एनएचआरसी अध्‍यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि यह मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए गहन और सावधानीपूर्वक अंतरआत्मा की खोज का समय है ; साथ ही, उन्‍होंने इसके कारणों से लड़ने के लिए एक ईमानदार, समर्पित और ....



एनएचआरसी अध्‍यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि यह मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए गहन और सावधानीपूर्वक अंतरआत्मा की खोज का समय है ; साथ ही, उन्‍होंने इसके कारणों से लड़ने के लिए एक ईमानदार, समर्पित और दृढ़ प्रयास का आग्रह किया।

नई दिल्ली, 28 जुलाई, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के प्रतिनिधिमंडल ने मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए, और मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं अस्पताल , आगरा के कुशल कामकाज हेतु आज एक योजना तैयार करने के लिए आगरा, उत्तर प्रदेश की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया। यह 27 जुलाई, 2022 को मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं अस्पताल ,के दौरे और निरीक्षण के क्रम में है।

कार्यशाला के मुख्य अतिथि एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने कहा कि सर्वोत्तम प्रथाओं का अनुकरण करने के लिए आगे बढ़ने से पहले, संस्थान द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं का समाधान करना महत्वपूर्ण है, जिसमें चिकित्सा और प्रशासनिक कर्मचारियों की कमी और संस्थान के प्रभावी कामकाज के लिए संस्थान के वेतन और आवश्यक बजट का समय पर भुगतान शामिल है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि मानसिक रोगियों को परिवार के सदस्यों की दया पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि उनके परिवार के सदस्य मानसिक बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों को अस्वीकार करते हैं और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में रहने की अनुमति देते हैं। मानसिक बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों का नागरिक और संपत्ति के अधिकारों में समान हिस्सा होता है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि यह समय कामकाज के पुराने तौर-तरीकों पर विचार करने का है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास को सुनिश्चित करने के लिए राज्य को कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने दोषारोपण के खेल को रोकने का अनुरोध किया और करुणा और सहानुभूति की ओर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, हृदय की ईमानदारी और साथी मनुष्यों के प्रति प्रेम से ही परिणाम संभव हैं।

इससे पहले, एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार ने कहा कि राज्यों द्वारा नियमों और विनियमों के निर्माण द्वारा मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 के प्रावधानों को लागू करना ही राज्य में स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों के प्रभावी कामकाज का एकमात्र तरीका है। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य अधिकारियों के स्‍थापन और नियमित बैठकें आयोजित करने का आह्वान किया। न्यायमूर्ति कुमार ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम कर रहे विभिन्न अधिकारियों के बीच तालमेल और सहयोग का अनुरोध किया ताकि मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता विकसित की जा सके।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य श्री राजीव जैन ने एक संक्षिप्त हस्‍तक्षेप करते हुए कहा कि मानसिक बीमारियों के उपचार में एक बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने सुविधाओं में वृद्धि के अलावा मानसिक बीमारी की ओर नए सिरे से विचार करने का आग्रह किया।

एनएचआरसी के महासचिव, श्री देवेंद्र कुमार सिंह ने निवारक और उपशामक मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से पीड़ित व्यक्तियों के विभिन्न अधिकारों के बारे में विस्तार से बताया, जो मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के तहत गारंटीकृत हैं। उन्होंने एक समान और समावेशी समाज का आह्वान किया, जहां बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान सुनिश्चित किया जा सके।

अन्य बातों के अलावा, दो दिवसीय यात्रा से जो मुख्य बिंदु सामने आए हैं, वे इस प्रकार हैं:

• अधिनियम के तहत आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की नियमित बैठकें आयोजित करना;

• विभिन्न हितधारकों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए प्रभावी संवेदीकरण और जागरूकता कार्यशालाओं को शुरू करना और बनाए रखना;

• मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के प्रावधानों का ईमानदारी से कार्यान्वयन;

• विभिन्न विभागों और नागरिक समाज संगठनों के बीच अधिक समन्वय द्वारा हाफ वे होम की व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना।

• पंजीकरण के मानदंड तय करने के बाद सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों का पंजीकरण;

• देश के युवाओं को नुकसान पहुंचा रहे मादक द्रव्यों के सेवन विकारों पर ध्यान केंद्रित करना तथा विशेष उपायों को फिर से शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए, और

• मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और संस्थान के सुचारू संचालन के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन बढ़ाना

• बड़ी संख्या में रिक्तियों और रिक्त पदों को भरने से संबंधित मुद्दों पर कार्य करना।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव श्री प्रांजल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है और इस विषय पर जागरूकता जागृत करने के लिए हिंदी में एक पुस्तिका जारी की गई है और आश्वासन दिया गया है कि राज्य में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के तहत सरकार प्रभावी कार्यान्वयन के लिए हर संभव उपाय करेगी। उन्होंने कहा कि पर्याप्त बजट आवंटन से संबंधित मुद्दों पर ध्यान दिया जा रहा है। इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड हॉस्पिटल आगरा के निदेशक डॉ ज्ञानेंद्र कुमार ने आयोग के समक्ष एक विस्तृत पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन दिया और राज्य मानसिक प्राधिकरण के सीईओ डॉ सुनील पांडे ने प्राधिकरण की विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

कार्यशाला में एनएचआरसी के महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव, और संयुक्त सचिव, श्री एच. सी. चौधरी भी उपस्थित थे। अन्य में, श्री विवेक संगल, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, आगरा, श्री सुनील कुमार, अपर स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, भारत सरकार; प्रो. (डॉ.) प्रतिमा मूर्ति निदेशक, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) ने भी चर्चा में भाग लिया।