राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने प्रवासी श्रमिकों की महिलाओं और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया



नई दिल्ली, 3 अगस्त, 2022

न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, एनएचआरसी, भारत ने आज कहा कि प्रवासी श्रमिक बेहतर अवसरों की तलाश में अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं। प्रवासी श्रमिकों की महिलाओं और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र और एक राशन कार्ड योजना के तहत प्रवासी श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी, व्यावसायिक सुरक्षा और भोजन, पीने योग्य पानी, स्वास्थ्य, सुरक्षित आवास, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी कार्यान्वयन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की मशीनरी को भी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहने की जरूरत है, जैसा कि कोविड-19 महामारी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को सामना करना पड़ा था।

न्यायमूर्ति मिश्रा आयोग द्वारा आयोजित एक ओपन-हाउस चर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें हाइब्रिड मोड में, 2019-20 में प्रवासी श्रमिकों पर आयोग द्वारा शुरू की गई दो शोध परियोजनाओं के परिणाम पर चर्चा की गई थी। ये हैं: पांडिचेरी विश्वविद्यालय के डॉ. आर कासिलिंगम द्वारा "मानवाधिकार के मुद्दों और समस्याओं की पहचान करना और प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए नीतिगत ढांचा विकसित करना" और "अनसुनी आवाजें मूक बढ़ते बहुमत: सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य जोखिमों का एक आकलन" एवं राजस्थान के केंद्रीय विश्वविद्यालय से डॉ शाज़ी अहमद द्वारा "राजस्थान की महिला प्रवासी श्रमिक"।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि प्रवासी श्रमिक देश की अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान करते हैं। विभिन्न डिजिटल माध्यमों और पोर्टलों के माध्यम से उन तक पहुंचने के लिए उठाए गए कदम सराहनीय हैं। हालांकि, डिजिटल विभाजन का ध्यान रखा जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने प्रतिभागियों को अपने सुझाव लिखित रूप में आयोग को भेजने के लिए कहा ताकि सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए सभी इनपुट पर विचार किया जा सके, जिन्हें कार्यान्वयन के लिए सरकार को भेजा जा सकता है।

इससे पहले, चर्चाओं को आगे बढ़ाते हुए, एनएचआरसी के महासचिव, श्री डी के सिंह ने कहा कि प्रवासी श्रमिक देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी कामगारों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण से देश के विकास को सीधा लाभ होगा।

चर्चा का संचालन एनएचआरसी के संयुक्त सचिव, श्री एच. सी. चौधरी, एनएचआरसी सदस्य, न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार, डॉ. डी.एम. मुले और श्री राजीव जैन, महानिदेशक (अन्वे्षण), श्री मनोज यादव, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, सुश्री अनिता सिन्हा, आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा दो शोधकर्ताओं द्वारा किया गया।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, महिला और बाल विकास, श्रम और रोजगार, कर्नाटक और राजस्थान राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू), बैंगलोर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, वी वी गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान, नोएडा के विशेषज्ञों द्वारा भी इनपुट दिए गए थे।