एनएचआरसी, भारत ने रोहिणी में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह- आशा किरण में एक महीने के भीतर 12 कैदियों की कथित मौत से संबंधित समाचार पर स्वतः संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 3 अगस्त, 2024

एनएचआरसी, भारत ने रोहिणी में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह- आशा किरण में एक महीने के भीतर 12 कैदियों की कथित मौत से संबंधित समाचार पर स्वतः संज्ञान लिया

कथित तौर पर मानसिक रूप से दिव्यांग लोगों के लिए बने इस आश्रय गृह में क्षमता से दोगुने कैदी है

नियंत्रक-महालेखापरीक्षक और दिल्ली महिला आयोग ने भी पहले आश्रय गृह की खराब स्थिति पर सवाल उठाया था

आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है कि रोहिणी में मानसिक रूप से दिव्यांगलोगों के लिए दिल्ली सरकार द्वारा संचालित आश्रय गृह- आशा किरण में 15 जुलाई से 31 जुलाई के बीच एक महीने के भीतर 12 कैदियों की मौत हो गई। कथित तौर पर, उनमें 10 महिलाएं और दो पुरुष शामिल थे। मरने वालों में समान लक्षण पाए गए थे यानी दस्त और उल्टी। कई अन्य कैदियों का कथित तौर पर अस्पताल में इलाज चल रहा है। जुलाई में आश्रय गृह की मेडिकल केयर यूनिट के आंकड़ों के अनुसार, 54 कैदियों को इलाज के लिए बाहर भेजा गया था। इससे आश्रय गृह में उपेक्षा और रहने की खराब स्थिति के आरोप फिर से उठने लगे।

आयोग ने पाया है कि समाचार रिपोर्ट की सामग्री, यदि सच है, तो यह कथित रूप से भीड़भाड़ वाले आश्रय गृह में कैदियों के मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में कैदियों की मौत अधिकारियों की ओर से बरती गई लापरवाही का संकेत देती है।

तदनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में मामले में एफआईआर की स्थिति, दोषी अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और ऐसी घटनाएं फिर न होंयह सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों द्वाराउठाए गए/प्रस्तावित कदम की स्थिति शामिल होने की अपेक्षा है।

2 अगस्त, 2024 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आशा किरण आश्रय गृह का विवादों से घिरा होना कोई नई बात नहीं है। आश्रय गृह में लोगों को रखनेकी क्षमता 500 है, लेकिन अब इसमें 1,000 से अधिक लोग रह रहे हैं, जिससे यहां भीड़भाड़ हो रही है।

कथित तौर पर, नियंत्रक-महालेखापरीक्षक(CAG) ने अपनी 2015 की रिपोर्ट में इस आश्रय गृह के कामकाज पर सवाल उठाया था। यह पाया गया कि इस आश्रय गृह पर व्यवस्थाओं का अत्यधिक बोझ है, चिकित्सा आपात स्थितियों के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है और स्टाफ की कमी है। रिपोर्ट में बताया गया कि 2009-14 के दौरान कुल 148 मौतें हुई थीं। आशा किरण परिसर में भीड़भाड़ कम करने के प्रति विभाग की ओर से ढिलाई भी पाई गई थी। 2017 में, दिल्ली महिला आयोग ने भी एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि आश्रय गृह की हालत खराब है।