एनएचआरसी ने आयोग द्वारा मानव अधिकारों पर आयोजित 8वीं लघु फिल्म प्रतियोगिता में 2 लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिए मराठी लघु फिल्म 'चिरभोग'; 1.5 लाख रुपये के द्वितीय पुरस्कार के लिए असमिया लघु फिल्म 'इनेबल्ड' और 1 लाख रुपये के तृतीय पुरस्कार के लिए...
एनएचआरसी ने आयोग द्वारा मानव अधिकारों पर आयोजित 8वीं लघु फिल्म प्रतियोगिता में 2 लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिए मराठी लघु फिल्म 'चिरभोग'; 1.5 लाख रुपये के द्वितीय पुरस्कार के लिए असमिया लघु फिल्म 'इनेबल्ड' और 1 लाख रुपये के तृतीय पुरस्कार के लिए तमिल लघु फिल्म 'अचम थावीर' का चयन किया
नई दिल्ली, 3 मई, 2023
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने मानव अधिकारों पर आयोग द्वारा आयोजित 8वीं प्रतिष्ठित लघु फिल्म प्रतियोगिता में श्री नीलेश अम्बेडकर की 'चिरभोग' को 2 लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिए चुना है।
यह फिल्म एक लड़के की कहानी और उसके अपमानजनक संघर्षों के माध्यम से समाज में जाति और व्यवसाय आधारित निरंतर भेदभाव को उजागर करती है, जब तक कि वह लड़का स्वतंत्रता, समानता, गरिमा और शिक्षा के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सिद्धांत और व्यवहार में विरोधाभासों को उजागर करने के लिए खड़े होने का फैसला नहीं करता है। यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ मराठी में है।
श्रीमती भवानी डोले ताहू की 'इनेबल्ड' को 1.5 लाख रुपये के द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। फिल्म, एक अलग तरह से असक्षम बच्चे की कहानी के माध्यम से, दिव्यांगजनों के बारे में मानसिकता बदलने और माता-पिता द्वारा उनके पालन-पोषण में उनके जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के अधिकारों के प्रति भेदभाव को कम करने पर जोर देती है। यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ असमिया में है।
श्री टी. कुमार की 'अचम थावीर' को 1 लाख रुपये के तृतीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह फिल्म एक छात्रा की कहानी के माध्यम से स्कूल में किसी भी तरह के अनुचित स्पर्श और यौन उत्पीड़न के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने की कोशिश करती है तथा शिक्षकों के साथ-साथ स्कूल प्रशासन को इसके बारे में सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर देती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके सम्मान और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन न हो। यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ तमिल में है।
आयोग ने 'विशेष उल्लेख प्रमाणपत्र' के लिए चुनी गई प्रत्येक फिल्म को 50,000/- रुपये का नकद पुरस्कार देने का भी निर्णय लिया है। इस श्रेणी की तीन फिल्में हैं:
1. श्री राजदत्त रेवंकर की 'लॉस्ट ऑफ प्रोग्रेस' दर्शाती है कि कैसे माता-पिता की अपने बच्चों से उन्हें हरफनमौला बनाने की अत्यधिक अपेक्षाएं अनुचित दबाव पैदा कर रही हैं और उन्हें प्राकृतिक विकास से वंचित कर रही हैं। यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ हिंदी में है।
2. इंजीनियर अब्दुल रशीद भट की 'डोन्ट बर्न लीव्स' एक वृत्तचित्र है जो सूखी पत्तियों को जलाने के कारण वायु प्रदूषण की समस्या और पर्यावरण को प्रभावित किए बिना इनका निपटान करने की वैज्ञानिक विधि पर प्रकाश डालता है। यह फिल्म अंग्रेजी में है।
3. श्री हरिल शुक्ला की 'यू-टर्न' महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की समस्याओं से निपटने में समाज के दोहरे मानदंड को दर्शाती है। यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ हिंदी में है।
एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में पूर्ण आयोग, जिसमें सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले और श्री राजीव जैन शामिल थे, ने पुरस्कार विजेता फिल्मों का चयन किया। पूर्ण आयोग जूरी के अन्य सदस्यों में एनएचआरसी, महासचिव, श्री देवेंद्र कुमार सिंह, महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री देवेंद्र कुमार निम, उप निदेशक (एम एंड सी), श्री जैमिनी कुमार श्रीवास्तव और बाहरी विशेषज्ञों में, श्री लीलाधर मंडलोई, वृत्तचित्र निर्माता और पूर्व महानिदेशक, ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन, तथा प्रोफेसर संगीता प्रणवेंद्र, भारतीय जनसंचार संस्थान शामिल थे।
एनएचआरसी लघु फिल्म पुरस्कार योजना का उद्देश्य मानवाधिकारों के संर्वधन एवं और संरक्षण की दिशा में सिनेमाई और रचनात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करना और स्वीकार करना है। प्रतियोगिता में कुल 123 लघु फिल्में शामिल की गई थी।
आयोग द्वारा कुछ समय बाद विजेता फिल्मों को पुरस्कार प्रदान करने हेतु एक उत्सव और पुरस्कार समारोह आयोजित करने की योजना है।
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