भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार मिश्रा, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के नए अध्यक्ष के रूप में शामिल हुए।



नई दिल्ली, 02 जून, 2021

Chairperson A K Mishra


भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार मिश्रा, आज राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के नए अध्यक्ष के रूप में शामिल हुए। वे राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के 8वें अध्यक्ष हैं।

इनका जन्म 3 सितम्बर, 1955 को हुआ था। बी.एससी., एम.ए., एल.एल.बी. पूरा करने के बाद, उन्होंने 1978 में बार ज्वाइन किया और संवैधानिक, नागरिक, औद्योगिक, सेवा और अपाराधिक मामलों पर कार्य किया।

1998 में उन्हें बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था और उन्होंने विशेष रूप से कानूनी शिक्षा के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया था। उनकी अध्यक्षता के दौरान, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने शाम के लॉ कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया और यह भी तय किया कि सभी कॉलेजों मे 3 साल के लॉ कोर्स के बजाय 5 साल का लॉ कोर्स शुरू किया जाए। बीसीआई ने 200 से ज्यादा घटिया लॉ कॉलेज बंद कर दिए। साथ ही वकीलों को दी जाने वाली चिकित्सा सहायता की राशि भी बढ़ाई गई।

उन्होंने एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के तहत 1997 के फॉरेन लॉ डिग्री रिकग्निशन रूल्स; बार काउंसिल ऑफ इंडिया कर्मचारी सेवा नियम, 1996 और भारत में विदेशी वकीलों के अभ्यास की शर्तों से संबंधित नियमों के प्रारूपण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

उन्हें 25 अक्टूबर, 1999 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और 26 नवम्बर, 2010 को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और 14 दिसम्बर, 2012 को कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति तक वे इस पद पर रहे।

न्यायमूर्ति मिश्रा को 7 जुलाई, 2014 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और 2 सितम्बर, 2020 को उनकी सेवानिवृत्ति तक इस पद पर रहे। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कुल 236 निर्णय दिए। इनमें से 199 निर्णय दो जजों की बेंच में, 32 निर्णय तीन जजों की बेंच में और 5 निर्णय पांच जजों की बेंच में दिए गए थे।

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