राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत द्वारा सांविधिक पूर्ण आयोग की बैठक का आयोजन



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 3 जून, 2025

राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत द्वारा सांविधिक पूर्ण आयोग की बैठक का आयोजन

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने आज नई दिल्ली में सभी 7 मानद सदस्य आयोगों और दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त की एक सांविधिक पूर्ण आयोग बैठक का आयोजन किया। बैठक का उद्देश्य मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण हेतु आयोगों के बीच तालमेल और सहयोग बढ़ाना था।

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बैठक की अध्यक्षता करते हुए, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री वी. रामसुब्रमण्यन ने आयोगों के बीच सहयोगात्मक कार्यप्रणाली के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नियमित अंतराल पर सांविधिक पूर्ण आयोग के सदस्यों की संयुक्त बैठकें आयोजित करने और मामलों की पुनरावृत्ति से बचने के लिए सभी आयोगों की वेबसाइटों को हाइपरलिंक करने के लिए एक तंत्र बनाने का सुझाव दिया।

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बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें कमजोर और वंचित वर्गों के अधिकारों का संरक्षण, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और मामलों की पुनरावृत्ति को न्यूनतम करना शामिल था। प्रतिभागियों ने संयुक्त तथ्यान्वेषण मिशनों, जागरूकता अभियानों और जनसंपर्क कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया।

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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष श्री किशोर मकवाना ने अनुसूचित जाति समुदायों के अधिकारों और कल्याण के लिए आयोग द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों के बारे में बताया।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्षा श्रीमती विजया रहाटकर ने बताया कि एनसीडब्ल्यू महिलाओं के कल्याण के लिए शिकायतों, अनुसंधान, जागरूकता और जनसंपर्क प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अध्यक्षा श्रीमती तृप्ति गुरहा ने बच्चों के दुर्व्‍यापार को रोकने और पॉक्सो मामलों में त्वरित कानूनी उपाय सुनिश्चित करने हेतु जागरूकता अभियानों को चलाने पर बल दिया।

इस अवसर पर, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य श्री निरुपम चकमा, दिव्यांगजन आयोग के मुख्य आयुक्त श्री राजेश अग्रवाल और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे श्री डैनियल ई. रिचर्ड्स ने भी अपने विचार साझा किए और कमजोर समुदायों के मानव अधिकार मुद्दों के समाधान हेतु क्षेत्रीय आयोगों के बीच संयुक्त तंत्र स्थापित करने के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किए।

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एनएचआरसी, भारत के सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ) बिद्युत रंजन सारंगी ने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया कि कल्याणकारी योजनाएं समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से वंचितों तक अवश्य पहुंचे। एनएचआरसी, भारत की सदस्या श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि ये आयोग अलग-थलग संस्थाएँ नहीं हैं, बल्कि मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में काम करने वाले सह-यात्री हैं।

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इससे पूर्व, बैठक के लिए एजेंडा तय करते हुए एनएचआरसी, भारत के महासचिव श्री भरत लाल ने देश की विशिष्ट संस्थागत मानव अधिकार संरक्षण प्रणाली का अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन संस्थाओं के बीच इस प्रकार के संवाद मानव अधिकारों के प्रमुख मुद्दों पर एक साझा मंच बनाने और पीड़ितों को सामूहिक रूप से त्वरित राहत सुनिश्चित करने में उपयोगी है।

श्री समीर कुमार, संयुक्त सचिव, एनएचआरसी, भारत ने पिछले वर्ष आयोग द्वारा की गई गतिविधियों का सारांश प्रस्तुत किया।

बैठक भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु आयोगों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों के प्रति नई प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुई।

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