एनएचआरसी के हस्तक्षेप से मृत सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी की पत्नी को 33 साल से लंबित पारिवारिक पेंशन का भुगतान सुनिश्चित हुआ।



नई दिल्ली, 25 जुलाई, 2022

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने सुनिश्चित किया है कि एक महिला को उसकी पारिवारिक पेंशन मिले, जो कि उसके पति की 1987 में मृत्यु होने के बाद से पिछले 33 वर्षों से उसे नहीं मिल रही थी। वह सफदरजंग अस्पताल से एक सेवानिवृत्त एम्बुलेंस चालक था।

सफदरजंग अस्पताल के वेतन एवं लेखा कार्यालय ने आयोग को सूचित किया है कि उनका पारिवारिक पेंशन आदेश 22 जून, 2022 को जारी किया गया है। अब वह 9,000 रुपये मासिक पेंशन पाने की हकदार हैं। इसके अलावा, पीड़ित को 03 दिसंबर, 1987 से 31 मार्च, 2022 तक की अवधि के लिए पारिवारिक पेंशन की बकाया राशि के भुगतान की अनुमति प्रदान की गई है। आयोग ने पीड़िता की शिकायत के आधार पर 11 मार्च, 2021 को मामला दर्ज किया था।आयोग द्वारा संबंधित प्राधिकारियों को भेजे गए नोटिस के जवाब में आयोग को सूचित किया गया कि जिस फाइल के माध्यम से विभाग द्वारा पीड़ित को ज्ञापन जारी किया गया था, उसे नष्ट कर दिया गया है। यह भी बताया गया कि पेंशन भुगतान आदेश उनके पति के पक्ष में जारी किया गया था, हालांकि, पारिवारिक पेंशन कॉलम 'एन/ए' यानी अविवाहित के रूप में छोड़ दिया गया था, इसलिए पारिवारिक पेंशन अधिकृत नहीं थी।

आयोग ने उसकी पारिवारिक पेंशन से इनकार करने के ऐसे किसी भी नियम के आधार पर तर्क को स्वीकार नहीं किया, क्योंकि संबंधित कॉलम में इसे अनजाने में 'लागू नहीं' के रूप में उल्लेख किया गया हो सकता है। आयोग ने पाया कि रिकॉर्ड नष्ट होने की स्थिति में, संबंधित प्राधिकारी शिकायतकर्ता/आवेदक के पास उपलब्ध रिकॉर्ड की प्रतियों के आधार पर नई फाइल बनाने का हकदार और सक्षम है और तथ्यों के सत्यापन के अधीन है कि वह कानूनी रूप से सरकारी कर्मचारी की विवाहित पत्नी है, जिसकी सेवानिवृत्ति के बाद मृत्यु हो गई थी।

जवाब में, आयोग को सूचित किया गया कि इस उद्देश्य के लिए एक टीम का गठन किया गया था। टीम ने पुष्टि की कि मृतक की कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के रूप में पीड़ित की स्थिति उसकी पारिवारिक पेंशन के साथ-साथ बकाया भुगतान का मार्ग प्रशस्त करती है।

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