एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश में जालौन पुलिस की हिरासत में कथित मौत का स्वत: संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 18 जुलाई 2024

एनएचआरसी ने उत्तर प्रदेश में जालौन पुलिस की हिरासत में कथित मौत का स्वत: संज्ञान लिया

कथित तौर पर, पुलिस ने बिना किसी को बताए पीड़ित के शव को जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर छोड़ दिया

राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृीत रिपोर्ट मांगी

आयोग द्वारा जारी स्थायी दिशानिर्देशों के अनुसार, एसपी, जालौन को हिरासत में मौत की सूचना आयोग को 24 घंटे के भीतर नहीं देने पर एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में पुलिस हिरासत में यातना के कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई। जैसा कि 15 जुलाई 2024 को प्रकाशित समाचार रिपोर्ट में बताया गया है, पुलिस कर्मी बिना किसी को बताए पीड़ित के शव को जिला अस्पताल के आपातकालीन वार्ड के बाहर छोड़कर भाग गए। कथित तौर पर, घटना को छिपाने के प्रयास में, उन्होंने मृतक के परिवार के सदस्यों को भी अवैध रूप से पुलिस स्टेशन में हिरासत में रखा।

आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो यह पीड़ित और उसके परिवार के मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। मीडिया रिपोर्ट की सामग्री को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिसकर्मियों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। जाहिर तौर पर पुलिस कार्रवाई के दौरान एक बहुमूल्य मानव जीवन खो गया और पीड़ित के परिवार के सदस्यों को भी कथित तौर पर उत्पीड़न और अवैध हिरासत का शिकार होना पड़ा, जो चिंता का विषय है। तदनुसार, आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दो सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस जारी किया है।

आयोग ने यह भी नोट किया कि एनएचआरसी द्वारा जारी स्थायी दिशानिर्देशों के अनुसार, जालौन पुलिस अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर पुलिस/ न्यायिक हिरासत में मौत की घटना के बारे में आयोग को सूचित किया जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक कोई सूचना नहीं भेजी गई है। इसलिए पुलिस अधीक्षक, जालौन को एक सप्ताह के भीतर यह बताने का निर्देश दिया गया है कि हिरासत में मौत के इस मामले की सूचना 24 घंटे के भीतर आयोग को क्यों नहीं दी गई।

जैसा कि समाचार रिपोर्ट में बताया गया है, ड्यूटी डॉक्टर ने इमरजेंसी वार्ड के सामने शव देखकर वार्ड बॉय को पुलिस स्टेशन को सूचित करने के लिए भेजा। हालाँकि, कथित तौर पर पुलिस ने उस वार्ड बॉय को अवैध रूप से हिरासत में लिया। अस्पताल कर्मचारियों के विरोध के बाद ही उसे रिहा किया गया। कथित तौर पर, मृतक के शरीर पर चोट के निशान थे, जबकि पुलिस का दावा है कि हत्या के मामले में वांछित व्यक्ति बीमार था और गिरफ्तारी के बाद पुलिस स्टेशन में बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

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