एनएचआरसी द्वारा हरियाणा और राजस्थान सरकार को अंग प्रत्यारोपण रैकेट के कथित भंडाफोड़ पर नोटिस जारी
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली, 10 अप्रैल, 2024
एनएचआरसी द्वारा हरियाणा और राजस्थान सरकार को अंग प्रत्यारोपण रैकेट के कथित भंडाफोड़ पर नोटिस जारी
चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई
रिपोर्ट में मानव अंगों के अवैध व्यापार के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए या प्रस्तावित कदम शामिल होने चाहिए
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कथित तौर पर हरियाणा और राजस्थान राज्यों में चल रहे एक अंग प्रत्यारोपण रैकेट का भंडाफोड़ किया है। कथित तौर पर, स्वास्थ्य विभाग ने गुरुग्राम के सेक्टर-39 के एक होटल में छापेमारी की और पाया कि एक बांग्लादेशी नागरिक वित्तीय सौदे के तहत जयपुर के एक अस्पताल में अपनी किडनी दान करने के बाद वहां आराम कर रहा था। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने चार अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया, जिनका कथित तौर पर किडनी ट्रांसप्लांट कराया गया था।
आयोग ने पाया है कि समाचार रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो यह मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। मानव अंगों के अवैध व्यापार के विषय से निपटने हेतु भारत में एक विशिष्ट कानून है अर्थात मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994, जिसे मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 द्वारा संशोधित किया गया है। यह वर्ष 2014 में लागू हुआ है। हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों ने भी इसे अपनाया है। तदनुसार, आयोग ने हरियाणा और राजस्थान सरकारों के मुख्य सचिवों और दोनों राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
रिपोर्ट में पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर की स्थिति और क्या कोई गिरफ्तारी हुई है, शामिल होनी चाहिए। आयोग मानव अंगों के गैरकानूनी और अवैध व्यापार के खतरे को रोकने के लिए उठाए जा रहे/उठाए जाने वाले प्रस्तावित कदमों के बारे में भी जानना चाहेगा तथा यह सुनिश्चित करना कि शरारती तत्वों की पहचान की जाए और उनके खिलाफ बिना किसी देरी के कानून के तहत मामला दर्ज किया जाए।
दिनांक 5 मार्च, 2024 को आई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिक बांग्लादेश में एक मोबाइल की दुकान चला रहा था। उसे झारखंड के रांची स्थित एक एजेंट द्वारा फर्जी पासपोर्ट के तहत भारत भेजा गया था। उसकी किडनी के लिए बांग्लादेशी मुद्रा में 4 लाख रुपये में सौदा तय हुआ। उसने यह भी खुलासा किया है कि मरीज के साथ उसका कोई खून का रिश्ता नहीं है और किडनी उसने केवल वित्तीय लाभ के लिए दी थी।
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