राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि मानव अधिकार संरक्षक देश में मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में बहुत ही रचनात्मक भूमिका निभाते हैं।
16 फरवरी, 2023 राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, ने आज कहा कि मानव अधिकार संरक्षक, एचआरडी देश में मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में बहुत ही रचनात्मक भूमिका निभाते हैं। वे आयोग के सदस्य, डॉ. डी. एम. मुले और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में एनएचआरसी के मानव अधिकार संरक्षकों के पुनर्गठित कोर ग्रुप की पहली बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी और मानव अधिकार संरक्षक की भूमिका एक दूसरे की पूरक है। मानव अधिकार संरक्षक जमीनी स्तर पर अपने काम के माध्यम से कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की स्थिति और मानवाधिकारों के मामले, यदि कोई हो तो, उन्हे देख सकते तथा उठा सकते हैं तथा आयोग को अपने जनादेश के निर्वहन में मदद कर सकते हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि तकनीकी प्रगति और इंटरनेट की मदद से कनेक्टिविटी के साथ नई चुनौतियां सामने आ रही हैं, जो लोगों के मानवाधिकारों पर कुठाराघात कर रही हैं। साइबर युग और डार्क वेब, ई-धोखाधड़ी, साइबर स्पेस में मानव तस्करी और क्रिप्टो-मुद्रा के युग में निजता का अधिकार दांव पर है, जिसके लिए मानव अधिकार संरक्षकों को मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए खुद को तैयार रखना होगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने हाल के दिनों में मानवाधिकारों के विभिन्न मुद्दों पर लगभग 24 परामर्शियां जारी की हैं और मानव अधिकार संरक्षक दूर-दराज के क्षेत्रों में मानवाधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने वाली इन परामर्शियों के बारे में जागरूकता का प्रसार करने के लिए शासन प्रणाली और आमजन तक पहुंचकर आयोग को समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि आयोग मानव अधिकार संरक्षकों से मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में सुधार के लिए बहुमूल्य सुझाव प्राप्त करने के लिए तत्पर है। मानव तस्करी, साइबर अपराध, औद्योगिक और जहरीले कचरे के निपटान और पर्यावरण सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित हुए लोगों को मुआवजा, उपेक्षित और आदिवासी समुदायों के अधिकार, जहरीले उत्पाद और उपभोक्ता अधिकार, मानव अधिकार संरक्षकों की सुरक्षा, चरवाहों के अधिकार, विमुक्त, और अर्ध-खानाबदोश जनजातियों के अधिकार, विभिन्न सामाजिक विविधता के अनौपचारिक श्रमिकों के अधिकार; शरणार्थियों को उनकी नागरिकता / निर्वासन / प्रत्यावर्तन के निपटारे तक बुनियादी अधिकार और कार्य अनुमति, जादू-टोने को रोकना और उसके लिए कानूनों को मजबूत करना, हर अस्पताल में मुर्दाघर और मृतकों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए एक हेल्प डेस्क; यौनकर्मियों के बच्चों के मानवाधिकार संबंधी सरोकार, अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (पीईएसए) अधिनियम, 1996 का कार्यान्वयन और वनवासियों के अधिकारों की सुरक्षा से संबंधित विभिन्न मानवाधिकार मुद्दों पर चर्चा की गई। उपस्थित लोगों में मानवाधिकार संरक्षक कोर समूह के सदस्यों में सुश्री सुनीता कृष्णन, संस्थापक, प्रज्वला, डॉ. जितेंद्र सिंह शंटी, अध्यक्ष, शहीद भगत सिंह सेवा दल, श्री सुहास चकमा, निदेशक, राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस (आरआरएजी), श्री संदीप चाचरा, कार्यकारी निदेशक, एक्शन एड एसोसिएशन, श्री रामचंद्र खराड़ी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, वनवासी कल्याण आश्रम, श्री सतीनाथ सारंगी, सलाहकार, संभावना ट्रस्ट, सुश्री नसीमा खातून, परचम की संस्थापक, सुश्री पुष्पा गिरिमाजी, उपभोक्ता अधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ पत्रकार, सुश्री अपराजिता सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय और श्री शाह आमिर, अधिवक्ता शामिल थे। *****