एनएचआरसी, भारत ने उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना भूमि अधिग्रहण का विरोध करने पर तेलंगाना के विकाराबाद जिले के लगचार्ला के ग्रामीणों पर उत्पीड़न, यातना और झूठे आरोप लगाने वाली एक शिकायत का संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 21 नवंबर, 2024

एनएचआरसी, भारत ने उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना भूमि अधिग्रहण का विरोध करने पर तेलंगाना के विकाराबाद जिले के लगचार्ला के ग्रामीणों पर उत्पीड़न, यातना और झूठे आरोप लगाने वाली एक शिकायत का संज्ञान लिया

कथित अत्याचारों के अधिकांश पीड़ित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े समुदायों से होने का दावा करते हैं

पुलिस कार्रवाई के डर से कुछ ग्रामीणों को भोजन, चिकित्सा सहायता और बुनियादी सुविधाओं के बिना जंगलों और खेतों में शरण लेने के लिए अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा

एनएचआरसी ने तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी

साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग अपनी पूरी टीम को घटनास्‍थल पर जांच के लिए भेजने का निर्णय लिया

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने तेलंगाना के विकाराबाद जिले के लगचार्ला गांव के निवासियों की एक शिकायत पर संज्ञान लिया है, जिसमें पुलिस उत्पीड़न, शारीरिक शोषण और झूठे आपराधिक आरोप लगाए गए हैं। कथित तौर पर ये कार्रवाई तब हुई जब ग्रामीणों ने उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना प्रस्तावित "फार्मा विलेज" के लिए राज्य के भूमि अधिग्रहण का विरोध किया। कथित अत्याचारों के अधिकांश पीड़ित अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े समुदायों से होने का दावा करते हैं। यह शिकायत कम से कम 12 पीड़ितों द्वारा प्रस्तुत की गई है, जिन्होंने आयोग से मुलाकात कर मामले में उन्हें भुखमरी से बचाने के लिए हस्तक्षेप करने की प्रार्थना की थी।

कथित तौर पर, 11.11.2024 को जिला कलेक्टर अन्य अधिकारियों के साथ प्रस्तावित फार्मा परियोजना के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण की घोषणा करने के लिए लगचार्ला गांव पहुंचे। उसी शाम कथित तौर पर कुछ स्थानीय गुंडों के साथ सैकड़ों पुलिस कर्मियों ने गांव पर छापा मारा और विरोध कर रहे ग्रामीणों पर हमला किया। उन्होंने गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शा।

इंटरनेट सेवाएं और बिजली आपूर्ति भी कथित तौर पर बंद कर दी गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मदद के लिए किसी से कोई संपर्क न किया जा सके। कथित तौर पर, पुलिस ने महिलाओं सहित ग्रामीणों के खिलाफ झूठी शिकायतों पर एफआईआर दर्ज की, जिससे कुछ पीड़ितों को डर के कारण अपने घर छोड़ने और भोजन, चिकित्सा सहायता, बुनियादी सुविधाओं आदि के बिना जंगलों और खेतों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

आयोग ने पाया है कि शिकायत की सामग्री, यदि सत्‍य है, तो यह उनके मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा उठाती है, जो वास्तव में चिंता का विषय है। तदनुसार, आयोग ने तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

रिपोर्ट में एफआईआर की स्थिति, न्यायिक हिरासत में बंद व्यक्तियों और उन ग्रामीणों को वास्‍तविक स्थिति भी अपेक्षित है जो डर के कारण कथित तौर पर बुनियादी सुविधाओं के बिना वन क्षेत्रों में छिपे हुए हैं। आयोग यह भी जानना चाहेगा कि क्या पीड़ित महिलाओं की कोई मेडिकल जांच की गई और घायल ग्रामीणों को चिकित्सा देखभाल प्रदान की गई।

इसके अलावा, आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, आयोग ने मामले की घटनास्‍थल पर जांच के लिए तुरंत अपने विधि तथा अन्‍वेषण अधिकारियों की एक संयुक्त टीम भेजना और एक सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करना भी आवश्यक समझा है।

कथित तौर पर, राज्य सरकार ने एक अत्याधुनिक फार्मा सिटी की बनाने के लिए पिछली सरकार द्वारा पहले से ही अधिग्रहित आलीशान 16,000 एकड़ जमीन होने के बावजूद एकतरफा रूप से 1,374 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करके कोडंगल निर्वाचन क्षेत्र में एक फार्मा गांव तैयार करने का फैसला किया है। जिस भूमि को अब बिना किसी पूर्व सूचना के जबरन अधिग्रहित किया जा रहा है, वह उपजाऊ कृषि भूमि है, जो पीढ़ियों से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और ओबीसी श्रेणियों के व्यक्तियों के स्वामित्व और अधिग्रहण की है और किसान 4-5 महीने से अधिक समय से इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

*****