एनएचआरसी, भारत ने हरियाणा के मानेसर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के गोदाम में श्रम-विरोधी प्रथाओं का स्वतः संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 19 जून, 2024

एनएचआरसी, भारत ने हरियाणा के मानेसर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के गोदाम में श्रम-विरोधी प्रथाओं का स्वतः संज्ञान लिया

आयोग ने सरकार के श्रमिक-समर्थक कानूनों और नीतियों के बावजूद कथित आरोपों पर चिंता व्यक्त की

आयोग ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी

राष्ट्रीय मानव अधिकार (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है, रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के मानेसर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के गोदाम में 24 वर्षीय कर्मचारी को यह शपथ दिलायी गई कि अपनी टीम के 30 मिनट के चाय ब्रेक के बाद, जब तक वे 24 फीट लंबे छह ट्रकों से सारे पैकेज नहीं उतार लेते, तब तक प्रसाधन या पानी के लिए ब्रेक नहीं लेंगे। कथित तौर पर मानेसर गोदाम में एक महिला कर्मचारी ने कहा कि कार्य स्थलों पर प्रसाधन की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। कथित तौर पर, भारत में श्रमिक संघों ने मानेसर और उसके आसपास के पांच गोदामों पर कारखाना अधिनियम, 1948 में उल्लिखित नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। हालांकि श्रम निरीक्षक सुधार की मांग कर सकते हैं, लेकिन इसका प्रवर्तन सीमित है।

आयोग ने पाया है कि यदि समाचार रिपोर्ट की सामग्री सही है, तो यह श्रम कानूनों और समय-समय पर केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के साथ-साथ श्रमिकों के मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। तदनुसार, आयोग ने सचिव, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

नोटिस जारी करते हुए आयोग ने यह भी कहा है कि सरकार श्रमिकों के जीवन स्तर में सुधार लाने पर जोर दे रही है। श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का उचित भुगतान सुनिश्चित करने के अलावा, श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने वाली सरकारी योजनाएं शुरू की गई हैं, जिसमें सुरक्षित कार्य वातावरण, जोखिमभरे कार्यों की स्थितियों में सुरक्षा गियर, चिकित्सा बीमा और नियोक्ताओं द्वारा श्रमिकों की मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच शामिल है। देश के विकास और श्रमिकों को अधिकतम लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से वर्ष 2014 में "श्रमेव जयते" योजना शुरू की गई थी। मातृत्व लाभ संशोधन अधिनियम, 2017 भी लागू किया गया, जिसमें सवेतन मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया।

समाचार रिपोर्ट के अनुसार, सप्ताह में पांच दिन दस घंटे प्रतिदिन काम करने वाले और 10,088 रुपये प्रति माह कमाने वाले एक कर्मचारी ने कहा कि अगर वे 30 मिनट के लंच और चाय ब्रेक सहित बिना ब्रेक के लगातार काम करते हैं, तो भी वे प्रतिदिन चार से अधिक ट्रकों से सामान नहीं उतार सकते। एक महिला कर्मचारी ने यह भी दावा किया कि वह रोजाना नौ घंटे खड़ी रहती है और उसे ड्यूटी के दौरान प्रति घंटे 60 छोटे उत्पादों या 40 मध्यम आकार के उत्पादों की जाँच करनी पड़ती है। रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस बहुराष्ट्रीय कंपनी पर इस तरह के आरोप लगाये गए हैं ।