राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा ने निराश्रित विधवाओं की दुर्दशा को कम करने के लिए उनके संपत्ति अधिकारों की बहाली का आह्वान किया; उन्‍होंने कि उन्हें खुद की देखभाल करने के लिए छोड़ना कानून के तहत दंडनीय बनाने की जरूरत



नई दिल्ली, 20 जुलाई, 2021

न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने आज कहा कि इस प्रथा को रोकने के लिए कानून के तहत दंडनीय बनाकर विधवाओं को अपनी देखभाल के लिए छोड़ना हतोत्साहित करना होगा। मथुरा-वृंदावन और वाराणसी में विधवाओं के रहन-सहन की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि विधवाओं की दुर्दशा को दूर करने और उनके सम्मानजनक जीवन के लिए रास्ता बनाने के लिए उनके संपत्ति अधिकारों को बहाल करने की आवश्यकता है।

न्यायमूर्ति मिश्रा मथुरा-वृंदावन और वाराणसी में आश्रय गृहों में रहने वाली विधवाओं के मानव अधिकार मुद्दों पर एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि बेसहारा विधवाओं को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके भोजन, आश्रय, सम्मान और संपत्ति के अधिकार सहित उनके मानव अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो सरकारी अधिकारियों को कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधवाओं के लिए विभिन्न आश्रय गृहों की जमीनी हकीकत का जल्द से जल्द आकलन करने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि बेसहारा विधवाओं के कल्याण के लिए योजनाएं बनाना तब तक पर्याप्त नहीं है जब तक उनका उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि आजीविका के लिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनके कौशल विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

बैठक में एनएचआरसी सदस्य श्री राजीव जैन, महासचिव श्री बिंबाधर प्रधान, संयुक्त सचिव सुश्री अनीता सिन्हा, मैत्री इंडिया की विशेषज्ञ सुश्री विनी सिंह सहित अन्य ने भाग लिया।

चर्चा के दौरान उभरे कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुझाव इस प्रकार थे:-

• मथुरा-वृंदावन और वाराणसी में रहने वाली विधवाओं की संख्या का आकलन करने के लिए एक अध्ययन आयोजित करना;

• उनकी मासिक पेंशन में वृद्धि करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके पास अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं ;

• निराश्रित विधवाओं को लाभ पहुंचाने के लिए आयुष्मान भारत सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के दायरे का विस्तार करें।

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