एनएचआरसी द्वारा एम्स, नई दिल्ली में एक लड़के की कार्डियक सर्जरी में लगभग छह साल की देरी की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया गया
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली: 19 जून, 2024
एनएचआरसी द्वारा एम्स, नई दिल्ली में एक लड़के की कार्डियक सर्जरी में लगभग छह साल की देरी की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया गया
सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा निदेशक, एम्स को नोटिस जारी कर मामले में रिपोर्ट मांगी है
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, (एनएचआरसी) भारत ने दिनांक 13.06.2024 को प्रसारित एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि बिहार के बेगुसराय का 6 वर्षीय बच्चा 2019 से, जब वह तीन महीने का था, कार्डियक सर्जरी का इंतजार कर रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के डॉक्टर उसके परिवार को प्रत्येक दौरे पर केवल सर्जरी के लिए तारीखें ही देते रहे हैं।
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह उस बच्चे के मानव अधिकारों के उल्लंघन का एक बहुत गंभीर मुद्दा उठाती है। स्वास्थ्य और चिकित्सा देखभाल का अधिकार एक बुनियादी मानव अधिकार है। एम्स प्रतिष्ठित और प्रमुख लोक वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में से एक है, जहां देश भर से बड़ी संख्या में लोग देश के सर्वश्रेष्ठ डॉक्टरों द्वारा अपने प्रियजनों का इलाज कराने की उम्मीद में रोजाना आते हैं।
आयोग ने कहा है कि वह देश भर के सार्वजनिक अस्पतालों के सामने आने वाली बाधाओं से अवगत है, लेकिन यह जानना अभी भी दुखद है कि बिहार का एक युवा लड़का अपनी खराब स्वास्थ्य स्थिति के बावजूद पिछले छह वर्षों से कार्डियक सर्जरी का इंतजार कर रहा है। यह वाकई गहरी चिंता का विषय है।
तदनुसार, आयोग ने सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसमें युवा लड़के की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति और एम्स के डॉक्टरों द्वारा कथित सर्जरी की जरूरत एवं इसके संबंध में दी गई सलाह के अनुसार उसकी कार्डियक सर्जरी की तिथि भी शामिल होनी चाहिए।
जैसा कि समाचार रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, लड़के के पिता 8,000 रुपये की मामूली मासिक आय अर्जित करते हैं और चिकित्सा खर्चों के कारण वित्तीय कठिनाई का सामना करते हैं, क्योंकि दिल्ली आने हेतु प्रत्येक यात्रा में उन्हें परिवहन और आवास के लिए 13,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच खर्च करना पड़ता है। बच्चा 15 कदम भी नहीं चल पाता है क्योंकि उसकी सांस फूलने लगती है; साथ ही उसका शारीरिक विकास भी बाधित हो गया है। कथित तौर पर, एम्स द्वारा बताए गए कारण अलग-अलग हैं, जिनमें बिस्तरों की अनुपलब्धता से लेकर डॉक्टर की अनुपस्थिति तक शामिल हैं। संस्थान ने आरोपों की पुष्टि के लिए एक कमेटी का गठन भी किया है।
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