राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा से संबंधित रिपोर्ट के लीक होने के संबंध में मीडिया के एक वर्ग में लगे आरोपों का खंडन किया है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार इस मामले में संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ उक्त रिपोर्ट की प्रति पहले ही साझा कर दी है।
दिनांक 15 जुलाई 2021
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट 13 जुलाई, 2021 को माननीय न्यायालय को प्रस्तुत की।
माननीय न्यायालय के आगे के निर्देश पर, समिति ने उक्त रिपोर्ट की एक प्रति कलकत्ता में अपने अधिवक्ता को प्रदान की, जिन्होंने संबंधित विभिन्न रिट याचिकाओं में सभी संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ इसे साझा किया।
मामला विचाराधीन होने के कारण, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की समिति ने अपनी रिपोर्ट को माननीय न्यायालय द्वारा निर्दिष्ट के अलावा किसी अन्य संस्था को साझा नहीं किया।
चूंकि माननीय न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सभी संबंधित पक्षों के पास पहले से ही रिपोर्ट उपलब्ध है, इसलिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के स्तर पर इसके लीक होने का कोई सवाल ही नहीं है।
उक्त रिपोर्ट के कथित तौर पर लीक होने के संबंध में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पर आरोप लगाना बिल्कुल निराधार एवं तथ्यात्मक रूप से गलत हैं।
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