उत्तर प्रदेश के एटा जिले में एक अस्पताल के बिस्तर पर 92 वर्षीय कैदी को जंजीर में जकड़े जाने पर एनएचआरसी ने गंभीरता से लिया: नोटिस जारी करते हुए यह माना कि यह घटना राज्य में सजा समीक्षा बोर्ड की गड़बड़ी को इंगित करती है।



नई दिल्ली, 18 जून, 2021

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश के एटा जिला अस्पताल में इलाज के दौरान एक 92 वर्षीय कैदी को बिस्तर पर जंजीर से जकड़ने पर गंभीरता से विचार किया है। एक शिकायत जिसमें मामले में एक समाचार कतरन संलग्न की, पर संज्ञान लेते हुए, आयोग ने पाया है कि एक 92 वर्षीय बीमार कैदी का जेल में रखना राज्य में सजा समीक्षा बोर्ड की गड़बड़ी को इंगित करता है। तदनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर इसकी प्राप्ति की तारीख से 6 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी हैं, जिसमें निम्नलिखित को स्पष्ट किया जाना हैः-

1. सजा समीक्षा बोर्ड की पिछली बैठक कब हुई थी;

2. सजा समीक्षा बोर्ड के समक्ष कितने मामले लंबित है;

3. वर्ष 2020 और 2019 में सजा समीक्षा बोर्ड द्वारा कितनी सजाओं को कम किया गया है, और;

4. मामलों को सजा समीक्षा बोर्ड को भेजने के लिए जेलों में किस प्रणाली का पालन किया जा रहा है?

आयोग ने आगे देखा है कि सीआरपीसी की धारा 433 और जेल नियमों के तहत, सरकार के पास सजा समीक्षा बोर्ड के माध्यम से सजा को कम करने की शक्ति है। ऐसे वृद्ध और बीमार कैदियों के देखभाल के बोझ से सरकार को राहत देने के लिए कैदियों के मानव अधिकारों की सुरक्षा और जेलों में भीड़ कम करने के लिए सजा समीक्षा बोर्ड के कामकाज में सुधार किया जाना चाहिए।

कथित तौर पर, घटना पिछले महीने में हुई थी और इस मामले में जेल वार्डन को उसकी लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था।

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