न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत का कहना है कि कोविड-19 से संबंधित टीकों एवं जीवन रक्षक दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए पेटेंट धारकों के अधिकारों से ज्यादा महत्व जीवन के अधिकार को दिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, 22 जून, 2021
न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने मानव अधिकार परिषद, एचआरसी की एक ऑनलाइन वैश्विक बैठक को संबोधित करते हुए आज कहा है कि जीवन के अधिकार को पेटेंट धारकों के अधिकारों से ज्यादा महत्व दिया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दुनिया भर में कोविड-19 से संबंधित जीवन रक्षक दवाओं, दवाइयों और टीकों की कमी न हो और गरीबों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध हो। वे कोविड-19 महामारी के लिए राज्यों की प्रतिक्रिया पर सत्र को संबोधित कर रहे थे।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि दुनिया कोविड-19 से होने वाले भारी नुकसान का सामना कर रही है। समाज के वंचित वर्गों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए नई चुनौतियां सामने आई हैं, शिक्षा व्यवस्था को नुकसान हुआ है, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो गई है, परिवार बेसहारा हो गए हैं और बच्चे अनाथ हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत परामर्शी सहित अपने विभिन्न हस्तक्षेपों के माध्यम से ऐसी अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए शासन की प्रणालियों को संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहा है। यहां तक कि मृतकों की गरिमा का भी ख्याल राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने रखा था।
अपने संक्षिप्त भाषण में, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कई प्रमुख मुद्दों पर जानकारी दी और चिंता व्यक्त की कि ये मानव अधिकारों को कैसे प्रभावित कर रहे हैं। अन्य बातों के साथ, इसमें ऑन-लाइनकॉमर्स की भी चर्चा हुई, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि धन कम लोगों के पास ही केंद्रित है। उन्होंने सीमा पार आतंकवाद की चुनौतियों और इसके पीड़ितों के पुनर्वास और नशीली दवाओं की तस्करी का भी जिक्र किया।
साइबरस्पेस की स्वतंत्रता के विषय में बोलते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने आगाह किया कि संवैधानिक मूल्यों को नष्ट करने के लिए इसका दुरुपयोग नहीं किया जाना चहिए।
इस बात पर जोर देते हुए कि पर्यावरणीय मुद्दे मानव अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं, उन्होंने कहा कि हमें अगली पीढ़ी के लिए पृथ्वी ग्रह की रक्षा के लिए एकजुट होना है। हम असफल होने, रुकने या डरने का जोखिम नहीं उठा सकते। अभूतपूर्व स्थिति से निपटने के लिए हमें एक नई घोषणा का संकल्प लेना होगा।
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