एनएचआरसी स्थापना दिवस और वृद्धजनों के अधिकारों पर राष्ट्रीय सम्मेलन



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 18 अक्टूबर, 2024

एनएचआरसी स्थापना दिवस और वृद्धजनों के अधिकारों पर राष्ट्रीय सम्मेलन

भारत के उपराष्ट्रपति, श्री जगदीप धनखड़ ने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि जब मानव अधिकारों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, हाशिए पर रहने वाले और समाज के कमजोर वर्गों के मानव अधिकारों के संरक्षण की बात आती है, तो भारत अन्य देशों से बहुत आगे है।

उपराष्ट्रपति ने दुनिया के अन्य हिस्सों में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर वैश्विक चुप्पी पर चिंता व्यक्त करते हुए मानव अधिकारों के सभ्यतागत संरक्षक के रूप में भारत की असाधारण भूमिका पर प्रकाश डाला।

एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की प्रगति एक सभ्यतागत लोकाचार के रूप में मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु गहरी प्रतिबद्धता जुड़ी हुई है।

आयोग हिरासत में हिंसा के मामलों से निपटने के दौरान पुलिस सुधारों का समर्थन करने सहित मानव अधिकार उल्लंघनों के व्यापक स्पेक्ट्रम को संबोधित करता है: एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष

पश्चिम बंगाल में संदेशखली हिंसा में पीड़ितों को न्याय मांगने से रोकने वाले डर और धमकी के माहौल का खुलासा करने वाली आयोग की घटनास्‍थल जांच पर प्रकाश डाला

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अपना 31वां स्थापना दिवस समारोह मनाने तथा वृद्धजनों के अधिकारों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को हुई थी। भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि भारत का मानव अधिकार रिकॉर्ड बेजोड़ है। जब मानव अधिकारों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, हाशिए पर रहने वाले और समाज के कमजोर वर्गों के मानव अधिकारों के संरक्षण की बात आती है, तो देश अन्य देशों से बहुत आगे है। अलग-अलग घटनाएं भारत और उसके मानव अधिकार रिकॉर्ड को परिभाषित नहीं कर सकतीं। उन्होंने दूसरों पर सत्ता जमाने के लिए विदेश नीति के एक उपकरण के रूप में मानव अधिकारों में हेरफेर करने की कुछ संस्थाओं की प्रवृत्ति की आलोचना की। उपराष्ट्रपति ने दुनिया के अन्य हिस्सों में मानव अधिकारों के उल्लंघन पर वैश्विक चुप्पी पर चिंता व्यक्त करते हुए मानव अधिकारों के सभ्यतागत संरक्षक के रूप में भारत की असाधारण भूमिका पर प्रकाश डाला।

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श्री धनखड़ ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को मानव अधिकारों का चैंपियन बनना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी उनके साथ आर्थिक रूप से छेड़छाड़ न करे। राष्ट्रहित को राजनीतिक चश्मे से नहीं बल्कि साझेदारी से देखा जाना चाहिए। उन्होंने भारत के मानव अधिकार रिकॉर्ड को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गलत तरीके से बदनाम करने की कोशिश करने वाली खतरनाक ताकतों के खिलाफ भी आगाह किया। उन्होंने कहा कि भारतीय ग्रंथ मानव जीवन शैली के चार्टर हैं- मानव जीवन पर ज्ञान का भंडार हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी के समय से ही रंग, जाति और वर्ग की परवाह किए बिना 850 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त राशन देना जारी रखे हुए है। जो लोग भारत की भूख की स्थिति के बारे में बात करते हैं उन्हें आत्मचिंतन करने की जरूरत है। देश में कानून के समक्ष समानता का प्रदर्शन किया गया है। दुनिया को इसके बारे में जानने की जरूरत है और कैसे लाभार्थी के खाते में लाभ के सीधे हस्तांतरण ने देश में भ्रष्टाचार को बेअसर कर दिया है।

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श्री धनखड़ ने भारत में भेदभाव रहित विकास के परिवर्तनकारी दशक पर प्रकाश डाला, जिससे वर्ग, जाति, जनसांख्यिकी के बावजूद समाज के हर वर्ग के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में, भारत की आर्थिक वृद्धि तेजी से, वृद्धिशील, अजेय रही है और यह पिरामिडनुमा नहीं है। सभी को लाभ मिल रहा है। किफायती आवास, गैस कनेक्शन, नल का पानी, इंटरनेट कनेक्टिविटी, सड़क कनेक्टिविटी, और ये गैर-भेदभावपूर्ण प्रगति है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी विकासात्मक परियोजना कभी भी उन परिस्थितियों के अलावा अन्य परिस्थितियों से निर्धारित नहीं हुई है जो मानव अधिकारों के अंतिम उद्देश्य को पूरा करती हैं।

