एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल के संदेशखली में पुलिस द्वारा एक पत्रकार को गैरकानूनी हिरासत में लेने और उसके साथ मारपीट का आरोप लगाने वाली एक शिकायत पर संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 20 फरवरी, 2024

एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल के संदेशखली में पुलिस द्वारा एक पत्रकार को गैरकानूनी हिरासत में लेने और उसके साथ मारपीट का आरोप लगाने वाली एक शिकायत पर संज्ञान लिया

आरोपों को मानव अधिकारों के उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध का गंभीर मुद्दा माना गया

राज्य के डीजीपी को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब की

साथ ही आयोग ने अपने डीआइजी (अन्वेीषण) को दूरभाष पर तथ्यों का पता लगाने और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक शिकायत पर स्वत: संज्ञान लिया है कि रिपब्लिक बांग्ला टीवी के पत्रकार श्री संतू पान को 19 फरवरी, 2024 को संदेशखली, पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कवर करते समय गैरकानूनी रूप से हिरासत में लिया गया था। कथित तौर पर, बिना किसी पूर्व सूचना के, पुलिस कर्मियों ने पीड़ित को घेर लिया, उसके साथ मारपीट की और उसे जबरन अवैध हिरासत में ले लिया। शिकायतकर्ता, जो पत्रकार की पत्नी है, ने यह भी आरोप लगाया है कि उसको अपने पति से मिलने नहीं दे रहे है और वह उसकी सुरक्षा के बारे में चिंतित है। उसने आगे कहा कि यह पश्चिम बंगाल राज्य में जबरदस्ती और धमकी के माध्यम से मीडिया की आवाज़ दबाने का प्रयास है।

आयोग ने पाया है कि आरोप पत्रकार के मानव अधिकारों के उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध का गंभीर मुद्दा उठाते हैं। तदनुसार, आयोग ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है और उन्हें दो सप्ताह के भीतर मामले में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। आयोग ने अपने डीआइजी (अन्वेभषण) को दूरभाष पर तथ्यों का पता लगाने और एक सप्ताह के भीतर आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा है।

नोटिस जारी करते हुए, एनएचआरसी ने हाल ही में एक मामले में उच्च<तम न्याायालय की टिप्पणी पर भी गौर किया है कि "लोकतांत्रिक गणराज्य के मजबूत कामकाज के लिए एक स्वतंत्र प्रेस महत्वपूर्ण है। एक लोकतांत्रिक समाज में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राज्य के कामकाज पर प्रकाश डालती है। प्रेस का कर्तव्य है कि वह सत्ता के सामने सच बोले और नागरिकों को ठोस तथ्य पेश करे ताकि वे ऐसे विकल्प चुन सकें, जो लोकतंत्र को सही दिशा में ले जाएं। प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नागरिकों को एक समान दृष्टिकोण से सोचने के लिए मजबूर करता है। सामाजिक-आर्थिक नीति से लेकर राजनीतिक विचारधाराओं तक के मुद्दों पर एक समान दृष्टिकोण लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे पैदा करेगा।"

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