एनएचआरसी ने कानपुर के एक निजी अस्पताल में असफल मोतियाबिंद सर्जरी के कारण छह मरीजों की आंखों की रोशनी चली जाने की सूचना पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली, 25 नवंबर, 2022
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया है कि उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक निजी अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा कथित लापरवाही के कारण मोतियाबिंद सर्जरी के बाद छह रोगियों की आंखों की रोशनी चली गई। कथित तौर पर, मरीजों को बताया गया था कि एक मुफ्त शिविर में आंखों की सर्जरी की जा रही है, लेकिन प्रत्येक से 1500 रुपये लिए गए।
आयोग ने देखा है कि मीडिया रिपोर्टों की सामग्री, यदि सही है, तो पीड़ितों के मानवाधिकारों के उल्लंघन हुआ है। तदनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जिसमें घटना के संबंध में दर्ज प्राथमिकी की स्थिति और पीडि़तों को राहत/मुआवजा, यदि कोई हो, प्रदान किया गया है, शामिल है।
आयोग यह भी जानना चाहेगा कि भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए और उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों के बारे में सूचना भी रिपोर्ट में शामिल हो। रिपोर्ट में यह भी शामिल होना चाहिए कि क्या अस्पताल ने नि:शुल्क नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर आयोजित करने से पहले जिला अधिकारियों से पूर्व अनुमति प्राप्त की थी। अधिकारियों से 4 सप्ताह के भीतर जवाब अपेक्षित है।
24 नवंबर, 2022 को मीडिया में आई खबरों के अनुसार निजी अस्पताल द्वारा 2 से 4 नवंबर, 2022 तक नि:शुल्क नेत्र शल्य चिकित्सा शिविर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए। कथित तौर पर, सर्जरी के बाद, संक्रमण इतना गंभीर हो गया कि जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर के डॉक्टरों को चार मरीजों के कॉर्निया को निकालना पड़ा। इस शिविर में आंखों की सर्जरी के बाद कितने मरीज संक्रमित हुए, इसकी जांच की जा रही है।
*****