एनएचआरसी द्वारा मानव अधिकारों पर आधारित लघु फिल्मों के लिए आयोजित नौवीं प्रतिष्ठित वार्षिक प्रतियोगिता में प्राप्त 139 प्रविष्टियों में से 7 विजेताओं की घोषणा की गई
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली, 05 फरवरी, 2024
एनएचआरसी द्वारा मानव अधिकारों पर आधारित लघु फिल्मों के लिए आयोजित नौवीं प्रतिष्ठित वार्षिक प्रतियोगिता में प्राप्त 139 प्रविष्टियों में से 7 विजेताओं की घोषणा की गई
एलजीबीटीक्युबाई+ समुदाय के अधिकारों पर आधारित दिल्ली की फिल्म 'किरण - आशा की एक किरण' को 2 लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिए चुना गया
जातिगत भेदभाव और मृतकों की गरिमा के अधिकार को दर्शाने वाली असम की 'मुखाग्नि - द क्रिमेशन' को 1.5 लाख रुपये के द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया
झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के बच्चों के लिए प्रतीकात्मक रूप से समान अवसरों की वकालत करने वाली उत्तर प्रदेश की 'स्वतंत्रता के अधिकार' को 1 लाख रुपये के तृतीय पुरस्कार के लिए चुना गया
चार फिल्मों को 50 हजार रुपये के नकद पुरस्कार के साथ 'विशेष उल्लेख प्रमाणपत्र' के लिए चुना गया
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत द्वारा 2023 में मानव अधिकारों पर आधारित लघु फिल्मों के लिए आयोजित नौवीं प्रतिष्ठित वार्षिक प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की है। आयोग ने 2 लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिए फिल्म 'किरण - एक आशा की किरण' (Kiran – A ray of hope) को चुना है। दिल्ली के श्री भूषण अरुण महरे की फिल्म एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय के अधिकारों पर प्रकाश डालती है और उनकी चिंताओं को उठाती है, जिसमें आजीविका कमाने के लिए सम्मान के साथ समान अवसर का अधिकार भी शामिल है। यह फिल्म अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ हिंदी और अंग्रेजी में है।
असम के श्री बिभुजल राज कश्यप की लघु फिल्म 'मुखाग्नि- द क्रिमेशन' (Mukhagni – The Cremation) को 1.5 लाख रुपये के द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। एक सच्ची कहानी से प्रेरित यह फिल्म छुआछूत, जातिगत भेदभाव, सामाजिक हठधर्मिता, जाति पंचायत के दबंग फरमान, मृतकों के गरिमापूर्ण अधिकार सहित विभिन्न मुद्दों को उठाती है। यह अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ असमिया भाषा में है।
उत्तर प्रदेश के श्री नितिन सोनकर की फिल्म 'स्वतंत्रता का अधिकार' (Right to Freedom) को 1 लाख रुपये के तृतीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। फिल्म प्रतीकात्मक रूप से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले बच्चों के लिए समान अवसरों की वकालत करती है और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले एक युवा लड़के की कहानी के माध्यम से इस बात पर प्रकाश डालती है कि सपने देखने और जीवन में बड़ा लक्ष्य हासिल करने पर कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।
आयोग ने 'विशेष उल्लेख प्रमाणपत्र' के लिए चयनित चार लघु फिल्मों में से प्रत्येक को 50,000/- रुपये का नकद पुरस्कार देने का भी निर्णय लिया है। ये फिल्में हैं:
1. तमिलनाडु के श्री अब्दुल्ला अल्फाज़ीना की फिल्म ‘मानवता का दर्पण’ (Glass of Humanity) है। यह एक मूक फिल्म है और सिनेमाई अभिव्यक्तियों का उपयोग भ्रष्टाचार, भेदभाव और गैरकानूनी प्रथाओं के कारण अधिकारों से इनकार के मुद्दों को उठाती है;
2. त्रिपुरा से श्रीमती सुप्रीति घोष की फिल्म 'दीपशिखा का उत्पीड़न' (Harassment of Deepshikha) है। यह अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ बंगाली में है। एक सच्ची कहानी से प्रेरित, यह फिल्म बॉडी शेमिंग और सम्मान और समान अवसरों के साथ जीवन के अधिकार से इनकार के मुद्दे पर प्रकाश डालती है और चिंता जताती है;
3. तमिलनाडु के श्री एम भास्कर की फिल्म 'नारागम - हेल' (Naragam – Hell) है। यह अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ तमिल में है। एक सच्ची कहानी से प्रेरित, फिल्म इस बात पर प्रकाश डालती है कि नागरिकों की पहल मानव अधिकारों के उल्लंघन से कैसे बचा सकती है;
4. महाराष्ट्र के श्री राशिद उस्मान निम्बलकर की फिल्म 'रहस' (RAHAS) है। यह एक मूक फिल्म है। यह फिल्म अपनी लोक कलाओं के माध्यम से जीविकोपार्जन करके सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अपने अधिकारों को साकार करने में खानाबदोश जनजातियों की चुनौतियों पर प्रकाश डालती है।
एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में पूर्ण आयोग जूरी में आयोग के सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले, श्री राजीव जैन, श्रीमती विजया भारती सयानी, महासचिव, श्री भरत लाल और दो बाहरी विशेषज्ञ, श्री लीला धर मंडलोई, पूर्व महानिदेशक, दूरदर्शन तथा आईआईएमसी से प्रोफेसर रचना शर्मा शामिल थे। वरिष्ठ अधिकारी जो फिल्मों को शॉर्टलिस्ट करने की प्रारंभिक प्रक्रिया का हिस्सा थे, पूर्ण आयोग जूरी के लिए स्क्रीनिंग के दौरान भी उपस्थित थे।
2015 से एनएचआरसी लघु फिल्म पुरस्कार योजना का उद्देश्य मानव अधिकारों के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु नागरिकों के सिनेमाई और रचनात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करना और स्वीकार करना है। 2023 में इस प्रतियोगिता के नौवें संस्करण के लिए, देश के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्राप्त 139 प्रविष्टियों की जांच के बाद कुल 114 लघु फिल्मों को पुरस्कारों के लिए शामिल किया गया था। पुरस्कार प्रस्तुति समारोह बाद में आयोजित किया जाएगा।
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