एनएचआरसी ने कोट्टायम में आश्रय गृहों से लड़कियों के बार-बार लापता होने वाली घटनाओं पर केरल सरकार को नोटिस जारी किया



नई दिल्ली, 16 नवंबर, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने केरल के कोट्टयम के मंगनम में एक आश्रय गृह से नौ लड़कियों के लापता होने की मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया है। कथित तौर पर, जब पुलिस उनमें से एक लड़की के आवास पर पहुंची, तो लड़कियों द्वारा आश्रय गृह में वापस लौटने का विरोध किया गया। हाल के महीनों में कोट्टयम से इस तरह की यह तीसरी घटना है।

आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्टों की सामग्री के आधार पर, ऐसा प्रतीत होता है कि यह घटना, गैर सरकारी संगठन, महिला समाख्या द्वारा संचालित आश्रय गृह की देखरेख और प्रभावी निगरानी की कमी का परिणाम है। इसके बावजूद इस आश्रय गृह को सामाजिक न्याय विभाग और बाल कल्याण समिति द्वारा मान्यता प्राप्त है। ऐसा पाया गया है कि इस आश्रय गृह में रहने से लड़कियां संतुष्ट या खुश नहीं हैं। इस बात की प्रथम दृष्टया संभावना है कि इन लड़कियों के साथ किसी प्रकार का अमानवीय और अयोग्य व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें आश्रय गृह छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

तदनुसार, आयोग ने केरल के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर घटना की रिपोर्ट के साथ की गई कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। बालिकाओं को आश्रय गृह से भागने में मदद करने के लिए सामाजिक न्याय विभाग या बाल कल्याण समिति के किसी लोक सेवक की संलिप्तता के बारे में भी सूचना दी जानी चाहिए। रिपोर्ट में उक्त आश्रय गृह में रहने वाली लापता लड़कियों के असंतोष और निराशा के कारणों को स्पष्ट किया जाना चाहिए।

कोट्टायम में मंगनम से लापता लड़कियों के लिए दर्ज मामले की स्थिति और गिरफ्तारी, यदि कोई हो, के संबंध में पुलिस महानिदेशक, केरल को भी एक नोटिस जारी किया गया है। रिपोर्ट में राज्य के भीतर समाज के कमजोर वर्गों से मानव तस्करी को रोकने के लिए आयोग द्वारा वर्ष 2017 में भारत में मानव तस्करी का प्रतिरोध करने के लिए जारी एसओपी के कार्यान्वयन की स्थिति भी शामिल होनी चाहिए। अधिकारियों से दो सप्ताह के भीतर जवाब अपेक्षित है।

इसके अलावा, आयोग ने कोट्टायम में बार-बार लड़कियों के लापता होने की घटनाओं पर विचार करते हुए, अपने विशेष प्रतिवेदक, श्री हरि सेना वर्मा को कोट्टायम का दौरा करने और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है, जिसमें तत्काल मामले से संबंधित तथ्य भी शामिल होने चाहिए। उनसे भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के उपाय सुझाने की भी उम्मीद है।

आयोग, वर्षों से लगातार इस बात की सिफारिश करता रहा है कि लड़कियों सहित लापता बच्चों का यौन शोषण या घरों, मसाज पार्लरों और स्पा में जबरन मजदूरी कराना भी तस्करी का कारण हो सकता है। उन्हें अवैध रूप से गोद लेने या बाल विवाह के लिए भी मजबूर किया जा सकता है। इसीलिए आयोग ने वर्ष 2017 में भारत में मानव तस्करी से निपटने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की, लेकिन फिर भी मानव तस्करी जैसे सामाजिक खतरे को खत्म करने के लिए सभी हितधारकों के संयुक्त प्रयासों को बढ़ाने की जरूरत है।