एनएचआरसी, भारत ने एप्पल उपकरणों की एक प्रमुख निर्माता फॉक्सकॉन द्वारा तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में अपने असेंबली प्लांट में विवाहित महिलाओं को नौकरी से बाहर करने के कथित भेदभाव पर स्वत: संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 1 जुलाई, 2024

एनएचआरसी, भारत ने एप्पल उपकरणों की एक प्रमुख निर्माता फॉक्सकॉन द्वारा तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में अपने असेंबली प्लांट में विवाहित महिलाओं को नौकरी से बाहर करने के कथित भेदभाव पर स्वत: संज्ञान लिया

एनएचआरसी का मानना है कि यदि रिपोर्ट सही है, तो यह विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का गंभीर मुद्दा उठाती है, जिससे समानता और समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन होता है

सचिव, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय तथा मुख्य सचिव, तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी

यह सुनिश्चित करना राज्य का दायित्व है कि सभी कंपनियां श्रम कानूनों और व्यक्तियों के स्वास्थ्य और सम्मान के अधिकार से संबंधित मानदंडों और विनियमों का पालन करेंv

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने उन मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया है, जिनमें कहा गया है कि ऐप्पल उपकरणों की एक प्रमुख निर्माता फॉक्सकॉन ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में अपने आईफोन असेंबली प्लांट में विवाहित महिलाओं को व्यवस्थित रूप से नौकरी से बाहर कर दिया है। फॉक्सकॉन, भारत के एक पूर्व एचआर एक्जीक्यूटिव का आरोप है कि इस संबंध में कंपनी द्वारा भारतीय नियुक्ति एजेंसियों को मौखिक निर्देश दिए गए हैं। यह भी कहा गया है कि कंपनी सांस्कृतिक मुद्दों और सामाजिक दबाव के कारण विवाहित महिलाओं को काम पर नहीं रखती है।

आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्टों की सामग्री, यदि सही है, तो यह विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का गंभीर मुद्दा उठाती है, जिससे समानता और समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन होता है। इसलिए, आयोग ने सचिव, केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय तथा मुख्‍य सचिव, तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

नोटिस जारी करते हुए, आयोग ने इस तथ्य पर ध्यान दिया है कि लैंगिक समानता न केवल भारतीय संविधान में बल्कि अंतरराष्ट्रीय संधि और अनुबंधों में भी जरूरी है, अर्थात् नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध, तथा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय अनुबंध भी रोजगार के किसी भी रूप में जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं। यह सुनिश्चित करना राज्य प्राधिकारियों का दायित्व है कि सभी कंपनियां श्रम कानूनों और किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य और सम्मान के अधिकार से संबंधित मानदंडों और विनियमों का पालन करें, जिनमें वे महिलाएं भी शामिल हैं, जो निजी क्षेत्र की किसी उत्पादन इकाई की आपूर्ति श्रृंखला में काम कर रही हैं।

दिनांक 26 जून, 2024 को जारी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जनवरी, 2023 से मई, 2024 की अवधि के दौरान कंपनी में कई नौकरी चाहने वालों से बात की गई तथा कंपनी के उम्मीदवार सूचना पुस्तिका की भी जांच की गई। पता चला कि केवल अविवाहित महिलाएं ही असेंबली प्लांट में नौकरी के लिए पात्र थी, जबकि कंपनी द्वारा दिए गए विज्ञापनों में इस संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया गया था। समाचार रिपोर्ट में एक विवाहित उम्मीदवार और कंपनी की नियुक्ति एजेंसी के बीच एक व्हाट्सएप चैट का भी हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि जब उम्मीदवार ने कंपनी द्वारा दी जाने वाली वेतन और चाइल्डकैअर सुविधा के बारे में पूछा, तो जवाब था 'शादी करने की अनुमति नहीं है'। कथित तौर पर कंपनी ने वैवाहिक स्थिति, जेंडर, धर्म या किसी अन्य रूप के आधार पर रोजगार में भेदभाव के आरोपों का खंडन किया है।

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