एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के पुलिस संगठनों द्वारा अभी तक हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से अनुपालन नहीं करने पर चिंता व्यक्त की।



नई दिल्ली, 24 नवंबर,2022

आज न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने चिंता व्यक्त की कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के पुलिस संगठन अभी तक के सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों, जिसमें 18 महीने की रिकॉर्डिंग के संग्रहण के साथ हर पुलिस स्टेशन में ऑडियो रिकॉर्डिंग और नाइट विजन वाले सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया गया है , का पूरी तरह से अनुपालन नहीं कर रहे हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा डेटा बैकअप के साथ पुलिस थानों में सीसीटीवी के उचित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए किए जाने वाले उपायों पर चर्चा करने के लिए बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि पुलिस व्यवस्था में पारदर्शिता कानून एवं व्यवस्था प्रबंधन की पहचान होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन की स्थिति देखने के लिए, यदि आवश्यक हो तो आयोग पुलिस अधिकारियों, विशेषज्ञों और विभिन्न अन्य हितधारकों की मदद से एसओपी तैयार करने की संभावनाएं तलाश सकता है। आइए हम अपने पुलिस बलों के कामकाज के बारे में किसी भी तरह की शंकाओं को दूर करके उनकी छवि में सुधार करें। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी का उद्देश्य पुलिस संगठनों और विभिन्न हितधारकों के साथ चर्चा करके पुलिस के साथ-साथ कानून व्यवस्था की विश्वसनीयता में सुधार लाना है।

एनएचआरसी के सदस्य, डॉ. डी. एम. मुले और श्री राजीव जैन, महासचिव, श्री डी. के. सिंह, महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, श्री एच. सी. चौधरी, डीआईजी श्री सुनील कुमार मीणा, एसएसपी श्री अनुपम शर्मा के साथ-साथ गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, सोनीपत, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने चर्चा में भाग लिया।

आयोग द्वारा दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, और हरियाणा के सोनीपत जिलों, उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर और गाजियाबाद जिलों में अपने अन्‍वेषण दल द्वारा तिहाड़ जेल में एक विचाराधीन कैदी द्वारा आत्महत्या के एक मामले की पृष्ठभूमि में, दिल्ली-एनसीआर के पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की स्थिति का औचक रूप से दौरा करके प्रत्यक्ष मूल्यांकन करने के लिए प्रेरित किया एवं 32 पुलिस थानों के निरीक्षण की अनुवर्ती कार्रवाई में बैठक आयोजित की गई थी। एनएचआरसी के निरीक्षण में पाया कि:

• यूपी और हरियाणा के 19 थानों के निरीक्षण में केवल 2-4 थानों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे;

• दिल्ली के 13 पुलिस थानों में डीवीआर/एन-डीवीआर वाले 10 कैमरे लगे थे;

• पुलिस मुख्यालय द्वारा लगाए गए कई सीसीटीवी कैमरे चालू हालत में नहीं पाए गए। हालांकि, सीएसआर के तहत कंपनियों द्वारा कुछ पुलिस स्टेशनों को दान किए गए कैमरे चालू हालत में पाये गए;

• कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को सीसीटीवी की कार्यप्रणाली की जानकारी नहीं थी;

• सीसीटीवी कैमरे उचित स्थान पर नहीं लगे हुए थे।

• थानों में कोई समर्पित सीसीटीवी निगरानी प्रणाली उपलब्ध नहीं थी। अधिकांश एसएचओ ने सीसीटीवी प्रणाली की देखभाल के लिए एक कांस्टेबल को नियुक्त किया है, लेकिन वह पर्याप्त प्रशिक्षित नहीं था;

• सभी पुलिस थानों में सीसीटीवी के लिए मानक डेटा भंडारण 15-75 दिन (ऑडियो के बिना) का ही उपलब्‍ध था;

• किसी भी एसएचओ को जिला स्तरीय निरीक्षण समिति (डीएलओसी), सीसीटीवी और उसके उपकरणों के समय-समय पर रखरखाव और बजट प्रावधान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी;

• थानेदार स्तर पर सीसीटीवी कैमरों के अनुरक्षण हेतु कोई बजटीय प्रावधान नहीं था;

• किसी भी एसएचओ ने मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज की समय-समय पर समीक्षा नहीं की। इसलिए इन सीसीटीवी को पुलिस थानों में लगाने की मूलभूत आवश्यकता अनुत्पादक रही।

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