दिव्‍यांगजनों के मानव अधिकारों पर एशिया पैसिफिक फोरम के साथ तीसरे संवाद में राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने कहा, कि "किसी को भी पीछे न छोड़ें"; प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग दिव्‍यांगजनों की सेवा में हो सकता है



नई दिल्ली, 18 जुलाई, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज 18 जुलाई, 2022 को दिव्‍यांगजनों पर एशिया पैसिफिक फोरम, एपीएफ के साथ एक वर्चुअल संवाद की सह-मेजबानी की। संवाद के मुख्य विषय में इस बात पर चर्चा शामिल थी कि कैसे राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों ने दिव्‍यांगजनों के अधिकारों का संर्वधन तथा संरक्षण किया।

सत्र का उद्घाटन करते हुए, एनएचआरसी के सदस्य, श्री राजीव जैन ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में दिव्‍यांगजनों की भागीदारी पर प्रकाश डाला। श्री जैन ने सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में भागीदारी के लिए दिव्‍यांगजनों को सशक्त बनाने वाले मतदान अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया। श्री जैन ने दिव्‍यांगजनों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के विभिन्न अनुच्‍छेदों के अनुरूप दिव्‍यांगजनों के मानव अधिकारों के संर्वधन और संरक्षण के लिए राज्यों द्वारा सकारात्मक कार्रवाई का आह्वान किया, यूएनसीआरपीडी उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है। एनएचआरसी, भारत के योगदान पर, श्री जैन ने आयोग और एनएचआरसी कोर ग्रुप द्वारा दिव्‍यांगजनों पर जारी परामर्शी के बारे में बात की।

एनएचआरसी के सदस्य, न्यायमूर्ति श्री एम.एम. कुमार ने दिव्‍यांगजनों के लिए पहुंच बढ़ाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्व पर बोलते हुए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास और उपयोग की बात करते समय निजी क्षेत्र के साथ-साथ सरकारों की नियामक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित किया। दिव्‍यांगजनों के लाभों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर ध्यान आकर्षित करते हुए, न्यायमूर्ति कुमार ने कहा कि दिव्‍यांगता के प्रकार और प्रोफाइल के आधार पर, दूसरों के साथ संवाद करना एक चुनौती हो सकती है। लेकिन प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ, "किसी को भी पीछे न छोड़ें" के आदर्श वाक्य के साथ दिव्‍यांगजनों की सेवा में हो सकता है। दृष्टिबाधित लोगों के लिए, बधिर या कम सुनने वाले लोगों के लिए, शारीरिक रूप से दिव्‍यांगजनों और मूक बधिरों के लिए, गतिशीलता को सुगम बनाने में सहायता के लिए, विभिन्न ऐप को सूचीबद्ध करते हुए, न्यायमूर्ति कुमार ने जीवन को सक्षम बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता पर खुशी व्यक्त की।

इस वर्चुअल संवाद में, अन्‍यों के साथ, ऑस्ट्रेलियाई मानव अधिकार आयोग से डॉ. बेन गौंटलेट और मलेशियाई मानव अधिकार आयोग से सुश्री सारा हमजा ने समावेशन के लिए बाधाओं पर बात की; इंडोनेशियाई मानव अधिकार आयोग की सुश्री सैंड्रायतिया मोनियागा ने दिव्‍यांगजनों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए एनएचआरआई की भूमिका पर बात की।

*****