एनएचआरसी, भारत द्वारा विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों के लिए की एक महीने की ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप शुरू की गई
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली, 11 जून 2024
एनएचआरसी, भारत द्वारा विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों के लिए की एक महीने की ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप शुरू की गई
उद्घाटन भाषण में, एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने प्रशिक्षुओं से मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सहानुभूति और करुणा के भारतीय लोकाचार को अपनाने की अपील की।
कार्यक्रम में भाग लेने हेतु विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि के 1,400 से अधिक आवेदकों में से 80 विश्वविद्यालय स्तर के छात्रों का चयन किया गया
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा संचालित एक महीने तक चलने वाला अत्यधिक प्रतिष्ठित ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम कल नई दिल्ली में शुरू हुआ। इस अत्यधिक लोकप्रिय कार्यक्रम के लिए, 1,400 से अधिक आवेदकों में से, देश भर के विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि के 80 छात्रों को कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला।.
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने छात्रों को मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सहानुभूति और करुणा के भारतीय लोकाचार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसके लिए संवेदनशीलता और जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम सभी को राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, महात्मा गांधी, नेल्सन मंडेला और अन्य लोगों के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के कार्य में समर्पित कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि आज हम सभी अपनी पिछली पीढ़ियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत का लाभ उठा रहे हैं। इस पृथ्वी ग्रह और समाज को आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर स्थान बनाना हमारा परम कर्तव्य है। हम सभी एक-दूसरे से जुड़ी हुई दुनिया में रह रहे हैं और यहां कुछ सार्वभौमिक मूल्य हैं। हमें उन मूल्यों को आत्मसात करना चाहिए और उन मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने और बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारे संविधान की प्रस्तावना भारत के दृष्टिकोण को दर्शाती है। हमें इन पोषित सिद्धांतों - समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व को आत्मसात करना चाहिए और सार्थक योगदान देना चाहिए। हमें एक बेहतर समाज और विकसित भारत के निर्माण में अपना योगदान देना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होना चाहिए और वह सम्मानपूर्ण/ गरिमापूर्ण जीवन जीने में सक्षम होना चाहिए। हमें अपने संविधान में निहित मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों के सार को आत्मसात करना चाहिए।
एनएचआरसी के महासचिव ने भारत के मजबूत मानव अधिकार संरक्षण ढांचे पर भी प्रकाश डाला, जिसमें संविधान में निहित मौलिक अधिकार और राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत, लोगों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों, विभिन्न राष्ट्रीय स्तर के संवैधानिक और वैधानिक आयोगों तथा उनके राज्य समकक्ष आयोगों, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, और 27 राज्य मानव अधिकार आयोगों को शक्तियां प्रदान करता हैं। उन्होंने कहा कि एनएचआरसी इन सभी संस्थानों के साथ-साथ 30 से अधिक विशेष प्रतिवेदकों और विशेष मॉनिटरों तथा 12 कोर ग्रुपों, जिसमें गैर सरकारी संगठनों, नागरिक समाज संगठनों के विशेषज्ञ, शिक्षाविद और मानव अधिकार संरक्षक शामिल होते हैं, के साथ सहयोग करता है। ये कोर ग्रुप तथा साथ ही विशेष प्रतिवेदक और विशेष मॉनिटर आयोग की आंख और कान के रूप में कार्य करते हैं तथा देश में सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों के संरक्षण हेतु आयोग को उपाय सुझाते हैं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रशिक्षु हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों में निहित भावना को समझने के लिए इस अवसर का सर्वोत्तम उपयोग करेंगे। प्रशिक्षुओं को मानव अधिकारों के महत्व को समझना चाहिए और जागरूकता पैदा करने में मदद करनी चाहिए।.
इससे पहले, एनएचआरसी के संयुक्त सचिव, श्री देवेन्द्र कुमार निम ने इंटर्नशिप कार्यक्रम का अवलोकन दिया। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं और विषयगत क्षेत्रों पर विशेषज्ञों द्वारा सत्रों के अलावा, छात्रों को उनके कामकाज की प्रत्यक्ष समझ के लिए जेलों, पुलिस स्टेशनों और सरकारी/एनजीओ, आश्रय घरों के दौरे पर ले जाया जाएगा। इस अवसर पर, निदेशक, लेफ्टिनेंट कर्नल वीरेंद्र सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
*****