राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा केन्द्र एवं राज्यों को मृतकों की गरिमा एवं अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए एडवाइजरी जारी।
नई दिल्ली, 14 मई, 2021
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने बड़ी संख्या में होने वाली मौतों तथा मीडिया में कोविड-19 से प्रभावित शवों के कुप्रबंधन/गलत संभाल के विषय में रिपोर्टों को ध्यान में रखते हुए आज केन्द्र एवं राज्यों को मृतकों की गरिमा एवं मानव अधिकारों को सुरक्षित रखने हेतु एडवाइजरी जारी की। यह कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र आयोग द्वारा जारी एडवाइजरी श्रृंखला 2.0 का दूसरा भाग है।
गंगा नदी में तैरते शवों की शिकायत पर कल केन्द्र, बिहार एवं उत्तरप्रदेश की सरकारों को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा जारी नोटिसों के संदर्भ में भी यह एडवाइजरी महत्त्वपूर्ण है।
आयोग ने कहा कि यह एक भली प्रकार से स्वीकृत कानूनी स्थिति है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 से प्राप्त जीवन, उचित व्यवहार एवं गरिमा के अधिकार न केवल जीवित व्यक्तियों तक सीमित हैं बल्कि मृत शरीरों पर भी लागू होते हैं।
आयोग ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि मृतकों की गरिमा कायम रखने में कोविड प्रोटोकॉल बनाए रखने के संबंध में उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय के निर्णयों, अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एनडीएमए, भारत सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों के बावजूद भी कोविड-19 महामारी के दौरान मृतकों की गरिमा को कम करने के विषय में रिपोर्टें आ रही हैं।
आयोग के महासचिव श्री बिम्बाधर प्रधान द्वारा केन्द्रीय गृह सचिव, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव तथा राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, राज्यों एवं संघ शासित प्रशासकों को पत्र लिखकर आयोग की एडवाइजरी में दी गई सिफारिशों को कार्यान्वयन करने तथा इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट 4 सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने को कहा गया है।
आयोग का मानना है, हालांकि देश में मृतकों के अधिकारों के संरक्षण हेतु कोई कानून नहीं है, तथापि संवैधानिक तंत्र, विभिन्न अदालतों के फैसलों, अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं की व्याख्या तथा सरकार के दिशा-निर्देशों से संदर्भ ग्रहण कर आयोग का कहना है कि यह राज्य का दायित्व है कि वह मृतक के अधिकारों एवं उसके मृत शरीर के प्रति अपराध से संरक्षण करे तथा मृतक की गरिमा कायम रखने के लिए सभी हितधारकों के साथ परामर्श करके एक एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार करे।
आयोग ने समाज में विभिन्न हितधारकों के लिए व्यापक सिफारिशें दी हैं जिनमें अन्य के साथ-साथ सरकारों, पुलिस प्रशासन, स्थानीय निकायों, अस्पतालों, चिकित्सा व्यवसायियों, जेल प्रशासन, सिविल सोसायटी, मीडिया तथा मृतकों को सम्मान देने हेतु परिवारों के लिए सिफारिशें शामिल हैं।
अन्य बातों के अलावा कुछ महत्त्वपूर्ण सिफारिशें इस प्रकार हैं:-
मृतकों के अधिकारों के संरक्षण हेतु विशिष्ट कानून बनाना; यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए कि किसी भी मौत की घटना का पता चलने के बाद तत्काल नजदीकी पुलिस स्टेशन तथा/अथवा आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाओं अथवा प्रशासनिक/विधिक प्राधिकारियों, जो भी संभव हो, को सूचित करे।
प्रत्येक राज्य को मौत के मामलों का जिलावार डेटासेट बनाना चाहिए;
व्यक्ति की मृत्यु के विषय में सभी दस्तावेज़ों जैसे बैंक अकाउंट, आधार कार्ड, बीमा आदि में जानकारी अद्यतन की जानी चाहिए;
पुलिस प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पोस्टमार्टम में अनुचित देरी न हो;
अंतिम बिल भुगतान की गणना करने तक किसी भी मृत शरीर को जान-बूझकर रखने से अस्पताल प्रशासन को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए; लावारिस शवों को सुरक्षित परिस्थितियों में संग्रहित किया जाना चाहिए;
स्थानीय प्राधिकारी यह सुनिश्चित करें कि मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा आग्रह करने पर शव ले जाने के लिए परिवहन सुविधाएं हों तथा एम्बुलेंस शुल्क की मनमानी वृद्धि पर अंकुश लगाया जाए;
लावारिस एवं अस्वामिक शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभाने के लिए सिविल सोसायटी संगठनों/गैर-सरकारी संगठनों को आगे आना चाहिए;
अस्थाई शमशान स्थापित करें; धार्मिक अनुष्ठान जिनमें मृत शरीर को छूने की आवश्यकता नहीं होती, जैसे धार्मिक लिपियां पढ़ना, पवित्र जल छिड़कना आदि की अनुमति दी जा सकती है।
ऐसे मामलों, जिनमें परिवार को शव देना संभव न हो, राज्य/स्थानीय प्रशासन धार्मिक/सांस्कृतिक कारकों को ध्यान में रखते हुए शव का अंतिम संस्कार कर सकते हैं;
परिवहन के दौरान अथवा किसी अन्य स्थान पर शवों का ढेर लगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। विद्युत शमशानों के इस्तेमाल को बढ़ावा दें; सामूहिक अंत्येष्टि/दाह संस्कार की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि यह मृतक के गरिमा के अधिकार का उल्लंघन होगा;
शमशानों/कब्रिस्तानों में काम करने वाले तथा शवों का निपटान करने वाले स्टाफ को सुरक्षात्मक उपकरण (गियर) मुहैया करने के साथ-साथ प्राथमिकता के आधार पर उनका टीकाकरण किया जाए तथा उन्हें उचित भुगतान किया जाना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए कृपया एडवाइजरी का लिंक देखें।