न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत की ओर से मानव अधिकार दिवस संदेश



नई दिल्ली, 09 दिसंबर, 2021

मानव अधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर सभी को बधाई, जो 1950 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा, यूडीएचआर के स्मरणोत्सव में वर्ष 1950 से हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है।

यह उत्सव इस तथ्य को सुदृढ़ करने के लिए है कि प्रत्येक मनुष्य का जन्म अपरिहार्य अधिकारों के साथ हुआ है, जो "समानता" के मूल लोकाचार में अंतर्निहित हैं, जो इस वर्ष के मानवाधिकार दिवस का विषय भी है।

यह हमें इन अधिकारों के मूल्यों की भी याद दिलाता है और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने कर्तव्यों के प्रति खुद को प्रेरित करता है कि हम एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान, संरक्षण और संवर्धन को बढावा दें, और इस तरह से कार्य और व्यवहार न करें, जो उन्हें नजरअंदाज करता है

और, आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका एक दूसरे के पारस्परिक सह-अस्तित्व के महत्व को पहचानना है; मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुरूप हमारे संवैधानिक प्रावधानों के मूल भावों में अंतनिर्हित 'जीवन, स्वतंत्रता, गरिमा और समानता के अधिकार' की रक्षा सुनिश्चित करना हैं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा जीवंत लोकतंत्र है जो विविधता में एकता का जश्न मना रहा है। हमारे महान राष्ट्र ने दुनिया को 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी 'दुनिया एक परिवार है' की अवधारणा दी है और साथ ही 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' यानी 'सभी सुखी हों' की अवधारणा भी दी है। यह विश्वास कोविड-19 महामारी के दौरान भारत द्वारा वैश्विक बिरादरी को दी गई सहायता तथा वैक्सीन और दवाएं प्रदान करने में परिलक्षित होती है।

अब, हमें विभिन्न क्षेत्रों में भारी नुकसान की भरपाई के लिए महामारी के बाद के मुद्दों को हल करना होगा, जिसमें अन्य के अलावा, डिजिटल डिवाइड और स्कूल छोड़ने वाले बच्चे शामिल हैं।

मानवाधिकार दिवस के पवित्र अवसर पर, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत की ओर से, मंच इस अवसर पर सभी को आश्वस्त करता हूं कि आयोग, अपने जनादेश और मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत इसे सौंपे गए सभी कार्यों को ध्यान में रखते हुए, मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए प्रयास जारी रखेगा।

जय हिंद !!!"

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