राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी के सामने सबसे बड़ी चुनौती राष्ट्र की अर्थव्यवस्था एवं कल्याण के हितों की रक्षा करना है।



नई दिल्ली, 15 मार्च, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने आज कहा कि इंटरनेट सहायता प्राप्त संचार ने दुनिया भर में हमारे जीवन में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव लाए हैं, लेकिन इससे साइबर अपराध और डिजिटल विभाजन भी हुआ है। साइबर स्पेस का उपयोग न केवल वित्तीय और आर्थिक अपराधों के लिए किया जा रहा है, बल्कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शांति और सद्भाव को प्रभावित करने वाले आतंकवाद या उकसावे पर घृणा फैलाने वाले भाषणों को प्रायोजित करने के लिए भी किया जा रहा है।

न्यायमूर्ति मिश्रा आज नई दिल्ली में महासचिव श्री बिम्‍बाधर प्रधान, महानिदेशक (अन्‍वेषण), श्री संतोष मेहरा, रजिस्ट्रार (कानून), श्री सुरजीत डे एवं संयुक्त सचिव श्री हरीश चन्द्र चौधरी एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में छात्र प्रशिक्षुओं को उनके इंटर्नशिप प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।

59 छात्रों को इंटर्नशिप सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाई देते हुए न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी के सामने मुख्य चुनौती राष्ट्र की अर्थव्यवस्था और कल्याण के हितों की रक्षा करना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि वे जीवन में सफल होने के लिए अलग तरह से सोचेंगे और रचनात्मक तरीके से काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें स्वदेशी वस्तुओं और सेवाओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि ब्रांडेड सामान और परिधान खरीदने के नाम पर अत्यधिक राशि का भुगतान न किया जाए, जिनमें से कुछ वास्तव में स्थानीय रूप से उत्पादित हो सकते हैं।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने चिंता व्यक्त की कि साइबर तकनीक, जो लोगों के कल्याण के प्रबंधन के लिए बार-बार एक प्रभावी उपकरण साबित हुई है, का ज्यादातर दुरुपयोग किया जा रहा है और यह डार्क वेब के जाल में फंस जाती है। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के मामले में असली चुनौती अधिकार क्षेत्र को लेकर है, जब वास्‍तविक वस्तुओं के वितरण का स्थान और पैसे के लेनदेन और गंतव्य का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

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