नासिक के एक गांव में महिलाओं को ससुराल छोड़ने के लिए मजबूर करने वाली रिपोर्ट पर एनएचआरसी ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को नोटिस जारी किया ।
नई दिल्ली, 4 मई, 2022
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि महाराष्ट्र के नासिक जिले के दांडीची बारी गांव में पानी की भारी कमी के कारण, ग्रामीणों को पानी की एक-एक बूंद के लिए रोजाना संघर्ष करना पड़ता है। महिलाओं को हर वर्ष गर्मियों में मार्च से जून तक डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है, एक पहाड़ी के तल पर लगभग सूखी धारा से पानी लाने के लिए बर्तन भरने में बहुत समय और धैर्य लगता है। कथित तौर पर, परिवार अब अपनी बेटियों की शादी इस गांव के पुरुषों से करने से हिचकिचाते हैं।
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो उनके मूल मानवाधिकारों अर्थात जीवन और गरिमा के अधिकार का घोर उल्लंघन है। ऐसा लगता है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा कई प्रयासों और पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा के बावजूद राहत अभी भी इस गांव विशेष से दूर है।
तदनुसार, एनएचआरसी ने मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार और सचिव, जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली को नोटिस जारी कर इस मामले में 6 सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में इस गांव के निवासियों की शिकायतों के निवारण के लिए उठाए जा रहे या प्रस्तावित किए जाने वाले कदम और क्षेत्र में पेयजल की उपलब्धता के संबंध में वर्तमान स्थिति का विवरण अपेक्षित है ।
2 मई, 2022 को की गई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक बर्तन को भरने में तीन घंटे लगते हैं , और महिलाओं को पानी लाने के लिए चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए दिन में दो बार, पहले सुबह 4:00 बजे और फिर सूर्यास्त के बाद विषम समय में पहाड़ी इलाके में चलना पड़ता है। नई दुल्हनें अक्सर भयानक स्थिति का सामना करने में सक्षम नहीं होती हैं। पानी की भीषण किल्लत से वे इतने परेशान हैं कि वे गांव में नहीं रहना चाहती और अपने मायके लौटना चाहती हैं। गांव के सरपंच ने कथित तौर पर कहा कि कई बाबू और पत्रकार गांव में आते हैं और ग्रामीणों की पीड़ा की तस्वीरें लेते हैं लेकिन कोई मदद नहीं करता है।
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