गुवाहाटी में एनएचआरसी शिविर बैठक का समापन; पूर्वोत्तर राज्यों में मानव अधिकार उल्लंघन के 56 मामलों की सुनवाई की



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 17 नवंबर, 2023

गुवाहाटी में एनएचआरसी शिविर बैठक का समापन; पूर्वोत्तर राज्यों में मानव अधिकार उल्लंघन के 56 मामलों की सुनवाई की

पीड़ितों को 355.5 लाख रुपये की राहत राशि का भुगतान किया गया या भुगतान की प्रक्रिया शुरू

मानव अधिकारों और मानवीय गरिमा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों और एसएचआरसी के साथ बैठक की

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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज 16 और 17 नवंबर, 2023 को प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज, गुवाहाटी, असम में अपने दो दिवसीय शिविर बैठक का समापन किया। आठ पूर्वोत्तर राज्यों में मानव अधिकारों के उल्लंघन के लंबित मामलों की सुनवाई और राज्य सरकारों, इसके अर्धराज्य संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के अधिकारियों के बीच जागरूकता फैलाने हेतु शिविर बैठक का आयोजन किया गया था। एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले और श्री राजीव जैन, महासचिव, श्री भरत लाल, रजिस्ट्रार (विधि), सुरजीत डे और वरिष्ठ अधिकारी भी शिविर बैठक में शामिल हुए।

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न्यायमूर्ति मिश्रा ने शिविर बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा कि आयोग के पास विभिन्न क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु व्यापक अधिकार हैं और संबंधित राज्यों में आयोग का शिविर बैठक लगाना एक अनूठी अवधारणा है जिसका उद्देश्य मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों के दरवाजे तक पहुंचना है।

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आयोग ने पूर्वोत्तर राज्यों के संबंधित अधिकारियों और शिकायतकर्ताओं की उपस्थिति में 56 मामलों की सुनवाई की। इनमें अन्य मुद्दो के साथ-साथ, अरुणाचल प्रदेश के जिला चांगलांग में आनंदपुर-I और आनंदपुर-II, ब्रजपुर, बोधियासट्टा-II गांवों में चकमाओं की भूमि का कथित मनमाने और गैरकानूनी विभाजन, कोकराझार शहर, पीएस- कोकराझार, जिला-कोकराझार, असम के क्षेत्र में एक गैर-आदिवासी व्यक्ति द्वारा 16 वर्षीय आदिवासी लड़की के साथ कथित बलात्कार, जिरीबाम को इम्फाल से जोड़ने के लिए सुरंगों और रेलवे पटरियों के निर्माण की एक परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान उत्तर पूर्व सीमांत रेलवे की लापरवाही के कारण 57 लोगों की मौत, 18 लोग घायल और 04 लोग लापता हो गए, बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण चौराचांदपुर, मणिपुर में जिला अस्पताल की खराब स्थिति, मणिपुर राज्य में हिंसा की घटनाओं के संबंध में शिकायतें, अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के 108 चकमा और हाजोंग परिवारों को "नामसाई से मियाओ तक 132 केवी टी/एल का निर्माण" परियोजना के टावर/स्तंभ के निर्माण के दौरान अर्जित भूमि और संपत्ति को हुए नुकसान के भुगतान के लिए केंद्र सरकार के निर्देश/मंजूरी के बावजूद मुआवजा देने में अरुणाचल प्रदेश राज्य की ओर से कथित विफलता, जो उस परियोजना से प्रभावित हुए हैं, बर्ल दिहिंग नदी से मार्गेरिटा सब-डिवीजन, जिला- तिनसुकिया, असम के अंतर्गत दो पिछड़े आदिवासी बौद्ध गांवों का पलायन शामिल है। आयोग के हस्तक्षेप से, राज्यों ने या तो 355.5 लाख रुपये का मुआवजा भुगतान कर दिया है या भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी हैं।

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आयोग ने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिव/डीजीपी के साथ भी बैठक की और अधिकारियों से विभिन्न मुद्दों जैसे मानसिक स्वास्थ्य, पुलिस मुठभेड़, बंधुआ मजदूरी, भोजन और सुरक्षा का अधिकार, सीसैम, ट्रक चालकों, नेत्र आघात, न्यायिक और पुलिस हिरासत में आत्महत्या की रोकथाम, मैनुअल स्कैवेंजिंग आदि पर आयोग द्वारा जारी विभिन्न परामर्शियों पर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे आयोग के समक्ष लंबित मामलों में समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें, विशेष रूप से अनुपालन रिपोर्ट, जिसमें आयोग व्यक्तियों के मानव अधिकारों के उल्लंघन के कथित और सिद्ध मामलों में सिफारिश करता है। आयोग ने राज्य सरकारों को एसएचआरसी को बुनियादी ढांचा प्रदान करने तथा राज्य मानव अधिकार आयोग के सुचारू कामकाज के लिए प्राथमिकता के आधार पर रिक्त पदों को भरने पर भी जोर दिया।

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मामलों की सुनवाई के बाद, आयोग ने गैर सरकारी संगठनों/एचआरडी के साथ विचार-विमर्श किया, जिसमें उनके प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने मानव अधिकार उल्लंघन से संबंधित कई मुद्दे उठाए। आयोग ने पूर्वोत्तर राज्यों में गैर सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और उन्हें बिना किसी डर या पक्षपात के ऐसा करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। विचार-विमर्श इस अवलोकन के साथ समाप्त हुआ कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के साथ गैर सरकारी संगठनों और एचआरडी की निरंतर साझेदारी, देश में मानव अधिकार व्‍यवस्‍था को मजबूत करने में काफी मदद करेगी। उन्हें बताया गया कि वे मानव अधिकार उल्लंघन की शिकायत hrcnet.nic.in के माध्यम से दर्ज कर सकते हैं।

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