केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित मामलों की संख्या को समय पर निपटाने के लिए और अधिक प्रयास करने को आवश्यक बताया।



केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित मामलों की संख्या को समय पर निपटाने के लिए और अधिक प्रयास करने को आवश्यक बताया।

एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने बाल यौन शोषण सामग्री के अपराधियों को पकड़ने और जाँच करने के लिए डिजिटल फोरेंसिक विकास को आवश्यक बताया।

नई दिल्ली, 2 मार्च, 2023

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने आज कहा कि बाल यौन शोषण सामग्री के खतरे की जांच के लिए देश में कई कानूनी प्रावधान हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि विशेष रूप से बच्चों के मानव अधिकारों का उल्लंघन न हो, कानूनी प्रावधानों से परे और भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर हमारी महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं हैं तो विकास का क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस संबंध में जो कुछ भी करने की आवश्यकता है, उसे करने के लिए समय की मांग और समय की आवश्यकता के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए।

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श्री रिजिजू, मुख्य अतिथि के रूप में, नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत द्वारा आयोजित बाल यौन शोषण सामग्री पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया।

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उन्होंने कहा कि बाल यौन शोषण सामग्री का उत्पादन, वितरण और उपभोग बच्चों द्वारा सामना किए जाने वाले यौन शोषण के सबसे गंभीर रूपों में से एक है और लगातार उनके मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन मनोवैज्ञानिक रूप से उनके विकास को बाधित कर रहा है।

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उन्होंने कहा कि बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों से निपटने के लिए कई फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें हैं। इन अदालतों ने 1,37,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों के निस्तारण और सजा दर में सुधार की जरूरत है। उच्च न्यायालयों को इस पर गौर करने की जरूरत है। बाल यौन शोषण सामग्री मामलों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को जांच एजेंसियों और फोरेंसिक प्रयोगशालाओं को मजबूत करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक कानूनों की आवश्यकता है, केंद्र अधिक सक्रिय कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन हमारे समाज को सुरक्षित और प्रगतिशील बनाने के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका के साथ-साथ सिविल सोसाइटी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

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इससे पहले, एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित अपराधों की रोकथाम, पता लगाना, जांच और अभियोजन संबंधित राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। वैश्विक और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर समन्वित प्रयास डिजिटल दुनिया को सफलतापूर्वक हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित बनाएंगे। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और बिचौलियों को भी जिम्मेदारी साझा करनी होगी।

उन्होंने कहा कि हालांकि इंटरनेट क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया लेकिन साइबर स्पेस का अब व्यक्तिगत गोपनीयता सहित कई मानव अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। इसलिए, साइबर सुरक्षा साइबर अपराध से लड़ने और मानव अधिकारों के संरक्षण की कुंजी है। बाल यौन शोषण सामग्री के अपराधियों को पकड़ने और जाँच करने के लिए डिजिटल फोरेंसिक विकास की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फोरेंसिक बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने के अलावा प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उभरती चुनौतियों के का मुकाबला करने के लिए कदम से कदम मिला कर चलना होगा।

जाँच अधिकारियों, वकीलों और न्यायाधीशों की शिक्षा और प्रशिक्षण की भी आवश्यकता है। इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए जन जागरूकता की भी आवश्यकता है।

एनएचआरसी सदस्य, श्री राजीव जैन ने कहा कि भारत ने बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कानून बनाए हैं। उन्होंने कहा कि हम बेकार नहीं बैठ सकते और यह नहीं कह सकते कि हम अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं; बाल यौन शोषण सामग्री के अपराधियों को रोकने, उनका पता लगाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। बिचौलियों जैसे कंटेंट होस्ट और जो पीयर-टू-पीयर एन्क्रिप्टेड संचार को सक्षम करते हैं, उन्हें यह जांचने की आवश्यकता है कि और क्या किया जा सकता है।

एनएचआरसी सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। उन्होंने कहा कि आयोग इस संबंध में विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ेगा और बाल यौन शोषण सामग्री के खतरे से बच्चों के मानव अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ रचनात्मक सुझावों की प्रतीक्षा कर रहा है।

इससे पहले प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए एनएचआरसी के महासचिव श्री डी. के. सिंह ने कहा कि आयोग कानूनी प्रावधानों में कमियों का पता लगाने और उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। बाल यौन शोषण सामग्री में पंजीकृत मामलों की संख्या वास्तव में समस्या के प्रति गंभीरता को नहीं दर्शाती है।

बाल यौन शोषण सामग्री पर राष्ट्रीय सम्मेलन को उद्घाटन और समापन सत्रों के अलावा पांच विषयगत सत्रों में बांटा गया है। श्री राजीव चंद्रशेखर, राज्य मंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय कल समापन सत्र को संबोधित करेंगे। पांच तकनीकी सत्रों के विषयों में 'प्रकृति, विस्तार और उभरते मुद्दों को समझना', 'बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित कानूनी प्रावधान', 'रोकथाम में प्रौद्योगिकी और मध्यस्थों की भूमिका', 'बाल यौन शोषण सामग्री का पता लगाना और जांच करना, बाल यौन शोषण सामग्री से लड़ने में अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण' और 'बाल यौन शोषण सामग्री की पता लगाना, जांच और निगरानी करने में प्रवर्तन एजेंसियों और साइबर फोरेंसिक की भूमिका' शामिल हैं। आज के चार तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, एनएचआरसी के सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले, श्री राजीव जैन और भारत में यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर, श्री शोम्बी शार्प ने की। पैनलिस्टों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषय विशेषज्ञ, नागरिक समाज के सदस्य, अधिवक्ता और विभिन्न प्रमुख मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल थे।

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