रजत जयंती व्याख्यान

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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने अपने रजत जयंती समारोह की श्रृंखला में 10 सितम्बर, 2018 को मानव अधिकारों के क्षेत्र में अथक रूप से कार्यरत तीन प्रसिद्ध व्यक्तियों के व्याख्यानों का आयोजन किया। इनमें नोबल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी, शक्ति एवं संसाधन संस्थान (टेरी) के महानिदेशक डॉ. अजय माथुर तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री प्रकाश सिंह शामिल थे।

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नोबल पुरस्कार से सम्मानित तथा ’बचपन बचाओ आन्दोलन’ के संस्थापक श्री कैलाश सत्यार्थी ने मुख्य अतिथि के रूप में सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब असुविधाजनक सत्य एवं असंतोषपूर्ण आवाज़ों के लिए स्थान कम होता जा रहा है, तब देश को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग एवं राज्य मानव अधिकार आयोगों जैसे जीवंत एवं स्वतंत्र संस्थानों की आवश्यकता है। उन्होंने आयोग को रजत जयंती की बधाई देते हुए मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्द्धन मे वर्ष 1993 में अपने स्थापना काल से ही राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की भूमिका की प्रशंसा की। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के साथ लम्बे समय से जुड़े होने के विषय में बताया तथा यह भी बताया कि किस प्रकार से देश में बाल अधिकारों के संरक्षण हेतु उनकी लड़ाई एवं उनके जीवन की रक्षा करने को आयोग के हस्तक्षेप द्वारा समर्थन मिला। उन्होंने यह भी बताया कि आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री रंगनाथ मिश्रा एवं सदस्य न्यायमूर्ति श्री वी. एस. मल्लिमठ के व्यक्तिगत हस्तक्षेप से किस प्रकार यह सुनिश्चित हो पाया कि सरकारी सेवकों द्वारा घरेलू कामगारों के रूप में बच्चों की नियुक्ति पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया। इससे उन्हें देश में बाल मज़दूरी को प्रतिबंधित करने के लिए उच्चतम न्यायालय के समक्ष मामले को रखने में सहायता मिली। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार, विशेष कानूनों के प्रवर्त्तन के लिए केवल सीमित नहीं हैं। हमें ऐसी मानव अधिकार संस्कृति का निर्माण करना चाहिए जो मानव मूल्यों के साथ जीना सिखाए, जिसमें एक-दूसरे के प्रति सम्मान एवं सहिष्णुता हो तथा हमारे देश में अनेकता के प्रति भी सम्मान हो। यह सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है न कि केवल सरकार, न्यायपालिका एवं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग जैसे सांविधिक निकायों की। उन्होंने कहा कि कानून होने के बावजूद देश में बाल अधिकारों के क्षेत्र में चुनौतियां समाप्त नहीं हुईं हैं। बाल तस्करी एवं बाल मजदूरी अभी भी विद्यमान है तथा सभी पणधारियों द्वारा इससे निपटने के लिए कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

श्री सत्यार्थी ने हाल ही में बच्चा उठाने एवं गौरक्षकों के शक के कारण हुई भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं के प्रति चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे स्थान जिन्हें बच्चों के पुनर्वास एवं उनके अधिकारों के संरक्षण हेतु वातावरण मुहैया कराने के लिए बनाया गया है, वे उनके उत्पीड़न के स्थान बनते जा रहे हैं। उन्होंने सरकार से इसे रोकने का आग्रह किया।

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श्री प्रकाश सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश ने अपने व्याख्यान में रेखांकित किया कि भारत प्राचीन काल से ही मानव अधिकारों की अवधारणा का पालन करता आया है। इसकी झलक इसके संविधान तथा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन एवं स्वतंत्रता के मूलभूत मानव अधिकारों के संरक्षण एवं सुरक्षा हेतु बनाए गए विशेष कानूनों में भी मिलती है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार सुरक्षा बलों द्वारा मानव अधिकारों का पालन करने पर अत्यधिक ज़ोर दे रही है परन्तु इस संदर्भ में समय-समय पर कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए हैं चाहे वह उच्चतम न्यायालय एवं पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में पंजाब में आतंकवाद के खात्मे के बाद पंजाब पुलिस बल के विरुद्ध लगभग 2500 रिट याचिकाएं दर्ज करवाना, जिसके कारण अधिकारियों एवं लोगों का बड़े पैमाने पर नैतिक पतन हुआ था, अथवा मणिपुर में असाधारण न्यायिक निष्पादन के मामले में सशस्त्र बलों के विरुद्ध जुलाई, 2016 में उच्चतम न्यायालय के निर्णय की पृष्ठभूमि में उत्पन्न वर्तमान विवाद हो।

श्री सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों से आ रही असहमति की आवाज़ों पर गम्भीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है तथा विद्रोह की स्थिति में मानव अधिकारों के व्यापक प्रश्नों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ने पर राजनीतिक मतैक्य की कमी के कारण देश को इसके बुरे प्रभावों का सामना करने की क्षमता पर असर पड़ता है। हमें सुरक्षा चिंताओं एवं मानव अधिकार विचार के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। वह दुखद दिन होगा यदि किसी भी स्थिति में हम मानव अधिकारों की लड़ाई तो जीत लेते हैं परन्तु हमारे देश की एकता एवं अखण्डता को कायम रखने की लड़ाई हार जाते हैं।

