एनएचआरसी, भारत ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आईजीएनएफए) के संयुक्त तत्वधान में देहरादून में वरिष्ठ वन अधिकारियों के लिए मानव अधिकारों पर पहला कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया।



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 26 जून, 2024

एनएचआरसी, भारत ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आईजीएनएफए) के संयुक्त तत्वधान में देहरादून में वरिष्ठ वन अधिकारियों के लिए मानव अधिकारों पर पहला कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया।

चार महिला वन अधिकारियों सहित 35 अधिकारियों को आदिवासी समुदायों, अन्य वनवासियों, वन मजदूरों और जलवायु परिवर्तन को कम करने सबंधी मानव अधिकारों के विविध पहलुओं पर प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा जागरूक किया गया।

एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने कहा कि आयोग मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अधिकारियों की क्षमता निर्माण हेतु मानव अधिकारों के विभिन्न आयामों पर प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने में सभी एआईएस राष्ट्रीय अकादमियों के साथ साझेदारी कर रहा है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आईजीएनएफए) के संयुक्त तत्वधान में वरिष्ठ वन अधिकारियों के लिए मानव अधिकारों पर अपना पहला चार दिवसीय आवासीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह कार्यक्रम 18 से 21 जून, 2024 तक आईजीएनएफए, देहरादून में आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र की चार महिला अधिकारियों सहित 35 वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

इस पहल का उद्देश्य वन और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, नीति कार्यान्वयन और जमीनी स्तर पर योजनाओं में मानव अधिकार दृष्टिकोण को एकीकृत करना था। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों की भागीदारी वाले लगभग 15 सत्रों के माध्यम से, अधिकारियों को मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर जागरूक किया गया। प्रमुख विषयों में आदिवासी समुदायों और अन्य वनवासियों की सुरक्षा, और जलवायु परिवर्तन को कम करना , सामुदायिक कल्याण और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार ढांचे के साथ सतत विकास लक्ष्य शामिल थे।


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समापन सत्र को संबोधित करते हुए, आईजीएनएफए के निदेशक डॉ. जगमोहन ने राष्ट्रीय विकास में वन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और विशेष रूप से वन अधिकार अधिनियम के तहत मानव अधिकार प्रावधानों को लागू करने की तत्काल आवश्यकता पर बात की । उन्होंने मानव अधिकार मुद्दों के विभिन्न आयामों के बारे में अधिकारियों की समझ बढ़ाने में एनएचआरसी के प्रयासों की सराहना की और 2025 बैच से आईएफएस परिवीक्षार्थियों के लिए एक समर्पित मॉड्यूल को एकीकृत करने का प्रस्ताव रखा।

इससे पहले, 18 जून, 2024 को, एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जिसमें आईजीएनएफए के निदेशक श्री जगमोहन शर्मा और एनएचआरसी के महानिदेशक (अन्वेषण) श्री अजय भटनागर भी मौजूद थे। उन्होंने वन अधिकारियों के लिए मानव अधिकार शिक्षा के महत्व पर जोर दिया और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के बीच वनवासियों, अनुसूचित जनजातियों और वन मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री भरत लाल ने कहा कि आयोग मानव अधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अधिकारियों की क्षमता निर्माण हेतु मानव अधिकारों के विभिन्न आयामों पर प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित करने में विभिन्न अखिल भारतीय सेवा (एआईएस) राष्ट्रीय अकादमियों के साथ साझेदारी कर रहा है।


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उन्होंने प्रतिभागियों से मानव अधिकारों की बेहतर समझ और प्रोत्साहन के लिए 'मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर)' और अन्य प्रासंगिक कानूनों को आत्मसात करने का आग्रह किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) और सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (यूपीआर), सभी के मानव अधिकारों को बनाए रखने में उनकी भूमिका, सहानुभूति और करुणा के भारतीय लोकाचार और देश में मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक ढांचे पर भी बात की।

