राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कहा है कि जमीनी हकीकत के आधार पर दिव्‍यांगजनों के मुद्दों का विस्तार किया जाए, जहां विचारों को कार्यों/क्रियाओं में बदला जा सकता है; यह समय दिव्‍यांगजनों को सशक्तिकरण की राह पर अग्रसर करने का है।



नई दिल्ली, 26 जुलाई, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज 26 जुलाई, 2022 को दिव्‍यांगजनों पर कोर ग्रुप की बैठक की। बैठक का उदेश्‍य दिव्‍यांगजनों के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे पर चर्चा करना था। बैठक की अध्यक्षता करते हुए एनएचआरसी के सदस्य डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने कहा कि मसौदा नीतियों पर काम करते हुए, प्रत्येक दस्तावेज़ में पूर्व में किए गए एक-एक मूल सुधार शामिल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह समय जमीनी हकीकत के आधार पर दिव्‍यांगजनों के हितों का विस्तार करने का है, जहां विचारों को कार्यों में बदला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि टिप्पणियां और सुझाव वस्तुनिष्ठ और सही दिशा में होने चाहिए।

डॉ. मुले ने जोर देकर कहा कि दिव्‍यांगता के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक आयाम हैं और दिव्‍यांगजनों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर बहुत विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। उन्होंने व्यापक राजनीतिक प्रतिनिधित्व और निर्णय लेने में दिव्‍यांगजनों की भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने दिव्‍यांगजनों द्वारा न्याय तक पहुंच के अलावा, बुनियादी ढांचे, अप-स्किलिंग और प्रासंगिक प्रशिक्षण आवश्यकताओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्‍यकता पर भी जोर दिया।

एक संक्षिप्त संबोधन में, एनएचआरसी सदस्य, न्यायमूर्ति श्री एम.एम. कुमार ने दिव्‍यांगजनों की मदद के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि दिव्‍यांगजनों के अधिकारों के संरक्षण की बेहतरी के लिए समन्वित प्रयासों और प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।

चर्चाओं को गति प्रदान करते हुए, एनएचआरसी महासचिव, श्री डी. के. सिंह ने कहा कि दिव्‍यांगता एक विकसित और गतिशील अवधारणा है। उन्होंने ऑनलाइन प्रणालीगत पंजीकरण, दिव्‍यांगजनों के लिए प्रमाण पत्र और आईडी कार्ड जारी करने की सरकार की पहल का स्वागत किया। तथापि, नीति और कार्यान्वयन में कमियों की पहचान की जानी चाहिए। उन्होंने अंतराल को भरने के लिए सभी योजनाओं में उपलब्ध सभी लाभों के उपयोग में तालमेल का आह्वान किया। उन्होंने संवेदनशीलता की कमी के कारण परिवारों और देखभाल करने वालों के अनुभव की चुनौतियों पर भी टिप्पणी की।

इससे पहले, स्वागत भाषण में, एनएचआरसी संयुक्त सचिव, श्री एच.सी. चौधरी ने कहा कि यह समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान का समय है। दिव्‍यांगजनों के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे की पृष्ठभूमि पर एक संक्षिप्त जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पूर्ण रूप से दिव्‍यांग व्‍यक्तियों की पहचान की जानी चाहिए और उनकी सराहना की जानी चाहिए।

दिव्‍यांगजनों के लिए राष्ट्रीय नीति के मसौदे पर व्‍यापक विचार-विमर्श किया गया और कई अंतराल और सुझाव, अन्‍य‍ बिन्‍दुओं के साथ, चर्चा से उभरे। आयोग इन सभी बिंदुओं पर विचार करेगा और प्रासंगिक दस्तावेज के साथ आगे बढ़ेगा जो आगे सरकार को प्रेषित किए जाएंगे।

बैठक में एनएचआरसी के सदस्य श्री राजीव जैन, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), डॉ. एम.डी.एस. त्यागी; एनएचआरसी कोर ग्रुप के सदस्य; संयुक्त सचिव, दिव्‍यांगजन अधिकारिता विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, श्री राजेश यादव और विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हुए।

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