एनएचआरसी अपने डीजी (अन्‍वेषण) को एक विशेष मानव अधिकार पर्यवेक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया है, जो राज्य चुनाव आयोग के परामर्श से, आगामी पंचायत चुनावों में हिंसा से प्रभावित संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए पश्चिम बंगाल का मौके पर...



एनएचआरसी अपने डीजी (अन्‍वेषण) को एक विशेष मानव अधिकार पर्यवेक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया है, जो राज्य चुनाव आयोग के परामर्श से, आगामी पंचायत चुनावों में हिंसा से प्रभावित संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए पश्चिम बंगाल का मौके पर सर्वेक्षण करेंगे; एमएचए, राज्य सरकार और एसईसी को भी चुनावों के दौरान मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए किए गए उपायों पर रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने के लिए नोटिस जारी

11 जून, 2023, नई दिल्ली

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा की घटनाओं के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है, जहां राजनीतिक दलों के लोगों को निशाना बनाया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुरबा मेदिनीपुर जिले में, एक 60 वर्षीय राजनीतिक कार्यकर्ता, बूथ अध्यक्ष का कथित रूप से अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। मृतक के परिजनों ने कथित तौर पर आरोप लगाया है कि हत्या के लिए विरोधी राजनीतिक गुट के 34 स्थानीय कार्यकर्ता जिम्मेदार हैं। एक अन्य कार्यकर्ता, संजय तांती को भी कथित तौर पर एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया, जहां प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें बुरी तरह पीटा गया और एक अन्य घटना में, आसनसोल (पश्चिम बर्धमान) के एक राजनीतिक नेता, राजेंद्र शॉ की राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। कथित तौर पर, राज्य में हिंसा की कई अन्य घटनाएं हुई हैं, जिसमें चुनाव लड़ने वाले दलों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए हैं और 2018 के पंचायत चुनावों को पश्चिम बंगाल राज्य के सबसे हिंसक और खूनी चुनावों में से एक माना जाता है।

इन घटनाओं को मानव अधिकारों को प्रभावित करने वाले एक गंभीर मुद्दे के रूप में देखते हुए, आयोग ने व्यापक जनहित को संरक्षित करने के लिए संविधान अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन और आजीविका के अपरिवर्तनीय और अपरिहार्य अधिकार को बनाए रखने की दृष्टि से नागरिकों के किसी भी प्रकार के मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोकने और अग्रिम रूप से रोकने के लिए समय पर पूर्वव्यापी कदम उठाना उचित और आवश्यक पाया है। वास्तव में, एनएचआरसी बनाम अरुणाचल प्रदेश राज्य (1996 खंड 1 एससीसी 742) में सर्वोच्च न्यायालय ने अन्य बातों के साथ-साथ कहा कि कोई भी राज्य सरकार व्यक्तियों के एक समूह द्वारा व्यक्तियों के दूसरे समूह को इस तरह की धमकियों को बर्दाश्त नहीं कर सकती है; संकटग्रस्त समूह को ऐसे हमलों से बचाना राज्‍य सरकार का कर्तव्य है और यदि राज्‍य सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो राज्‍य सरकार अपने संवैधानिक दायित्‍वों के साथ-साथ वैधानिक दायित्वों को निभाने में विफल रहेगी।

तदनुसार, आयोग ने अपने महानिदेशक (अन्‍वेषण) को विशेष मानव अधिकार पर्यवेक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो हाल की घटनाओं की प्रत्यक्ष जानकारी प्रदान करेगा और संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए राज्य चुनाव आयोग के परामर्श से पश्चिम बंगाल राज्य का मौके पर सर्वेक्षण करेगा, जहां पंचायत चुनावों से संबंधित ऐसी हिंसा होने की संभावना है। एक बार संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान हो जाने के बाद, पश्चिम बंगाल राज्य में पंचायत चुनावों में कोई हिंसा न हो, यह सुनिश्चित करके लोगों के बुनियादी मानव अधिकारों की रक्षा करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए, डीजी (अन्वेषण) पंचायत चुनाव के दौरान और चुनावों के बाद राज्य के सभी संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों में माइक्रो ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर की तैनाती के लिए या तो आयोग के विशेष प्रतिवेदक या विशेष मॉनिटर आदि को नियुक्त करने हेतु एक व्यापक रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करेंगे। पश्चिम बंगाल में आगामी पंचायत चुनावों पर विचार करते हुए आयोग के डीजी (अन्‍वेषण) जल्द से जल्द रिपोर्ट प्रस्‍तुत करें।

उपरोक्त निर्देश के अलावा, आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, पश्चिम बंगाल को एनएचआरसी के महानिदेशक को सहायता प्रदान करने और यह भी सुनिश्चित करने के लिए नोटिस जारी किया कि पंचायत चुनावों की पूरी प्रक्रिया के दौरान नामांकन पत्र दाखिल करने से लेकर परिणाम घोषित होने तक और बाद के दिनों में भी राज्य के भीतर कानून और व्यवस्था बनी रहे। दो सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई रिपोर्ट अपेक्षित है।

सचिव, पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग को प्रभावी कदम उठाने के लिए एक और नोटिस भी जारी किया जाए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पंचायत चुनावों से पहले और बाद में मानव अधिकारों का उल्लंघन न हो, जिसमें पश्चिम बंगाल में राज्य के संवेदनशील जिलों/क्षेत्रों की पहचान करने में एनएचआरसी के महानिदेशक (अन्‍वेषण) को सुविधा प्रदान करने के तौर-तरीके शामिल हैं, जहां आयोग के माइक्रो ह्यूमन राइट्स ऑब्जर्वर को तैनात करने की जरूरत है तथा इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्‍तुत की जाये।

सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को भी पंचायत चुनाव के दौरान और बाद में पश्चिम बंगाल राज्य के भीतर किसी भी प्रकार के मानव अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए प्रस्तावित उपायों को सूचित करने के लिए नोटिस जारी किया गया है और की गई कार्रवाई रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर अपेक्षित है।

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