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डॉ. अजय माथुर, महानिदेशक, टेरी ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के रजत जयंती व्याख्यान देते हुए कहा कि सभी के मानव अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सभी के लिए स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने के कारणों एवं साधनों एवं उपायों पर आम सहमति बनाने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत से आग्रह किया कि मानव अधिकारों के रूप में स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार के विषय में एक विचार-विमर्श शुरू करें ताकि इस प्रकार के अधिकार की सीमाओं के भीतर इसको समझने के लिए एक आम राय बनाने में सहायता मिले।

टेरी के महानिदेशक ने कहा कि किसी आपत्ति से निपटने के लिए समझ की कमी है उदाहरण के लिए लैण्डफिल साइट क्षेत्र से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ रहा है जिससे लोगों के जीवन एवं गरिमा को जाखिम है, हालांकि, यह संभवतः उन हजारों लोगों के मानव अधिकारों के उल्लंघन का स्पष्ट मामला है जो लैण्डफिल्स के आस-पास के क्षेत्र में रहते हैं।

डॉ. माथुर ने कहा कि मानव अधिकारों की संकल्पना तथा उनका उल्लंघन व्यापक है तथा यह बढ़ता जा रहा है जो कि समय-समय पर तथा एक देश से दूसरे देश में भिन्न-भिन्न है। अन्तरराष्ट्रीय निकायों, जिनमें संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान एवं भारतीय घरेलू कानून के तहत तथा संवैधानिक गारंटी की व्याख्या के माध्यम से न्यायिक घोषणाओं के द्वारा मानव अधिकार के रूप में स्वच्छ वातावरण के अधिकार को रेखांकित किया गया है।

मानव अधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों से निपटने में आयोग की भूमिका एवं सहयोग की प्रशंसा करते हुए टैरी प्रमुख ने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के साथ-साथ विश्व में इसके समान आयोग इस वास्तविकता की झलक देते हैं कि व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमा के अधिकारों का बहुधा उचित रूप से पालन नहीं किया जाता है।

इससे पूर्व राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री एच. एल. दत्तू ने कहा कि आयोग समारोहों की एक श्रृंखला के साथ इस महत्त्वपूर्ण अवसर को मना रहा है और ये व्याख्यान उसी का एक महत्त्वपूर्ण भाग हैं। आयोग अन्य मुद्दों के साथ-साथ असाधारण न्यायिक हत्याओं, जेल दशाओं, बंधुआ एवं बाल मज़दूरी तथा कमज़ोर वर्गों के संरक्षण जिनमें महिलाओं एवं बच्चों, दिव्यांगों एवं वृद्ध जनों का संरक्षण शामिल है, पर भी कार्य करने में जुटा हुआ है।

न्यायमूर्ति दत्तू ने कहा कि आयोग समाज में मानव अधिकार साक्षरता का प्रसार करने तथा विभिन्न प्रकाशनों एवं मीडिया, सम्मेलनों एवं अन्य उपलब्ध साधनों के माध्यम से इन अधिकारों के संरक्षण हेतु उपलब्ध सुरक्षोपायों की जागरुकता का संवर्द्धन करने का भी प्रयास कर रहा है। हाल ही में, मानव अधिकारों के संरक्षण का संदेश फैलाने के लिए उन्होंने कहा कि आयोग ने भारत सरकार के डलळवअ पोर्टल पर ’ऑनलाइन मानव अधिकार शपथ’ का शुभारम्भ किया है, जो व्यक्ति एवं संगठन दोनों के लिए ही मानव अधिकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाने का संकेत है।

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आयोग जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों तक पहुंचने के लिए प्रयास कर रहा है जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो देश के दूरस्थ क्षेत्रों में रहते हैं। वास्तविकता यह है कि आयोग ने देश के कोने-कोने तक अपनी पहुंच को बढ़ाने में सफलता हासिल की है। इसे प्रतिवर्ष आयोग को प्राप्त होने वाली शिकायतों की बढ़ती संख्या से भी आंका जा सकता है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने बाल अधिकारों के संरक्षण में योगदान के लिए श्री कैलाश सत्यार्थी, अधिकार परिप्रेक्ष्य के साथ पर्यावरण अधिकारों के क्षेत्र में योगदान के लिए डॉ. अजय माथुर तथा भारत में पुलिस सुधारों में अपने बहुमूल्य योगदान के लिए श्री प्रकाश सिंह की सराहना करते हुए कहा कि मानव अधिकारों के प्रति सच्ची निष्ठा के लिए निरन्तर प्रयासों की आवश्यकता होती है ताकि सभी व्यक्तियों एवं प्राकृतिक वातावरण एवं सतत् विकास के लिए आपसी संबंध को पोषित किया जा सके।