एनएचआरसी ने सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान तीन सफाई कर्मचारियों की कथित मौत पर मुख्य सचिव, डीजीपी, तमिलनाडु सरकार और नगर आयुक्त, करूर को नोटिस जारी किया



नई दिल्ली, नवंबर 18,

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने 15 नवंबर, 2022 को तमिलनाडु के करूर जिले के गांधी नगर इलाके में एक निर्माणाधीन घर में एक सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान दम घुटने से तीन श्रमिकों की मौत की मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, तमिलनाडु और नगर आयुक्त, करूर को नोटिस जारी कर मामले में रिपोर्ट मांगी है। जवाब देने के लिए उन्हें छह सप्ताह का समय दिया गया है।

मुख्य सचिव को निर्माण स्थल पर सेप्टिक टैंक की सफाई का जिम्मा सौंपने वाले संबंधित प्राधिकारियों की जिम्मेदारी/जवाबदेही तय करने के साथ ही मृतक के परिजनों को प्रदान किए गए मुआवजे और पुनर्वास के संबंध में एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

रिपोर्ट में राज्य सरकार द्वारा सीवर/सेप्टिक टैंक आदि की जोखिम भरे सफाई कार्य में शामिल श्रमिकों को सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए शुरू किए गए जागरूकता और संवेदीकरण शिविरों के साथ-साथ ऐसे स्वच्छता श्रमिकों के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई या शुरू की जाने वाली कल्याणकारी योजनाओं को भी निर्दिष्ट किया जाना चाहिए। कार्रवाई रिपोर्ट में जोखिम भरे सफाई कार्य में लगे व्यक्ति के मानवाधिकारों की सुरक्षा के बारे में 24 सितंबर, 2021 को एनएचआरसी द्वारा जारी परामर्शी का कार्यान्वयन और उसके परिणाम भी अपेक्षित है।

पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी की स्थिति, गिरफ्तारी, यदि कोई हो, की रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है; रिपोर्ट में मृत श्रमिकों को निर्माणाधीन घर में बिना सुरक्षा उपकरणों के सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए भेजने वाले निजी या सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-ए लागू करके मृत्यु का कारण बनने में योगदान देने वाली सदोष उपेक्षा को शामिल किया जाना चाहिये।

नगर आयुक्त, करूर को सफाई कार्य के दौरान सुरक्षा साधनों और सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करने के लिए श्रमिकों को सक्षम न बनाने में की गयी लापरवाही के लिए दोषी लोकसेवको के खिलाफ जारी सेवा नियम के अनुसार शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई को निर्दिष्ट करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

नोटिस जारी करते हुए आयोग ने पाया है कि उसकी परामर्शी के अलावा, 27 मार्च, 2014 को सफाई कर्मचारी आंदोलन बनाम भारत संघ और अन्य (डब्ल्यूपी (सी) संख्या 583, 2003) में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में स्थानीय अधिकारियों और अन्य एजेंसियों को सफाई के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करने के लिए विशिष्ट जनादेश और "मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013" के अधिनियमन के बावजूद , सेप्टिक टैंक / सीवर लाइनों में प्रवेश / सफाई करते समय सफाई कर्मचारियों की मौत की घटनाएं लगातार हो रही हैं। आयोग का सर्वोपरि विचार सैनिटरी श्रमिकों द्वारा मैन्युअल रूप से सीवेज की सफाई, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 17 में परिकल्पित अस्पृश्यता के उन्मूलन की अवधारणा के विपरीत है, का पूर्ण उन्मूलन और अंत सुनिश्चित करना है

आयोग ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी भी स्वच्छता कार्य या जोखिमभरे सफाई कार्य के मामले में, स्थानीय प्राधिकरण और ठेकेदार/नियोक्ता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, भले ही स्वच्छता कर्मचारियों को काम पर रखने/नियुक्त करने का प्रकार कुछ भी हो।