एनएचआरसी द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, एफएसएसएआई और भारतीय औषधि महानियंत्रक को हिमाचल प्रदेश में पौष्टिक-औषधीय कंपनियों द्वारा खाद्य पूरक के नाम पर नकली दवाओं के कथित उत्पादन पर नोटिस जारी



नई दिल्ली, 2 जून, 2023

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि हिमाचल प्रदेश के सोलन में बद्दी औद्योगिक क्षेत्र पौष्टिक-औषधीय कंपनियों द्वारा पूरक आहार के नाम पर नकली विटामिन, सिरप और दवाओं का उत्पादन केंद्र बन गया है। कथित तौर पर, इस क्षेत्र में 100 से अधिक पौष्टिक-औषधीय कंपनियां सक्रिय हैं, जिनके पास खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत केवल खाद्य उत्पादों का उत्पादन करने का लाइसेंस है। इसलिए, ये भारतीय औषधि महानियंत्रक और राज्य खाद्य सुरक्षा विभाग के दायरे से बाहर हैं। ये कंपनियां सरकारी विभागों के बीच तालमेल की कमी का फायदा उठा रही हैं।

आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह सरकारी विभागों की ओर से समन्वय की स्पष्ट कमी और उदासीनता के कारण लोगों के जीवन के अधिकार से संबंधित एक गंभीर मुद्दा उठाती है। तदनुसार, आयोग ने सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, अध्यक्ष, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण और भारतीय औषधि महानियंत्रक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

रिपोर्ट में विटामिन और सप्लीमेंट आदि के उत्पादन के नाम पर पौष्टिक-औषधीय कंपनियों द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य में नकली दवाओं की आपूर्ति और बिक्री की जांच करने के लिए प्रासंगिक कानूनों के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति शामिल होनी चाहिए।

30 मई, 2023 को की गई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पांच कंपनियों को सील किया गया है, जिनमें से तीन कंपनियों के पास खाद्य सामग्री बनाने का लाइसेंस था और कानून के मुताबिक वे एलोपैथिक दवाएं नहीं बना सकतीं। वर्ष 2006 तक, सभी पौष्टिक-औषधीय कंपनियां खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 के दायरे में थीं और राज्य के खाद्य सुरक्षा विभाग के पास नमूनों की जांच करने, निगरानी करने और लाइसेंस जारी करने का अधिकार था, लेकिन जब खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम,2006 अस्तित्व में आया, इस संबंध में सभी अधिकार केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित कर दिया गया।

कथित तौर पर, इन कंपनियों के लाइसेंस एफएसएसएआई द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत दिए जाते हैं, जो कोई शिकायत प्राप्त होने पर ही साल में एक या दो बार नमूनों की जांच के लिए हिमाचल प्रदेश का दौरा करते हैं। न तो राज्य का औषधि नियंत्रक और न ही खाद्य आपूर्ति विभाग दवाओं के नमूनों की जांच और इन कंपनियों के खिलाफ पूछताछ कर सकता है।

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