना का सुझाव देता है।
यह पुस्तिका नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बंगुलरू के राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थान द्वारा तैयार की गई है जिसमें विचारण न्यायालयों के न्यायाधीशों/मजिस्ट्रेटों के प्रतिदिन के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया जाता है एवं उपयुक्त सूचना प्रदान की जाती है जो उनके परिप्रेक्ष्य में मानव अधिकार अनुकूल गुणवत्ता में वृध्दि कर सकती है। इनका उदे्श्य मुख्यत: जिला स्तर पर न्यायिक अधिकारियों की आवश्यकताओं को बताना हैं। इनका उदे्श्य मानव अधिकार संरक्षण में दिलचस्पी लेने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक औजार बनना है।
आयोग 12 अक्टूबर, 1993 को अपनी स्थापना के समय से लोक प्राधिकारियों के विरूध्द असंख्य शिकायत प्राप्त कर रहा है जो निरपराध लोगों के अधिकारों का हनन करने के लिए अपनी शक्ति का तथाकथित दुरूपयोग तथा हनन करते है। इससे निपटने के लिए आयोग समय-समय पर लोक कर्मचारियों तथा अन्यों का मार्गदर्शन करने के लिए आयोग अनुदेश तथा दिशा-निर्देश जारी करता रहा है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के महत्वपूर्ण अनुदेश/दिशा-निर्देश (द्वितीय संशोधित) संस्करण
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने विनिर्माण प्रक्रिया एवं पैकिंग, संचयन, विक्रय, वितरण, संचलन, संबंध नियमों, तथा अंत: शिरा तरल की सम्पूर्ण व्यवस्थित पध्दति की देख-रेख के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया हैं। समिति ने लार्ज वॉल्यूम पेरेंटरल : टुवर्ड्स जीरो डिफेक्ट नामक एक व्यापक रिपार्ट पेश की।
देश में मानसिक अस्पतालों की स्थिति सुधारने तथा मानसिक रूप से अशक्त व्यक्तियों के अधिकारों की जागरूकता के लिए कार्य योजना की तैयारी को मद्दे नज़र रखते हुए, आयोग ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बंगलुरू को एक अनुसंधान परियोजना सौंपी है। 1999 में प्रकाशित पुस्तक, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान के दल द्वारा की गई जांच एवं अनुसंधान कार्य की रिपोर्ट है इसमें देश में मानसिक स्वास्थ्य पर लम्बी चर्चा की गई है इसमें सभी 37 मानसिक अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य की देख-रेख में सुधार लाने की सिफारिश समाविष्ट है।
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शब्दावली में मानव अधिकार भाषणों में प्रतिनिधि समूह के लोगों द्वारा मलयालम और हिन्दी में प्रयोग किए गए शब्दों का अंग्रेजी विकल्प समाविष्ट है।
शब्दावली में मानव अधिकार भाषणों में प्रतिनिधि समूह के लोगों द्वारा मलयालम और हिन्दी में प्रयोग किए गए शब्दों का अंग्रेजी विकल्प समाविष्ट है।
शब्दावली में दस हजार से ज्यादा शब्द समाविष्ट हैं तथा इसे विभिन्न वर्गों अर्थात् शब्दावली, पदनाम से संबंधित शब्द, संस्था, अधिनियम, संक्षिप्तियां, अभिसमय, प्रसंविदा, न्याचार, वाक्यों के हिस्से तथा मानव अधिकार से संबंधित अंतरराष्ट्रीय प्रपत्रों की सूची में विभक्त किया गया है।
अशक्तता अधिकार वाद-विवाद में काम का अधिकार को केंद्रीय अधिकार प्राप्त है। अशक्त लोगों को रोजगार दिलाने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार ने एक कानूनी ढांचा तथा प्रशासनिक बनावट को एक प्रभावोत्पादक क्षेत्र में रखा है। यह पुस्तिका अनुदेशों देने तथा उनके पदाधिकारियों को कानूनी एवं प्रशासनिक व्यवस्थाओं की जटिलताओं से अवगत कराने का प्रयास है।
शब्दावली में मानव अधिकार भाषणों में प्रतिनिधि समूह के लोगों द्वारा हिन्दी में प्रयोग किए गए शब्दों का अंग्रेजी विकल्प समाविष्ट है।
इस पुस्तक में वृध्दावस्था पेंशनरों के कानूनी ढांचे के चारों ओर प्रचार की दृष्टि से तथा इसके द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में सरकारी अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य पणधारियों को संवेदनशील बनाना समाविष्ट है