एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने मानवाधिकारों को प्रभावित करने वाले जलवायु और पर्यावरण क्षरण पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि समय आ गया है कि नियमों और विनियमों के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु पर्यवेक्षी निकायों की निगरानी भी की जाए।

नई दिल्ली, 23 मार्च, 2022

न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज मानव अधिकारों को प्रभावित करने वाले जलवायु और पर्यावरण क्षरण पर गंभीर चिंता व्यक्त की। वे नई दिल्‍ली में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकार पर आयोग के प्रथम मुख्य सलाहकार समूह की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह समझ से परे है कि सक्षम कानूनों और नियमों के बावजूद, विभिन्न पर्यावरण प्रदूषण की जांच के लिए नियामक उपायों के अप्रभावी कार्यान्वयन के कारण जमीनी स्थिति अच्छे के लिए नहीं बदल रही है, जो जलवायु परिवर्तन को प्रभावित कर सकती है और इस प्रकार लोगों के जीवन को भी प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों जैसे पर्यवेक्षी निकायों की निगरानी का समय आ गया है।

उन्होंने कहा कि बिना वांछित परिणाम के गंगा और यमुना नदियों को साफ करने के लिए किए गए प्रयास और धन हमारे पर्यावरण को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने में हमारी सामूहिक विफलता के दो सबसे साफ और स्पष्ट उदाहरण हैं। उन्होंने सवाल किया कि हम पर्यावरणीय खतरों, कृषि प्रथाओं, औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित समस्याओं को ठीक किए बिना सतत विकास लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करने जा रहे हैं।

न्‍यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि मानव ने माउंट एवरेस्ट को भी प्रदूषण से नहीं बख्शा है, जिसे भी अब साफ करने की जरूरत है। बिना सोचे-समझे खनन इतना चल रहा है कि अंटार्कटिका तक को भी नहीं बख्शा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि नियमों का पालन किए बिना विकास समझदारी नहीं है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हाल के एक अनुमान के अनुसार, दुनिया के 100 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 63 शहर भारत के हैं। वैश्विक बिरादरी के हिस्से के रूप में, हम सभी को व्यक्तिगत रूप से पृथ्वी को पर्यावरण क्षरण से संरक्षण और बचाव की जिम्मेदारी लेनी होगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह जीवन और पारिस्थितिक असंतुलन को प्रभावित करने वाले बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन का कारण नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि, "करो या मरो" की स्थिति आ चुकी है।

इससे पहले, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों पर आयोग के प्रथम मुख्य सलाहकार समूह के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, एनएचआरसी के महासचिव, श्री बिम्‍बाधर प्रधान ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और इसके प्रभाव विनाशकारी हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के क्षरण के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है जिसके परिणामस्वरूप लोगों को मजबूरी में पलायन करना पड़ रहा है, जिस पर विचार-विमर्श के माध्यम से सक्षम नीतियों को आकार देने के लिए गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

चर्चा के चार विशिष्ट एजेंडा बिंदुओं के हिस्से के रूप में पर्यावरण, स्वच्छ वायु और जल प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई, जो निम्नानुसार थे:

• पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकारों से संबंधित कानूनों, निर्णयों और योजनाओं/पहलों के कार्यान्वयन और निगरानी में अंतराल;

• भारत और विदेशों में पर्यावरण प्रबंधन में सर्वोत्तम अभ्यास और उसकी प्रतिकृति;

• पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिए स्थानीय सरकार और अधिकारियों को सशक्त बनाना, और

• जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से विशेष रूप से कमजोर वर्गों की आबादी की रक्षा करना।

बैठक में चर्चा और प्रस्तुतियों के अलावा, एनएचआरसी अध्यक्ष ने प्रतिभागियों से पर्यावरण की रक्षा और जलवायु परिवर्तन की जाँच हेतु आगे के रास्ते के लिए सिफारिशों की रूपरेखा तैयार करने के लिए कानूनों, नियमों, विनियमों और उनके कार्यान्वयन में अंतराल की पहचान करने हेतु अपने विशिष्ट सुझाव भेजने के लिए कहा।

प्रतिभागियों में एनएचआरसी के सदस्य, न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार, श्रीमती ज्योतिका कालरा, डॉ. डी. एम. मुले, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, श्रीमती अनिता सिन्हा और श्री एच.सी. चौधरी, कोर ग्रुप के सदस्य, डॉ. एम. सी. मेहता, श्री आर. आर. शमी, आईएएस (सेवानिवृत्त), श्री निरंजन देव भारद्वाज, सहायक प्रोफेसर, डॉ. प्रोमोडे कांत, आईएफएस (सेवानिवृत्त), प्रो. एन. एच. रवींद्रनाथ, श्रीमती पेट्रीसिया मुखिम और श्री सुंदरम वर्मा शामिल थे। श्री नीलेश कुमार, संयुक्त सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, डॉ. प्रशांत गर्गव, सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्रीमती पद्मा एस राव, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-नीरी, नागपुर, श्री बी. रथ, तकनीकी विशेषज्ञ, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण एवं श्री आर. के डोगरा, उप निदेशक, आईसीएफआरई ने भी बैठक में हाइब्रिड मोड द्वारा अपने विचार साझा किए।

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