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इससे पहले, एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि आयोग मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित हाशिए पर रहने वाले लोगों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देकर सभी के लिए सम्मान, स्वतंत्रता और कल्याण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका उद्देश्य उन्हें अपने अधिकारों का दावा करने और राष्ट्रीय प्रगति में योगदान देने में मदद करना है। यह पर्यावरणीय अधिकारों की आवश्यकता, स्थायी प्रथाओं और प्रदूषण के लिए जवाबदेही पर जोर देता है। अपने स्थापना दिवस और उपलब्धियों का जश्न मनाना, हमें कमजोर समूहों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध रहने, उनकी विशिष्‍ट स्थितियों के लिए करुणा के साथ उनके मानव अधिकारों को प्राथमिकता देने की याद दिलाता है।

उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत की प्रगति मानव अधिकारों के प्रति उसकी गहरी प्रतिबद्धता है, जो हमारी सभ्यता में गहराई से अंतर्निहित है और हमारे संविधान में निहित है। व्यक्तिगत गरिमा का सम्मान भारतीय लोकाचार का केंद्र है, जो वेदों और गीता जैसे प्राचीन ग्रंथों में निहित है। मानवता के छठे हिस्से के घर के रूप में, भारत व्यक्तिगत गरिमा और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में दुनिया के लिए एक आदर्श बन रहा है। हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता में हमारी ताकत को प्रदर्शित करती है।

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एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि अपने पूरे इतिहास में, एनएचआरसी, भारत ने ऐतिहासिक मामलों को संबोधित किया है और देश में मानव अधिकारों को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें की हैं। आयोग मानव अधिकार उल्लंघनों के व्यापक स्पेक्ट्रम को संबोधित करता है, जिसमें हिरासत में मौत, बंधुआ मजदूरी, हाशिए पर रहने वाले समूहों का शोषण और चिकित्सा देखभाल से इनकार शामिल है। आयोग ने हिरासत में हिंसा के मामलों से निपटने के दौरान आवश्यक पुलिस सुधारों का समर्थन करते हुए प्रणालीगत कानून प्रवर्तन मुद्दों पर प्रकाश डाला है।

उन्होंने कहा कि आयोग ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न की गंभीर रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया दी। एनएचआरसी द्वारा की गई घटनासथल जांच से पता चला कि भय और धमकी का माहौल पीड़ितों को न्याय मांगने से रोकता है।

श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि एनएचआरसी ने शिकायतों को संबोधित करने के साथ-साथ पिछले वर्ष मानव अधिकारों के उल्लंघन के 30 मामलों की स्वतंत्र जांच की। आयोग ने जेलों, स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों जैसी सुविधाओं का मौका-मुआयना भी किया। ये प्रयास सरकारी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करते हैं। आयोग की निगरानी बढ़ाने के लिए, आयोग के विशेष प्रतिवेदक और मॉनिटर पुलिस सुधार, बच्चों के अधिकार और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

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एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आयोग सभी के लिए सम्मान और सम्मान की संस्कृति को बढ़ावा देता है। आयोग के व्यापक अधिदेश की एक झलक देते हुए, उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 68 हजार से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं और लगभग 70 हजार मामलों का निपटान किया गया और पीड़ितों और उनके परिजनों को 17 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के भुगतान की सिफारिश की गई।

श्री लाल ने कहा कि एनएचआरसी की राष्ट्रीय परामर्श, कोर समूह की बैठकें और ओपन हाउस चर्चाएं एक अन्य तंत्र है जिसके द्वारा आयोग सरकारी अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों और सीएसओ के सदस्यों, मानव अधिकार संरक्षकों और विषय वस्तु विशेषज्ञों जैसे हितधारकों के साथ जुड़ता है। कार्यस्थलों पर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करने के लिए, आयोग ने कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिला सुरक्षा पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी की भी मेजबानी की, जिसमें प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया। पिछले एक साल में भिक्षावृति में शामिल व्यक्तियों की सुरक्षा और पुनर्वास, विधवाओं के अधिकारों और बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम) के खिलाफ बच्चों के अधिकारों आदि पर कई परामर्शियां जारी की गई थी।

श्री लाल ने कहा कि एनएचआरसी, भारत अन्य राष्ट्रीय आयोगों, राज्यों में उनके समकक्षों और राज्य मानव अधिकार आयोगों के साथ मिलकर काम करता है। आयोग विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मानव अधिकार चर्चा को बढ़ावा देने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयोग एशिया पैसिफ़िक फ़ोरम ऑफ़ ह्यूमन राइट्स का संस्थापक सदस्य है और सीमाओं के पार मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए अन्य राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों के साथ दक्षिण-दक्षिण सहयोग संबंध बनाने में सक्रिय रहा है। आयोग का राष्ट्रमंडल फोरम ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस (CFNHRI) और ग्लोबल अलायंस फॉर नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस सहित विभिन्न अन्य अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार मंचों पर भी प्रमुख प्रतिनिधित्व है।

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राज्य मानव अधिकार आयोगों के सदस्य, न्यायपालिका के सदस्य, राजनयिक, एनएचआरसी के वरिष्ठ अधिकारी, विशेष प्रतिवेदक और मॉनिटर, वरिष्ठ सरकारी पदाधिकारी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि, मानव अधिकार संरक्षकों सहित अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों ने समारोह में भाग लिया।

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