मुंबई में एनएचआरसी शिविर बैठक संपन्न; 200 से अधिक मामले सुने गए: महाराष्ट्र सरकार ने आयोग की सिफारिशों पर मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 32.5 लाख रुपये का भुगतान किया



नई दिल्ली, 12 जनवरी, 2023

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज मुंबई में अपनी दो दिवसीय शिविर बैठक का समापन किया, जो महाराष्ट्र राज्य में मानव अधिकारों के उल्लंघन के लंबित मामलों की सुनवाई के लिए आयोजित की गई थी। बैठक की अध्यक्षता एनएचआरसी के सदस्य डॉ. डी. एम. मुले और श्री राजीव जैन ने की।

आयोग ने संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों और शिकायतकर्ताओं की उपस्थिति में 200 से अधिक मामलों की सुनवाई की। इनमें बिजली विभाग की लापरवाही से हुई मौतों के मामले, सेवानिवृति लाभ से वंचित करना, 'कोली' समुदाय के लोगों और सिने कर्मियों के मौलिक मानवाधिकारों की रक्षा में लापरवाही, एक इमारत के ढहने से ग्यारह लोगों की मौत, बाल श्रम से संबंधित बंधुआ मजदूरी की घटनाएं और न्यायिक/पुलिस हिरासत में मौत के मामलों के अलावा कुछ अन्‍य मामले भी शामिल हैं। महाराष्ट्र सरकार ने आयोग की सिफारिशों पर सात में से छह मामलों में 32.5 लाख रुपये का भुगतान किया है। शेष एक मामले में राज्य सरकार ने आयोग की अनुशंसाओं के अनुपालन का आश्वासन दिया है।

आयोग ने महाराष्ट्र सरकार से मामलों के त्वरित निपटान के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। आयोग ने सिफारिश की है कि राज्य सरकार बिजली का करंट लगने से मौत के मामलों में निकटतम संबंधियों को मुआवजे के भुगतान के लिए एक समान नीति तैयार करे। आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि मानव अधिकार के मुद्दे न केवल पुलिस/जेल प्रशासन से बल्कि अन्‍य सरकारी अधिकारियों से भी संबंधित हैं।

आयोग ने जेल सुधारों, आश्रय गृह उन्नयन, बचाए गए बंधुआ मजदूरों को अंतरिम मुआवजे का भुगतान, उनके पुनर्वास के लिए अन्य प्रावधानों और अंतिम मुआवजे का भुगतान करने पर भी जोर दिया। एनएचआरसी सदस्यों ने यह भी सलाह दी कि मुख्य विद्युत निरीक्षक कार्यालय बिजली के करंट के मामलों के लिए सुरक्षा उपायों के संबंध में एक जन जागरूकता अभियान चलाए। आयोग ने नौवहन महानिदेशक और भारतीय नौवहन निगम से संबंधित तीन मामले भी उठाए थे।

इससे पहले, 11 जनवरी, 2023 को शिविर बैठक का उद्घाटन करते हुए, एनएचआरसी के सदस्य, डॉ. डी. एम. मुले ने कहा कि आयोग के पास विभिन्न क्षेत्रों में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए व्यापक जनादेश है। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी कैंप सिटिंग एक अनूठी अवधारणा है जिसका उद्देश्य मानव अधिकारों के उल्लंघन के शिकार लोगों के घर-द्वार तक पहुंचना है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य सरकार द्वारा पीडि़तों को समय पर मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए।

सभा को संबोधित करते हुए, एनएचआरसी सदस्य, श्री राजीव जैन ने कहा कि ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां राज्य सरकार के अधिकारियों को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इनमें मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के साथ महाराष्ट्र में मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के कामकाज, न्यायिक हिरासत में मरने वालों के लिए मुआवजे का मानकीकरण (जैसे हरियाणा राज्य परिपत्र), हैनसेन की बीमारी (कुष्ठ रोग) से भेदभाव करने वाले कानूनी प्रावधान को निरस्त करना शामिल है। उन्होंने कहा कि राज्य मानव अधिकार प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी को एनएचआरसी के एचआरसी नेट पोर्टल के माध्यम से प्रतिक्रियाओं/रिपोर्टों का त्वरित निपटान सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जोखिमपूर्ण सफाई पर एनएचआरसी की 24 सितंबर, 2021 की परामर्शी (एडवाइजरी) का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

अपर मुख्य सचिव (गृह), महाराष्ट्र सरकार, श्री आनंद एम. लिमये ने कहा कि राज्य सरकार मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में सक्रिय रूप से शामिल है। इसने हाल ही में दिव्‍यांगजनों के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की है। महाराष्ट्र राज्य मानव अधिकार आयोग 6 मार्च, 2001 से कार्यरत है।

इस अवसर पर श्री मनु कुमार श्रीवास्तव, मुख्य सचिव, महाराष्ट्र, महाराष्ट्र राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री के. के. तातेद, श्री मनोज यादव, महानिदेशक (अन्‍वेषण), श्री सुरजीत डे, रजिस्ट्रार (विधि), श्रीमती अनीता सिन्हा, संयुक्त सचिव, एनएचआरसी के साथ-साथ आयोग और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

मामलों की सुनवाई के बाद, आयोग ने गैर-सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों के साथ बातचीत की। उन्होंने मानव अधिकार उल्लंघन के कई अन्‍य मुद्दों को उठाया। इनमें अस्पताल द्वारा अपनाए जाने वाले पेशेंट चार्टर, निर्माण क्षेत्र में बंधुआ मजदूरी के मुद्दे, गन्ना, प्रवासी श्रमिक, अनुचित श्रम व्‍यवहार के कारण होने वाली मौतें, घरेलू कामगार, सामाजिक सुरक्षा की कमी आदि शामिल हैं।

आयोग ने महाराष्ट्र राज्य में गैर-सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और उन्हें बिना किसी भय या पक्षपात के ऐसा करते रहने के लिए प्रोत्साहित किया। एनएचआरसी के सदस्यों ने कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के साथ गैर-सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों की निरंतर साझेदारी देश में मानव अधिकार शासन को मजबूत करने में काफी मददगार साबित होगी। उन्हें बताया गया कि वे hrcnet.nic.in के माध्यम से मानव अधिकार उल्लंघन की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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