एनएचआरसी ने मानव अधिकारों के निरंतर संवर्धन पर एसएचआरसी, आयोग के विशेष प्रतिवेदकों और मॉनिटरों के साथ एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन किया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर, 2023

एनएचआरसी ने मानव अधिकारों के निरंतर संवर्धन पर एसएचआरसी, आयोग के विशेष प्रतिवेदकों और मॉनिटरों के साथ एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन किया

एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि एसएचआरसी एनएचआरसी की परामर्शियों और अन्य न्यायिक आदेशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए

भारत में मानव अधिकार तंत्र की समझ बढ़ाने के लिए वैश्विक मानव अधिकार मंचों पर एसएचआरसी प्रतिनिधियों की उपस्थिति

एनएचआरसी के विशेष मॉनिटरों, प्रतिवेदकों और एसएचआरसी के बीच समन्वय बढ़ाने और अच्छा काम करने वाले नागरिक समाज संगठनों, मानव अधिकार संरक्षकों तथा गैर सरकारी संगठनों के साथ जुड़ने पर जोर दिया

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न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज कहा कि एनएचआरसी और राज्य मानव अधिकार आयोग (एसएचआरसी), एक-दूसरे से स्वतंत्र होने के बावजूद, वे अभी भी देश भर में विभिन्न मानव अधिकारों के हित को सुधारने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। वे नई दिल्ली में मानव अधिकारों के निरंतर संवर्धन पर एसएचआरसी, एनएचआरसी के विशेष प्रतिवेदकों और विशेष मॉनिटरों के एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि एनएचआरसी और एसएचआरसी मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत स्‍थापित किए गए हैं। मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए एसएचआरसी भी समान रूप से महत्वपूर्ण संस्थान हैं। एनएचआरसी और एसएचआरसी दोनों सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा कर सकते हैं और कुछ क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं जैसे सेप्टिक टैंक की सफाई में लगे श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, जलवायु प्रभाव के कारण विस्थापित लोगों का पुनर्वास, नकली दवा व्यवसाय और हमारी युवा पीढ़ी को बचाने के लिए नशा मुक्ति केंद्रों का उचित कामकाज आदि।

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न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि एसएचआरसी संबंधित राज्य अधिकारियों के साथ मिलकर एनएचआरसी परामर्शियों और अन्य न्यायिक आदेशों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्हें विभिन्न एनएचआरसी परामर्शियों को अपनाने की आवश्यकता है जो समाज के कुछ कमजोर वर्गों के अधिकारों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञों और विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद तैयार की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि एनएचआरसी कर्मचारियों के प्रशिक्षण के अलावा, एसएचआरसी के साथ संयुक्त सेमिनार और सम्मेलन आयोजित करने का विकल्प भी तलाश कर सकते हैं। उन्होंने एसएचआरसी से उन क्षेत्रों पर सुझाव भी आमंत्रित किए, जिनमें वे एनएचआरसी के साथ सहयोग कर सकते हैं, खासकर उन मामलों में जहां कानूनी प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन में कमियां हैं।

एनएचआरसी अध्यक्ष ने कहा कि एसएचआरसी को अंतरराष्ट्रीय मंचों का भी अनुभव होना चाहिए और वैश्विक मानव अधिकार निकायों द्वारा आयोजित सम्मेलनों और कार्यशालाओं में भाग लेना चाहिए। ऐसे मंचों पर उनकी उपस्थिति भारत में मानव अधिकार तंत्र की समझ को बढ़ा सकती है।

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उन्होंने कहा कि सरकारें आयोग के हस्तक्षेप और सिफारिशों का सम्मान करती हैं। उनके साथ मामलों को आगे बढ़ाने के लिए यह सब आवश्यक है। इस संदर्भ में, उन्होंने एनएचआरसी के हस्तक्षेप के बाद 2016 से जहरीली शराब त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा देने के बिहार सरकार के निर्णय का उदाहरण दिया। हालाँकि, उन्होंने दोहराया कि एसएचआरसी द्वारा आयोग के एचआरसीनेट पोर्टल में शामिल होना हस्तक्षेपों के दोहराव, विरोधाभासी निर्देशों की स्थिति और मानव संसाधनों की बर्बादी को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने यह भी कहा कि एसएचआरसी के साथ आयोग के विशेष मॉनिटरों और विशेष प्रतिवेदकों के बीच समन्वय बढ़ाने की जरूरत है। विशेष प्रतिवेदक और मॉनिटर राज्‍यों में कई स्‍थानों, मुख्‍य रूप से जेलों, आश्रय गृहों, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों, अवलोकन गृहों, अस्पतालों, किशोर न्याय गृहों, वृद्धाश्रमों और विभिन्न सरकारी संस्‍थानों में मानव अधिकार स्थितियों के संबंध में मौके पर मूल्यांकन के लिए दौरा करते हैं। एसएचआरसी भी ऐसे स्थानों का दौरा करते हैं और वे अपने संबंधित राज्य प्राधिकरणों कानूनी प्रावधानों, सामाजिक कल्याण योजनाओं और एनएचआरसी परामर्शियों के अधिक प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एनएचआरसी के मॉनिटर्स और प्रतिवेदकों के साथ समन्वय कर सकते हैं।

एनएचआरसी अध्यक्ष ने यह भी कहा कि मानव अधिकार संरक्षक, नागरिक समाज संगठन और गैर सरकारी संगठन मानव अधिकारों के संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उनसे जुड़ने में किसी प्रकार की रोक की आवश्यकता सिर्फ इसलिए नहीं है कि उनमें से कुछ लोग संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हो सकते हैं। जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं उन्हें पहचानें और उनका सहयोग करें।

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इसके अतिरिक्‍त, मानव अधिकारों की सर्वोत्तम प्रथाओं और कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में चिंताओं को साझा करने के अलावा, सम्मेलन में एनएचआरसी के विशेष प्रतिवेदकों और मॉनिटरों द्वारा उनके क्षेत्र दौरों के आधार पर प्रस्तुतियां भी दी गईं। इनमें: नाता प्रथा प्रथा का उन्मूलन, भीड़भाड़ कम करना और जेल सुधार, किशोर गृहों में रहने की स्थिति में सुधार, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में सुधार और बाल विवाह पर रोक लगाने की रणनीति शामिल हैं।

उद्घाटन सत्र के अलावा, सम्मेलन को चार सत्रों में विभाजित किया गया था: 'मानवाधिकारों में अब तक की यात्रा और उभरती चुनौतियाँ', 'एसएचआरसी द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना', 'विशेष प्रतिवेदकों और विशेष मॉनिटरों द्वारा अनुभव साझा करना' और 'भविष्‍य का रास्ता: फोकस क्षेत्रों में मानव अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी बनाना', जिनकी अध्यक्षता एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले और श्री राजीव जैन ने की।

इससे पहले, एनएचआरसी के कामकाज का अवलोकन देते हुए, आयोग के महासचिव श्री भरत लाल ने एक प्रस्तुति दी और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने, मानव तस्करी, साइबर अपराध, भीख मांगने तथा नारी निकेतन की स्थितियों में सुधार, कर्मचारियों की क्षमता निर्माण और गैर सरकारी संगठनों की एक निर्देशिका का संकलन आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर एसएचआरसी के साथ सहयोग की गुंजाइश पर प्रकाश डाला।

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