भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने एनएचआरसी, भारत द्वारा आयोजित एशिया प्रशांत के एनएचआरआई के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली, 20 सितंबर, 2023
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने एनएचआरसी, भारत द्वारा आयोजित एशिया प्रशांत के एनएचआरआई के दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया
भारत और एशिया प्रशांत के अन्य देशों को मानव अधिकारों के सभ्यतागत संरक्षक के रूप में वर्णित किया
मानव अधिकार संरक्षण हेतु उभरती चुनौतियों के लिए एनएचआरआई को एक संयुक्त रणनीति की आवश्यकता है: एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा
भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज कहा कि भारत और एशिया प्रशांत के अन्य देश मानव अधिकारों के सभ्यतागत संरक्षक हैं और संबंधित मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय सहमति विकसित करने में भूमिका निभा सकते हैं। मानव अधिकारों पर असर डालने वाले जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले की बहुत देर हो प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन की पहल करनी चाहिये। उन्होंने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एशिया प्रशांत फोरम के सहयोग से राष्ट्रीय मानव आयोग, एनएचआरसी, भारत द्वारा आयोजित एशिया प्रशांत के राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों (एनएचआरआई) के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास लोकतांत्रिक मूल्यों और व्यक्तिगत अधिकारों का अभ्यास करने और उन्हें संजोने का एक लंबा ऐतिहासिक अनुभव है। गणतंत्र की स्थापना के बाद से ही इसने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। हमने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए न्यूनतम 33% आरक्षण सुनिश्चित किया और विधानसभाओं और संसद में भी इसे लागू करने का प्रस्ताव रखा
इससे पहले अपने मुख्य भाषण में, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि एशिया प्रशांत के एनएचआरआई को जलवायु परिवर्तन, बाल तस्करी, बाल यौन शोषण सामग्री (सीसेम) और साइबरस्पेस में अन्य अपराध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में नवीनतम विकास, आदिके क्षेत्रों में मानव अधिकार संरक्षण हेतु उभरती चुनौतियों के लिए एक संयुक्त रणनीति की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर धन का कुछ हाथों में केन्द्रित होने से अन्याय की भावना पैदा हो रही है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विभिन्न आर्थिक गतिविधियों में शामिल श्रमिकों को मानवीय कार्य परिस्थितियाँ प्रदान की जाएँ। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक घरानों को कचरे के प्रसंस्करण और अपने परिसर से मलबा हटाने के लिए जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आवश्यक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों, बौद्धिक संपदा अधिकार, जनहित में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में अधिकार आधारित दृष्टिकोण अपनाना होगा। उन्होंने विशेष रूप से दिव्यांगों के लिए उचित अवसर की अवधारणा को उदार बनाने के अलावा महिलाओं और एलजीबीटीक्यूआई समुदाय के लिए लैंगिक न्याय सुनिश्चित करने का समर्थन किया।
इस अवसर पर, ग्लोबल अलायंस ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशन (जीएएनएचआरआई) की सचिव अमीना बौयाच ने कहा कि विश्व समुदाय मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में एनएचआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानता है। समकालीन समय में गरीबी, भेदभाव, रहने के लिए संकुचित होतेनागरिक स्थान सहित अन्य चुनौतियों का सामना करने में उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। एशिया पेसिफिक फोरम ऑफ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष श्री डू-ह्वान सॉन्ग ने भी सभा को संबोधित किया।
इससे पहले, गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने एशिया पेसिफिक के एनएचआरआई के दो दिवसीय सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में निर्धारित विषयों के संबंध में रूपरेखा दी। उन्होंने कहा कि सम्मेलन विभिन्न उभरती चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने और मानव अधिकारों संवर्धन और संरक्षण के तरीके खोजने का अवसर प्रदान करेगा।
20 सितंबर, 2023 को वार्षिक आम बैठक (एजीएम) और उसके बाद द्विवार्षिक सम्मेलन शामिल है, जिसमें मानव अधिकारों पर सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) की 75वीं वर्षगांठ और राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों और पेरिस सिद्धांतों के 30 साल का जश्न मनाने के साथ 21 सितंबर 2023 को एक उप-विषय पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर विचार-विमर्श भी किया जाएगा। इसमें एशिया प्रशांत क्षेत्र के एनएचआरआई के प्रमुख, सदस्य और वरिष्ठ अधिकारी, पर्यवेक्षक देशों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकारों, राज्य मानव अधिकार आयोगों, विशेष प्रतिवेदक, मॉनिटर, देश में मानव अधिकारोंकी सुरक्षा और प्रचार में शामिल विभिन्न संस्थान, नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों के सदस्य, मानव अधिकार संरक्षक, वकील, न्यायविद, शिक्षाविद, राजनयिक, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि और शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
एनएचआरसी रणनीतियों के विकास के लिए 'व्यापार और मानव अधिकार’पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की भी मेजबानी कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि व्यवसाय अपने संचालन में मानव अधिकारों और पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता दें।
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