एनएचआरसी, भारत का ग्लोबल दक्षिण के एनएचआरआई के लिए मानव अधिकारों पर दूसरा आईटीईसी कार्यकारी क्षमता निर्माण कार्यक्रम संपन्न
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली: 8 मार्च, 2025
एनएचआरसी, भारत का ग्लोबल दक्षिण के एनएचआरआई के लिए मानव अधिकारों पर दूसरा आईटीईसी कार्यकारी क्षमता निर्माण कार्यक्रम संपन्न
यह कार्यक्रम विदेश मंत्रालय, भारत सरकार की साझेदारी में आयोजित किया गया
अपने समापन भाषण में, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी.रामासुब्रमण्यन ने बेहतर दुनिया की नींव के रूप में ज्ञान के मुक्त आदान-प्रदान पर जोर दिया
उन्होंने कहा, मानवता में पृथ्वी पर एक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने की शक्ति है
ग्लोबल दक्षिण के 11 एनएचआरआई के 35 वरिष्ठ पदाधिकारियों को शासन और मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर कई प्रतिष्ठित वक्ताओं द्वारा संबोधित किया
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत द्वारा विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में ग्लोबल दक्षिण के राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों (एनएचआरआई) के वरिष्ठ पदाधिकारियों के लिए मानव अधिकारों पर दूसरा छह दिवसीय आईटीईसी कार्यकारी क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। समापन सत्र को एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी.रामासुब्रमण्यन ने सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ.) बिद्युत रंजन सारंगी, श्रीमती विजया भारती सयानी और महासचिव श्री भरत लाल की उपस्थिति में संबोधित किया।
सोमवार 3 मार्च, 2025 को शुरू हुए इस कार्यक्रम में मेडागास्कर, युगांडा, तिमोर लेस्ते, डीआर कांगो, टोगो, माली, नाइजीरिया, मिस्र, तंजानिया, बुरुंडी और तुर्कमेनिस्तान के 11 एनएचआरआई के 35 वरिष्ठ पदाधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में प्रतिष्ठित व्यक्तियों और डोमेन विशेषज्ञों के साथ संवादात्मक सत्र शामिल थे, और प्रतिभागियों को नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ भारत के लोगों द्वारा प्राप्त सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया गया। 6 दिवसीय कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं में एनएचआरसी के अध्यक्ष, सदस्य, महासचिव श्री वी.के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग और भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री राजीव कुमार, नीति आयोग के मिशन निदेशक श्री युगल किशोर जोशी और संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व पीआर राजदूत अशोक कुमार मुखर्जी, संयुक्त राष्ट्र के अर्थशास्त्री और विकास समन्वयक श्री क्रिस गैरोवे, पूर्व महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव, पूर्व रजिस्ट्रार (विधि) श्री सुरजीत डे और एनएचआरसी के पूर्व संयुक्त सचिव श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री डी.के. निम शामिल थे। कार्यक्रम में भाग लेने वाले विभिन्न एनएचआरआई के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा अपने अनुभव साझा करने से भी कार्यक्रम समृद्ध हुआ।
अपने समापन भाषण में एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामासुब्रमण्यन ने सभी उपस्थित लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ज्ञान का मुक्त आदान-प्रदान एक बेहतर दुनिया की नींव है, उन्होंने कहा कि मानवता में पृथ्वी पर एक न्यायपूर्ण और सामंजस्यपूर्ण समाज बनाने की शक्ति है। ऋग्वेद का हवाला देते हुए उन्होंने सभी के विचारों को महत्व देने पर जोर दिया और दोहराया कि सभी मानवीय प्रयासों का अंतिम उद्देश्य सभी के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है।
उन्होंने मानवता के सार्वभौमिक सार पर वाक्पटुता से विचार किया तथा मानव जाति की एकता और उसके द्वारा निर्मित रत्नों के के बीच समानताएं रेखांकित की। अपने संबोधन का समापन करते हुए उन्होंने सभी प्रतिभागियों को याद दिलाया कि सबसे बड़ा गुण एक अच्छा इंसान होना है। उद्घाटन सत्र में अपने वक्तव्य को दोहराते हुए, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष ने कहा कि आईटीईसी जैसे मंच एक-दूसरे की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और मानव अधिकार मूल्यों को साझा करने और आदान-प्रदान करने, लगातार उभरती मानव अधिकार चुनौतियों से निपटने के सर्वोत्तम तरीकों पर विचार करने और राह खोजने का अवसर प्रदान करते हैं।
एनएचआरसी, भारत के सदस्य, न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी ने मानव अधिकार के समर्थन के प्रति प्रतिभागियों के समर्पण को स्वीकार किया और सार्थक बदलाव के लिए उनके उत्साह और प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने दुनिया भर के एनएचआरआई के साथ भविष्य के सहयोग को मजबूत करने के लिए एनएचआरसी भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। "वसुधैव कुटुम्बकम" (विश्व एक परिवार है) का हवाला देते हुए, उन्होंने मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में वैश्विक एकजुटता को बढ़ावा देने के एनएचआरसी के दृष्टिकोण पर जोर दिया।
एनएचआरसी, भारत की सदस्या, श्रीमती विजया भारती सयानी ने सभी प्रतिभागियों के बहुमूल्य योगदान के लिए आभार व्यक्त किया, उनकी भागीदारी और अंतर्दृष्टि साझा करने की इच्छा को मान्यता दी। उन्होंने निरंतर सीखने और सहयोग के लिए आयोग की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और सभी के लिए लैंगिक समानता और मानव अधिकारों के महत्व को रेखांकित करते हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले, एनएचआरसी, भारत के महासचिव, श्री भरत लाल ने सभी उपस्थित लोगों को उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए सराहा । उन्होंने ग्लोबल दक्षिण के देशों के बीच सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला, उनके साझा मूल्यों और आपसी सीखने के अवसरों पर जोर दिया। उन्होंने इस सहयोग को गहरा करने के लिए इच्छुक देशों के साथ संभावित समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने पर भी चर्चा की। उल्लेखनीय रूप से, उन्होंने मजबूत शिकायत निवारण तंत्र और मानव अधिकार प्रवर्तन को और मजबूत करने के लिए उन्नत शिकायत निवारण प्रणाली सॉफ्टवेयर सहित अपने देशों में मानव अधिकारों को मजबूत करने में एनएचआरसी के ज्ञान और अनुभव की पेशकश की।
प्रतिभागियों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने के लिए प्रधानमंत्री संग्रहालय, हुमायूं का मकबरा, ताजमहल, दिल्ली हाट आदि जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर जाने का अवसर भी मिला।
एनएचआरसी, भारत के निदेशक, लेफ्टिनेंट कर्नल वीरेंद्र सिंह, पाठ्यक्रम समन्वयक ने प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी और पूरे कार्यक्रम के दौरान ज्ञान के अमूल्य आदान-प्रदान की सराहना की। श्री विक्रम हरिमोहन मीना, एसएसपी, सह-पाठ्यक्रम समन्वयक ने मानव अधिकार संरक्षण में कानून प्रवर्तन की भूमिका पर जोर दिया, पुलिस और मानव अधिकार संगठनों के बीच तालमेल का समर्थन किया।
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