प्रशिक्षण सत्रों में कानूनी ढांचे, जलवायु परिवर्तन के प्रभाव और सामुदायिक कल्याण सहित कई विषयों को शामिल किया गया। विशेषज्ञों ने संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार परिषद, वन अधिकारों के कानूनी पहलुओं और सतत विकास लक्ष्यों पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य अधिकारियों को व्यापक ज्ञान और कौशल से लैस करना था। उद्घाटन और समापन सत्रों के अलावा, चार दिवसीय प्रशिक्षण में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा लगभग 15 विषयगत सत्र आयोजित किए गए।

पहले दिन के सत्रों में एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल द्वारा ‘भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए संस्थागत ढांचा’; केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के सदस्य श्री प्रशांत कुमार द्वारा ‘वनवासी और मानव अधिकार’; एनएचआरसी में महानिदेशक (अन्वेषण) श्री अजय भटनागर द्वारा ‘मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग’; तथा राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सचिव सुश्री मीनाक्षी नेगी द्वारा सरकारी प्रतिष्ठानों में यौन शोषण की रोकथाम और पॉश अधिनियम पर विचार व्यक्त किये गये।


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दूसरे दिन के सत्रों में श्री संजय उपाध्याय, वरिष्ठ अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘कानून और वनपाल की भूमिका - कुछ विचार’, भारत में संयुक्त राष्ट्र समन्वयक श्री शोम्बी शार्प और यूएनडीपी की सुश्री श्रीतमा गुप्ताबाया ने ‘सभी को साथ लेकर चलना : आदिवासी मानव अधिकार और स्थिरता’ और ‘मानव अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ पर आधारित सत्र शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र में एसडीजी-7 तकनीकी सलाहकार समूह की पूर्व सदस्य डॉ. लीना श्रीवास्तव ने ‘जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकार: अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय अनुभव और चुनौतियां’ विषय पर बात की और उत्तराखंड के पूर्व पीसीसीएफ श्री अशोक पई ने ‘मानव अधिकारों के संदर्भ में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के कार्यान्वयन’ विषय पर एक सत्र को संबोधित किया।

तीसरे दिन की शुरुआत ओडिशा के पूर्व पीसीसीएफ और एचओएफएफ श्री शिशिर राठो द्वारा ‘एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, इसके निहितार्थ और वन प्रशासन में कार्यान्वयन’ विषय पर सत्र के साथ हुई। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के सलाहकार श्री अपूर्व मिश्रा ने ‘आदिवासी अधिकार और आर्थिक विकास’ विषय पर एक व्याख्यान दिया; और एलबीएसएनएए के पूर्व निदेशक डॉ. संजीव चोपड़ा ने ‘वनों में और उसके आसपास रहने वाले लोगों के मानव अधिकार’ विषय पर प्रतिभागियों को जानकारी दी। ‘वन और मानव अधिकार’ विषय पर श्री सी.पी. गोयल, सदस्य, केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने चर्चा की।


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चौथे दिन के सत्रों में : श्री विनोद कुमार तिवारी, सूचना आयुक्त, केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा ‘सूचना तक पहुंच पर मानव अधिकार परिप्रेक्ष्य’; श्री युगल जोशी, सलाहकार, नीति आयोग द्वारा ‘एसडीजी, जीवन और मानव अधिकार’ और श्री गौरव बंसल, अधिवक्ता, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘वन फ्रंटलाइन श्रमिक: चुनौतियां और कल्याण’ शामिल थे। ।

समापन सत्र में, आईजीएनएफए के पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. शिवबाला एस. और आईजीएनएफए में प्रोफेसर (आईएसटी) तथा प्रभारी अपर निदेशक डॉ. मुकुल त्रिवेदी ने प्रशिक्षण के परिणामों पर संतोष व्यक्त किया। श्री युवराज, एसएसपी तथा एनएचआरसी के पाठ्यक्रम समन्वयक ने वन अधिकारियों के लिए मानव अधिकारों पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की। श्री दुष्यंत सिंह, उप पुलिस अधीक्षक, एनएचआरसी ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहयोग देने वाले प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका के लिए धन्यवाद व्यक्त किया ।