एनएचआरसी ने सीवरेज कुएं में श्रमिकों की कथित मौत पर मुख्य सचिव, डीजीपी, राजस्थान और अध्यक्ष, जयपुर विकास प्राधिकरण को नोटिस जारी किया



नई दिल्ली, 22 नवंबर, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि राजस्थान में 18 नवम्बर, 2022 को कलवार क्षेत्र में जयपुर विकास प्राधिकरण के एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के 25 फीट गहरे कुएँ में लीक वाल्व की मरम्मत कार्य करते समय दो मजदूरों की मौत हो गयी। कथित तौर पर, उनके एक सहयोगी को पुलिस अधिकारी ने कुएं के अंदर जाकर सुरक्षित बाहर निकाला। उसका अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।

आयोग ने पीड़ितों में से एक को सीवरेज कुएं से बाहर निकालने में पुलिस अधिकारी द्वारा किए गए सराहनीय कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा है कि धारा 304ए आईपीसी के तहत जिम्मेदार व्यक्तियों/एजेंसी के खिलाफ अभियोजन, चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी, अनिवार्य है, जिन्होंने श्रमिकों को बिना सुरक्षा गियर के जोखिम भरे सफाई कार्य में लगाया था।

तदनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, राजस्थान के साथ-साथ अध्यक्ष, जयपुर विकास प्राधिकरण को चार सप्ताह के भीतर मामले में रिपोर्ट देने के लिए नोटिस जारी किया है। मुख्य सचिव, राजस्थान से यह सूचित करने की अपेक्षा की जाती है कि क्या मृतक व्यक्तियों के परिवार को कोई राहत/पुनर्वास प्रदान किया गया है। उन्हें यह बताने का भी निर्देश दिया गया है कि क्या आयोग द्वारा जारी की गई परामर्शी राजस्थान राज्य में लागू की जा रही है।

डीजीपी से इस मामले में दर्ज प्राथमिकी की वर्तमान स्थिति और जिम्मेदार अधिकारियों/एजेंसियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में सूचित करने की अपेक्षा है। आयोग तीसरे पीड़ित की स्वास्थ्य स्थिति भी जानना चाहेगा, जिसका कथित तौर पर एक अस्पताल में इलाज किया जा रहा है।

अध्यक्ष, जयपुर विकास प्राधिकरण को संबंधित सेवा नियमों के तहत दोषी लोक सेवकों, जिनकी लापरवाही के कारण सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराने के कारण दो अनमोल मानव जीवन की हानि हुई, के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रिसाव की शिकायत थी और पीड़ितों, जो चचेरे भाई हैं, को बिना किसी सुरक्षा उपकरण के काम में शामिल होने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था। बताया जाता है कि कुआं 25 फीट गहरा है जिसमें पीड़ित काम करने के लिए घुसे थे और जब वे मेनलाइन के वाल्व को कसने की कोशिश कर रहे थे, तो वह टूट गया, जिसके परिणामस्वरूप सीवेज का कचरा अचानक बह गया जिससे कुएं में पानी भर गया और दोनों पीड़ित इसकी चपेट में आ गये।

आयोग ने 24.9.2021 को जोखिमभरे सफाई में लगे व्यक्तियों के मानवाधिकारों के संरक्षण के बारे में संघ, राज्य सरकारों और स्थानीय प्राधिकरणों को एक परामर्शी जारी की थी, जिसका उद्देश्य इस कुप्रथा का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित करना था। उस परामर्शी में, यह विशेष रूप से देखा गया है कि किसी भी सैनिटरी कार्य या जोखिमभरे समाशोधन कार्य के मामले में, स्थानीय प्राधिकरण और ठेकेदार/नियोक्ताओं को संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, भले ही सैनिटरी कर्मी को काम पर रखने/नियुक्त करने के प्रकार की परवाह किए बिना।

इसने गंभीर चिंता व्यक्त की है कि इस तरह के खतरनाक काम को मशीनों की मदद से करवाने के लिए अधिकारियों से लगातार आग्रह करने के बावजूद, इसे बिना सुरक्षात्मक गियर के मैन्युअल रूप से किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग आए दिन जानमाल का नुकसान हो रहा है।