राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने ग्लोबल अलायंस ऑफ़ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशन्स, गनहरी के साथ पांच वर्षों की अवधि में लगातार चैथी बार अपनी ‘ए’ स्थिति को कायम रखा। यह उन राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों को दिया जाता है, जो प्रति पांच वर्ष की समीक्षा की कठिन प्रक्रिया के बाद यू. एन. अधिदेशित पेरिस सिद्धांतों का पूर्णतः अनुपालन करते हुए पाए जाते हैं। 19-23 फरवरी, 2018 को जिनेवा, स्विटजरलैण्ड में आयोजित वार्षिक बैठक के दौरान इस संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री एच. एल. दत्तू को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था। इस अवसर पर आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति श्री पी. सी. घोष तथा महासचिव श्री अम्बुज शर्मा भी उपस्थित थे।
यह मान्यता, राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थान को अंर्तराष्ट्रीय पहचान एवं संरक्षण प्रदान करती है। ‘ए’ श्रेणी मान्यता गनहरी के कार्य एवं नीति निर्माण के साथ-साथ मानव अधिकार परिषद एवं अन्य यू. एन. तंत्रों के कार्य में भागीदारी भी प्रदान करती है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत को ‘ए’ श्रेणी की मान्यता पहली बार 1999 में मिली थी, जो 2006 तथा समीक्षाओं में बनी रही। यह वर्ष 2016 में समीक्षा की प्रक्रिया के अधीन थी, जिसे नवम्बर 2017 के द्वितीय सत्र के लिए स्थगित किया गया, जिसके दौरान गनहरी की मान्यता संबंधी उप समिति ने संस्तुति की कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत को पुनः ‘ए’ श्रेणी दी जाए। गनहरी की मान्यता संबंधी उप समिति के माध्यम से गनहरी द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थान की समीक्षा की कठोर प्रक्रिया के बाद यह मान्यता दी गई। संयुक्त राष्ट्र के पेरिस सिद्धांत एक अंर्तराष्ट्रीय स्तर प्रदान करता है जिसके विरूद्ध राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों को मान्यता दी जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1993 में अंगीकृत पेरिस सिद्धांत मानव अधिकारों के संरक्षण, शिक्षा, संपर्क, मीडिया, प्रकाशन, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के साथ-साथ सरकार को सलाह एवं सहायता देने के माध्यम से राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों से अपेक्षा रखते हैं। जिसमें शिकायतें प्राप्त करना, जांच करना समाधान करना, विवाद में मध्यस्थता तथा मॉनीटरिंग गतिविधियों तथा मानव अधिकारों का प्रसार करना भी शामिल हैं।
पेरिस सिद्धांतों में राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों से अपेक्षित छः मुख्य मानदंड निर्धारित किए गए हैं। ये हैं:- जनादेश और क्षमता, सरकार से स्वायत्तता, कानून अथवा संविधान द्वारा गरंटीकृत स्वतंत्रता, बहुलवाद, पर्याप्त संसाधन तथा जांच की पर्याप्त शक्तियां/गनहरी ने पाया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत इन मानदंडों के संगत है तथा इसे ‘ए’ श्रेणी की मान्यता दी। मानव अधिकार उच्चायोग का कार्यालय मान्यता संबंधी उप-समिति का स्थायी देखने वाला है तथा गनहरी एवं इसके एस.सी.ए. के लिए सचिवालय के रूप में कार्य करता है। पिछले वर्षों में गनहरी मान्यता प्रणाली विकसित एवं सुदृढ़ हुई है। गनहरी द्वारा प्रक्रिया को सुधारने के लिए अंगीकृत प्रणाली में शामिल है:- एक ऐसी प्रणाली जिसके द्वारा राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों को 5 वर्ष के आवधिक आधार पर समीक्षा की जाए; सर्वोच्च पारदर्शिता एवं उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों हेतु अपील प्रक्रिया; प्रत्येक आवेदन की अधिक कठिन समीक्षा; अधिक केन्द्रित संस्तुतियां तथा राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों एवं अन्य पणधारियों द्वारा एस.सी.ए. संस्तुतियांे की जानकारी का वृहद् वितरण, ताकि उनका देश में अनुपालन हो तथा मान्यता प्रक्रिया में योगदान दें।