राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग दिनांक 16-17 नवंबर, 2023 को गुवाहाटी में पूर्वोत्तर राज्यों में मानव अधिकार उल्लंघनों के मामलों की सुनवाई के लिए 'शिविर बैठक' का आयोजन करेगा
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली, 15 नवम्बर, 2023
पूर्व भूमिका
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग दिनांक 16-17 नवंबर, 2023 को गुवाहाटी में पूर्वोत्तर राज्यों में मानव अधिकार उल्लंघनों के मामलों की सुनवाई के लिए 'शिविर बैठक' का आयोजन करेगा
एसएचआरसी, 8 पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों, नागरिक समाज, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और मानवाधिकार संरक्षकों के साथ बैठक करेगा
एनएचआरसी द्वारा 'स्थानीय स्वशासन के माध्यम से मानव अधिकारों को आगे बढ़ाना' विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत पूर्वोत्तर राज्यों में मानव अधिकार उल्लंघनों के मामलों की सुनवाई के लिए दिनांक 17 नवंबर, 2023 को प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज, गुवाहाटी में शिविर बैठक का आयोजन कर रहा है। आयोग मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर स्थानीय स्व-सरकारों को भी संवेदनशील बना रहा है और दिनांक 16 नवंबर, 2023 को 'स्थानीय स्व-सरकारों के माध्यम से मानव अधिकारों को आगे बढ़ाना' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। आयोग अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों के साथ-साथ प्रेस से भी वार्ता करेगा।
आयोग जिसमें, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले और श्री राजीव जैन, महासचिव, श्री भरत लाल, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव श्री डी. के. निम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, सम्मेलन और शिविर बैठक में भाग लेंगे। असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड तथा सिक्किम के राज्य मानव अधिकार आयोगों के अध्यक्षों के अतिरिक्ति केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेंगे।
आयोग अपनी परामर्शियों और सिफारिशों पर की गई कार्रवाई की समीक्षा करने और संबंधित राज्यों में सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु 8 पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक भी कर रहा है। शिविर बैठक के दौरान, आयोग मानव अधिकारों के सरंक्षण एवं संवर्धन साथ-साथ समाज के विभिन्न वर्गों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए अपनी विभिन्न गतिविधियों में तालमेल विकसित करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों के सभी राज्य मानव अधिकार आयोगों (एसएचआरसी) के साथ बैठक करेगा।
एनएचआरसी, भारत जमीनी स्तर पर मानव अधिकार पहलुओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मानव अधिकारों और इससे संबंधित पहलुओं को आगे बढ़ाने में स्थानीय स्वशासन की भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है। सम्मेलन के दौरान इस विषय पर भी चर्चा की जाएगी कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और राज्य मानव अधिकार आयोग स्थानीय स्वशासन के माध्यम से मानव अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए कैसे काम कर सकते हैं। स्थानीय समुदाय-आधारित संस्थानों और स्थानीय स्वशासन की भागीदारी मानव अधिकारों के संवर्धन और उनके संरक्षण में बड़े पैमाने पर मदद करती है। स्थानीय स्व-सरकारें और समुदाय-आधारित संगठन, जमीनी स्तर पर काम करने वाले मानव अधिकार संरक्षक 'भाईचारे' की अवधारणा को बढ़ावा देकर मानव अधिकारों की संरक्षण एवं संवर्धन में तथा नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के साथ-साथ कमजोर समूहों के साथ संवेदनशीलता और करुणा के साथ व्यवहार करने में बहुत मदद करती हैं। दो तकनीकी सत्रों में; 'स्थानीय स्वशासन के माध्यम से मानव अधिकारों को आगे बढ़ाना' और 'पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय स्वशासन की सर्वोत्तम प्रथाएँ' शामिल हैं।
दिनांक 17 नवंबर, 2023 को एनएचआरसी, भारत के अधिकारी शिविर बैठक के दौरान मानव अधिकार उल्लंघन के 40 से अधिक लंबित मामलों की सुनवाई करेंगे। राज्य के अधिकारियों और संबंधित शिकायतकर्ताओं को भी मामलों की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
शिविर बैठक का उद्देश्य राज्य के अधिकारियों को मानव अधिकारों के बारे में संवेदनशील बनाना और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और मानव अधिकार संरक्षकों के साथ बातचीत करना भी है। मामलों की सुनवाई के अलावा, आयोग गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और मानव अधिकार संरक्षकों (एचआरडी) से भी मुलाकात करेगा। आयोग राज्यों के मानव अधिकार संबंधी शिकायतों की जानकारी और एनएचआरसी द्वारा की गई कार्रवाइयों के व्यापक प्रसार के लिए आयोजित शिविर बैठक के निर्णयों के बारे में मीडिया को भी जानकारी देगा।
आयोग 2007 से शिविर बैठकों का आयोजन कर रहा है। शिविर बैठकों के माध्यम से मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को त्वरित न्याय मिल सकता है। अब तक, आयोग ने मध्य प्रदेश, पंजाब, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, झारखंड, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, नागालैंड, उत्तराखंड, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा, गुजरात, और असम राज्यों में शिविर बैठकों का आयेजन किया है।
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